Sunday, 17 November 2024

"कोहबर (रूट टू रुट्स)- बिहार ललित कला अकादमी, पटना में आयोजित मिथिला पेंटिंग की समूह प्रदर्शनी 15 से 17.11.2024 तक चली

 परम्परा से पेशेवर पहचान तक की यात्रा



दिनांक 15.11.2024 को ललित कला अकादमी, पटना में कोहबर विषय पर मिथिला कलाकारों की समूह चित्र-प्रदर्शनी के आयोजन का शुभारम्भ हुआ. दीप प्रज्वलित करने के उपरांत प्रदर्शनी का  उद्घाटन प्रसिद्ध कला अनुरागी और  भा.प्र.से. के वरिष्ठ अधिकारी (से.नि.) विजय प्रकाश ने किया. इस अवसर पर मृदुला प्रकाश (प्रिंसिपल स्कूल ऑफ क्रिएटिव लर्निंग),  विमला दत्त (प्रसिद्ध मिथिला चित्रकार),  अजय पांडेय (प्राचार्य, पटना आर्ट कॉलेज), भैरब लाल दास (मिथिला संस्कृति के विद्वान) , मनीशा झा, विनीता मल्लिक आदि भी उपस्थित थे. प्रदर्शनी के आयोजन में अलका दास और निभा लाभ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

यह बताना उचित होगा कि मधुबनी चित्रकला चूंकि मधुबनी के बाहर मिथिला के अन्य क्षेत्रों में भी लोकप्रिय है इसलिए इसे मिथिला चित्रकला कहना ज्यादा सही माना जाना चाहिए. इस चित्रकला में कोबर (कोहबर) भी एक अति लोकप्रिय विधा है जिसका उपयोग विवाह के समय होता है. इसमें काले रंग का प्रयोग वर्जित है और सबसे अधिक प्रचलित रंग लाल है. इसमें पुरैन का पत्ता,का बांस, जलजीव (कछुआ, मछली), सांप, देवी-देवता, पटिया, कलश, सूर्य, चंद्र, नवग्रह, नैना-जोगिन आदि अनेक प्रकार के चित्र बनाए जाते हैं. चित्रों में लैंगिक प्रतीक प्रचुर मात्रा में होने का दावा किया जाता है पर समग्रता से देखने पर यह पारिवारिक शांति, सामाजिक संबंध और पर्यावरण संरक्षण से भी इनका सरोकार माना जा सकता है.

उद्घाटन सत्र में एक संगोष्ठी भी आयोजित हुई जिसमें वक्ताओं ने अपने विचार रखे. 

मनीशा झा ने कोहबर को अत्यधिक प्रतीकात्मक कहा. उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग में जो कोर (बॉर्डर) बनाए जाते हैं उनका उद्देश्य पवित्र कार्य हेतु स्थान का निर्धारण होता है. पुरैन का पत्ता, बांस, देवी-देवता आदि मिथिला चित्रकला के मुख्य अंग  रहे हैं . नैना-जोगिन बाद में जोड़े गए. पुरैन का पत्ता और बांस बहुत तेजी से बढ़ते हैं जो परिवार की वृद्धि के प्रतीक हैं. गंगा देवी, महासुंदरी देवी, चंद्रकाला दास आदि की परम्परा को गोदावरी दत्त और विमला दत्त ने भी आगे बढ़ाया है. गंगा देवी ने कायस्थ होते हुए भी रंगों का खूब प्रयोग किया.

इस अवसर पर विमला दत्त लिखित एक कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण भी हुआ. बिमला दत्त ने कहा कि चंदना के आग्रह पर उन्होंने कलाकारों के मार्गदर्शन के लिए इस पुस्तक के लिए चित्र बनाया और  जानकारी दी.

से.नि. वरिष्ठ आईएएस विजय प्रकाश ने कहा कि कोहबर की प्रथा बहुत पुरानी है. सीता के विवाह के समय भी इस विधा का उपयोग हुआ था. भारतीय संस्कृति में तंत्र, यंत्र और मंत्र का बहुत महत्व है और कोहबल कला को हम यंत्र मान सकते हैं. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के विपरीत भारतीय संस्कृति में विवाह या संतानोत्पत्ति कोई आनंद प्राप्ति का विषय नहीं अपितु एक यज्ञ है. यह समाज की निरंतरता के गुरुतर दायित्व के निर्वाह का माध्यम है. यहाँ विवाह कोई अस्थायी समझौता या कॉन्ट्रेक्ट नहीं बल्कि जन्म-जन्मांतर तक टिकने वाला सम्बंध माना जाता है. कोहबर सम्बंधों के इसी स्थायित्व को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि अभी तक जो महिलाएं कोहबर लिखती थीं वो एक जीवन-शैली जी रहीं थीं पर अब उन्हें इस तरह की प्रदर्शनी के माध्यम से कलाकार के रूप में स्थापित किया जा रहा है.

सांस्कृतिक संस्था इनटैक के प्रेम शरण ने यौन संबंध (जिसके प्रतीकों का उपयोग कोहबर में होता है) को वर्जित विषय मानने से इनकार कर दिया और कहा कि इस सम्बंध में शिक्षा का प्रसार किया जाना चाहिए.

स्कूल ऑफ क्रिएटीव लर्निग की प्रधानाध्यापिका मृदुला प्रकाश ने कहा कि मैं कलाकारों के परिवार से आती हूँ. मेरी मां भी कलाकार है और बेटी नुपूर निशीथ भी. बेटी की चित्रकारी को मिल रही अंतरराष्ट्रीय ख्याति से मुझे काफी खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि मिथिला चित्रकला में आधुनिक समय की वस्तुओं को जोड़ने से नई पीढ़ी में इसके प्रति अभिरूचि बढ़ेगी. 

यह चित्र-प्रदर्शनी तीन दिनों तक चली जिसमें मिथिला चित्रकला के सम्बंध में अनेक संगोष्ठी के सत्र आयोजित हुए और कुछ पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ.लोकार्पित पुस्तकों में अमृता दास का कहानी-संग्रह "लाल पीयर नुआं" भी शामिल था. कोहबर शैली में बनाए गए सभी चित्रों में कुछ मूल समानता होते हुए भी उल्लेखनीय विविधताएं भी थीं. इस तरह के आयोजनों से मिथिला पारम्परिक कलाकारों का उत्साह निश्चित रूप से बढ़ने की आशा की जा सकती है. और इस चित्रकला के लिए यह शुभ संकेत है.

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रपट- हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल  आईडी- hemantdas2001@gmail.com / editorbejodindia@gmail.com

P1- Anita Das

P2- Sanjita Das

P3- 

P4- 

P5- Saumya Aanchal

P6- Veena Dutta

P7- Sweety Karn

P8- Tulika

P9- Alka Das

P10- Anjana Kumari

P11- Soma Kumari

P12- Tripti Ralni

P13- Bnita Mallik

P14- Rekha Das

P15- Kavita Das

P16- Saroj Thakkur

P17- Saroj Mallick

(Left) P16- Saroj Thakkur / P17- Saroj Mallick (Right)

P18- Rashmi Prabha
P19- Radha Kumari
P20- Bibha Lal


P21-

P22- Shardendu Anand

P23- Sonam

P24- Sarita Das

P25- Nutan Labh

P26- Richa

P27-

P28-

P29- Kalpana Kumari Karn

P30- Navita

P31- Kavita

P32-

P33- Pratima

P34- Namrata

P35- Kalpana M

P36- Nibha Labh

P37-

P38-

P39-

P40- Nutan Bala

P41- Minky Das

P42- Vandana Das

P43-