Wednesday 28 August 2019

अ. भा. अग्निशिखा मंच की ओर से नवी मुम्बई में 25 एवं 26 अगस्त 2019 को साहित्यिक पर्यटन सम्पन्न

साहित्यिक पाठ, विमर्श और मनोरंजन से परिपूर्ण आयोजन
लघुकथा की विषय वस्तु, शिल्प तथा पंच लाईन कैसी होनी चाहिये?

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नवी मुंबई, अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से 25 एवं 26 अगस्त 2019 को आयोजित दो दिवसीय साहित्यिक पर्यटन सफलता पूर्वक पनवेल से आगे यूसुफ मेहर अली ग्रामोद्योग केंद्र में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ. वरिष्ठ समाज सेविका और लेखक अलका पाण्डेय ने बताया कि प्रति वर्ष की तरह दो दिवसीय साहित्यिक पर्यटन में इस बार 35 लोगो ने भाग लिया. 

प्रथम दिन के पहले परिचय सत्र में सभी का एक दूसरे से परिचय हुआ. दूसरा सत्र काव्य प्रतियोगिता का था जिसका विषय "वर्षा ऋतु" था. इस सत्र का संचालन पवन तिवारी ने किया. अध्यक्षता त्रिलोचन सिंह अरोरा ने की . प्रतियोगिता के निर्णायक थे अरुण प्रकाश मिश्र और ओमप्रकाश पाण्डेय. इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार पवन तिवारी ने दूसरा आभा झा ने तीसरा पुरस्कार सुशील शुक्ला ने जीता.

तीसरे सत्र में लघुकथा लेखन व शिल्प पर मार्गदर्शन पर वरिष्ठ लघुकथाकार सेवा सदन प्रसाद एवं रायपुर से पधारी वरिष्ठ लघुकथाकर आभा झा ने दिया. इस सत्र की अध्यक्षता विजय कुमार भटनागर ने की. विशेष अतिथि रहे सुशील शुक्ला. सेवासदन और आभा झा ने लघुकथा की बारीकियों को बड़े ही सहज ढंग से बताया. लघुकथा की विषय वस्तु, शिल्प तथा पंच लाईन कैसी होनी चाहिये. इस पर सेवासदन जी ने बहुत ही अच्छे से मार्गदर्शन किया. चौथा सत्र लघुकथा लेखन स्पर्धा का रहा. जिसमें विषय था 'जन्मोत्सव'. लघुकथा स्पर्धा में सर्वश्रेष्ठ लघुकथा का पुरस्कार अभिलाज को, दूसरा पुरस्कार रामप्यारे रघुवंशी को और तीसरा पुरस्कार नीरजा ठाकुर को प्राप्त हुआ. सांत्वना पुरस्कार विजय कुमार भटनागर एवं अरुण प्रकाश मिश्र को मिला.

दूसरे दिन के पहले सत्र यानी आयोजन के पाँचवा सत्र में योग पर चर्चा हुई जिसके प्रमुख वक्ता थे रामप्यारे रघुवंशी. योगाभ्यास भी हुए.

छठा सत्र काव्य पाठ का रहा जिसकी अध्यक्षता डी पी मिश्र ने की.विशेष अतिथि रहे पवन तिवारी, कविता राजपूत, अलका पाण्डेय, नीरजा ठाकुर, मंच संचालन अधिवक्ता एवं कवि अनिल शर्मा ने किया. कविता पाठ करने वाले कवि थे ओम प्रकाश पाण्डेय, विजय भटनागर, सेवासदन प्रसाद, रामप्यारे रघुवंशी, लालबहादुर यादव कमल, सुशील शुक्ल नाचीज, अभिलाज, कविता राजपूत, त्रिलोचन सिंह अरोरा, कुलदीप सिंह दीप, अलका पाण्डेय, इंदिरा मिश्रा, कंचन सिंह, वंदना पाण्डेय, चंदा चक्रवर्ती, कमल पाटील, आभा झा, निरजा ठाकुर, कलावती, गिरजा सिंह, रामावती, मालती सिंह, डी पी मिश्रा आदि ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से कुछ प्रस्तुत कर तालियाँ बटोरी.

सातवाँ सत्र में गीत-मनोरंजन और अन्य कार्यक्रम के पश्चात साहित्यिक पर्यटन की आयोजक अलका पाण्डेय ने सभी सहभागियों का आभार व्यक्त किया. फिर इस दो दिवसीय खूबसूरत आयोजन के बाद शाम 5 बजे सभी मुम्बई की ओर चल दिये.
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आलेख - अलका पाण्डेय
छायाचित्र - अ.भा. अग्निशिखा मंच
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com











Monday 26 August 2019

सखी बहिनपा समूह का सांस्कृतिक कार्यक्रम 25.8.2019 को नवी मुम्बई में सम्पन्न

"अपन जी जान सँ पाहुन / बहुत सम्मान सँ पाहुन"
बेजोड़ इंडिया ब्लॉग के 'हिम' भी मंच पर, विभा रानी का गायन,  फिल्म "प्रेमक बसात" के निर्देशक भी थे

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दिनांक 25.8.2019  को एकता विहार, बेलापुर सीबीडी (नवी मुम्बई) के सामुदायिक भवन में सखी बहिनपा मिथिलानी समूह की नवी मुम्बई इकाई द्वारा स्थापना का वार्षिकोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए और उनसे उपरान्त रूपक शरर निर्देशित मैथिली फीचर फिल्म "प्रेमक बसात" फिल्म का प्रदर्शन होना तय था जो इस रपट के लेखक के सामने शुरू नहीं हो पाया।

कार्यक्रम का संचालन समूह की प्रियंका मिश्रा और संध्या मिश्रा ने किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे - विभारानी (साहित्यकार और लोक-कलाकार), हेमन्त दास 'हिम' (पत्रकार और साहित्यकार). मंचासीन अन्य गणमान्य अतिथि थे रूपक शरर ("प्रेमक बसात" फिल्म के निर्देशक) एवं सारिका कुमार (गीतकार). इस अवसर पर विभरानी और हेमन्त दास 'हिम' ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित भी किया. श्री 'हिम' ने कहा कि मैथिली भाषा के असली विद्वान उसमें पीएचडी करनेवाले नहीं बल्कि वे कम पढ़ी लिखी बूढ़ी महिलाएँ हैं जो हर वाक्य में दो सटीक 'फकरा' (विशिष्ट मैथिली मुहावरे) जोड़ देती हैं.  उन्होंने सम्मान हेतु समूह के प्रति आभार प्रकट किया और मैथिल संस्कृति को देशभर में बचाये रखने में इसके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

मिथिलाक्षरक प्रचार -प्रसारक महत्वपूर्ण कार्यमे योगदान के लिए प्रेमलता झा, माला झा, शैव्या मिश्रा  कंचन कंठ, रजनी रंजन, कल्पना मधुकर आदि को सम्मान दिया गया।

जानी मानी लोक-गायिका विभा रानी ने अपने विशेष अंदाज में पूरे हाव-भाव और अंग-संचालन के साथ सुरीले लोकगीत का गायन किया जिसे दर्शकों ने तालियों की ग़ड़गड़ाहट से सराहा. समूह की कलाकारों ने बारी बारी से अनेक लोकगीतों का गायन  किया.  अतिथियों में जहाँ विभा रानी, रूपक शरर, सारिका कुमार, अंधेरी (मुम्बई) में रहनेवाले हैं वहीं हेमन्त दास 'हिम' नवी मुम्बई में रहते हैं. 

सांस्कृतिक कार्यकमों में गणेश वंदना और भगवती गीत  शुचि, श्रुति एवं साथी द्वारा प्रस्तुत हुआ. फिर आये हुए सभी अतिथियों के लिए स्वागत गान हुआ-
अपन जी जान सँ पाहुन / बहुत सम्मान सँ पाहुन
अहाँके स्वागतम अछि  / स्वागत गान सँ पाहुन

दो बच्चों श्रुति और आलोक पाठक ने जट-जटिन का प्रसिद्ध लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया. प्रियंका मिश्रा ने मिथिलांचन के खांटी चरित्रों के संवादों पर आधारित हास्य-प्रसंग सुनाये जिसे सुनकर हँसी के फव्वारे छूट पड़े.
नेहा मिश्रा ने लोकगीत गाया - "पिरीय पराननाथ सादर परनाम".

संध्या मिश्रा और प्रियंका मिश्रा ने कविताएँ सुनाई. कंचन कंठ एवं प्रियंका मिश्रा ने भी लोकगीत गाए. रजनी रंजन के गाये गीत के बोल थे- "चोरी भेल चोरी".

नाटिका -दुलरी दिया के अंतर्गत मिथिला  में स्त्री जीवनक विभिन्न आयाम दिखे.  सोहर -चैतन्य और शुचि के द्वारा नाटिका भी प्रस्तुत हुई. लघुकथा का पाठ कंचन कंठ ने किया और स्व्यंवर तथा जयमाल गीत क्रमश: सुलेखा दास और मालती दास के द्वारा हुए. डहकन, गारि, कन्यादान, सिंदूरदान, समदौनक गीत आदि अनेक मिथिला के विधि-विधान के गीत गाये गए.

इनके साथ ही एक व्यंग्य - नीलम ने,  एकल गीत - रजनी रंजन ने, चौमासा -  प्रेमलता झा ने और फिर एक एकल गीत- आशा पाठक ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में मधु प्रकाश द्वारा बनाया गया अरिपन और शुचि मिश्रा द्वारा किया गया भरतनाट्यम भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया.

अंत में धन्यवाद ज्ञापन  का दायित्व निभाया प्रियंका मिश्रा ने एवं  चलचित्र - प्रेमक बसात का विश्लेषण - प्रस्तुत किया संध्या मिश्रा ने.

विशेष बात थी इस अवसर पर अनेक स्टॉल का बनाना जिनमें समूह की सदस्यों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों और शिल्पकला की सामग्रियाँ बिक्री हेतु रखी गईं थी. कोई भी कला-साधना बिना आर्थिक व्यय के सम्पन्न नहीं होती चाहे वह प्रत्यक्ष हो अथवा अप्रत्यक्ष. जैसे यदि कोई व्यक्ति कई दिनों में  एक कहानी रचता है तो वह उतने दिनों में कोई अन्य काम करके पैसे भी तो कमा सकता था. अत: अपनी साहित्य रचना हेतु उसने उस समय में अर्जित किये जाने योग्य मूल्य लगाया. अत: यह परमावश्यक है कि जिनकी आथिक स्थिति इस योग्य हो वे अवश्य कलाकारों के स्टॉल से कुछ न कुछ खरीदें ताकि वे और उत्साह के साथ और बेहतर कला-सामग्रियों का निर्माण कर पाएँ. 

कंचन कंठ का सिंधी एवं मिथिलाक्षर कढ़ाई वाले वस्त्रशिल्प की प्रदर्शनी थी तो रम्भा झा का एप्लिक कला की. जया रानी का स्टॉल महाकवि लाल दास की पुस्तकों का था. एक अन्य पुस्तकों के स्टॉल में डा नित्यानंद लाल दासक अनुदित कृतियााँ, चंदना दत्त की- गंगा-स्नान, विभारानी - खोह सौं निकसइत और प्रसिद्ध कृति-  "क्योंकि जिद है" और मिथिलाक्षर की पुस्तकें भी थीं.

हमें अफसोस इस बात का रहा कि मैथिली फिल्म "प्रेमक बसात" जिसका बहुत नाम सुना है वह रात में 8 बजे तक नहीं आरम्भ होने के कारण नहीं देख पाए. पर निर्देशक रूपक शरर की इस फिल्म को कभी देखेंगे भी और उस पर लिखेंगे भी. फिलहाल उनके साथ आप हमारे चित्र जरूर देख सकते हैं. एक विशेष बात और कि उस मैथिली फिल्म की गीतकार सारिका कुमार श्री शरर की पत्नी भी हैं. 

इस तरह के आयोजन एक स्वत:स्फूर्त आयोजन की तरह होता है जिसे आयोजित करनेवाली स्त्रियाँ मुख्यत: गृहिणियाँ होती हैं न कि कला-व्यवसाय में स्थापित महिलाएँ. अत: इस कार्यक्रम में ऐसा लगा मानो हमारे घर की बहनें, माताएँ और बच्चियों का आयोजन हो. प्रोफेसनलिज़्म के अभाव के बावजूद इस तरह के कार्यक्रम का अपना महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि समाज को स्वीकरना होगा कि घर को संवारनेवाली महिलाओं का भी अपना हृदय होता है, अपना कौशल होता है और विशिष्ट क्षमताएँ भी.
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र - बेजोड़ इंडिया ब्लॉग 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

































Friday 23 August 2019

साहित्य समागम, मुम्बई वि.वि.तथा विश्व हिन्दी प्र. द्वारा मुम्बई में 22.8.2019 को काव्य महोत्सव सम्पन्न

जिससे लिखता है चिट्ठी प्यार की /  उससे कभी हिसाब न लिख

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साहित्य समागम के एक वर्ष पूरा होने पर उसके द्वारा हिंदी विभाग, मुम्बई विश्ववि. तथा विश्व हिन्दी संस्थान के सहयोग से एक शानदार काव्य-महोत्सव का आयोजन दिनांक 22.8.2019  को मुम्बई विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित जे.पी. नाईक भवन सभागृह में हुआ जिसमें देश के अनेक नामचीन शायरों और कवियों  ने भाग लिया. अध्यक्षता प्रो. नंदलाल पाठक ने और संचालन अनंत श्रीमाली ने किया. मुख्य अतिथि हस्तीमल हस्ती और विशिष्ट अतिथि क़ैसर ख़ालिद थे. ध्यातव्य है कि प्रो. नंदलाल पाठक, हरिवंश राय 'बच्चन' के नजदीकी मित्र रहे हैं और क़ैसर साहब उम्दा शायर होने के साथ साथ महाराष्ट्र पुलिस में आई.जी. के पद पर भी तैनात हैं.

कार्यक्रम के आरम्भ में वंदना श्रीवास्तव ने अपने मधुर कंठ से सरस्वती वंदना का गायन किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमारी राज ने किया. इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन साहित्य समागम की अध्यक्षा कवयित्री मीनू मदान ने किया.

इसमें बड़ी संख्या में कवियों ने अपनी एक-एक रचना का पाठ किया. इनमें से कुछ की पंक्तियाँ कुछ इस तरह से थीं-

सोना चांदी बँट गए, बँटे खेत खलिहान
माँ-बापू के नाम से, हो रही खींचातान
(- अशोक वशिष्ट)

हम  आपके  घर में बिछे   बिस्तर  नहीं
पिघल  जाएँ  ठोकरों से राह के पत्थर नहीं
हम विजय के दुर्ग हैं आँखें उठा कर देखिए
जुगनुओं से झमझमाते रनिवास के खंडहर नहीं
(- डॉ. मनोहर अभय)

है अगर हुनर आग पे पानी लिख दे
मौज कोई तेरे अल्फाज़ मिटाने से रही.
(- राजेश कुमारी राज)

जीवन क्या है - आना, जाना
मुरझाने के पहले होगा
अपनी खुशबू को बिखरान
(- मीनू मदान)

निर्भया का पुनर्जन्म
(- अतुल अग्रवाल)

लेखनी तलवार होनी चाहिए
इक नहीं दो धार होनी चाहिए
जब चले तो जीत हो मजलूम की
जालिमों की हार होनी चाहिए
(- अशवनी 'उम्मीद')

वो हमें मिल गया जिसकी ख्वाहिश हुई
ज़िंदगी की कुछ ऐसी नवाजिश हुई
(- ओबैद आ. आजमी)

*जिससे लिखता है चिट्ठी प्यार की
उससे कभी हिसाब न लिख
*फीकी है हर चूनरी, फीका हर बंधेज
जो रंगता हि रूह को, वो असली रंगरेज
(- हस्तीमल हस्ती)

*कहते हैं जिसको इश्क हम
वो है सरापा गम ही गम
*ऐसी मनाफिकत की फ़िज़ा थी राह में
मैंने ही सच कहा था सो मेरा ही सर गया
(- क़ैसर ख़ालिद)

सानेहा उससे बिछुड़ने का बड़ा है लेकिन
देर तक ये भी तो सदमा नहीं रहनेवाला
उसके खत मेरे इश्क की निशानी है 'शकील'
होके तन्हा मैं तन्हा नहीं रहनेवाला
(- अतहर शकील)

दायरे से बाहर आ रहा हूँ मैं
आसमाँ को नीचे ला रहा हूँ मैं
इश्क़ की लहरों में लिपटा हूँ जब से
ख़ुद से आगे चला जा रहा हूँ मैं.
(- जे पी  सहारनपुरी)

*वो अपने तन की मालिक है, वो अपने मन की मालिक है
अहिल्या आज की
उद्धार की चिन्ता नहीं करती
*मुंतज़िर तो किसी का नहीं था मैं
ये चाय क्यों ठंढी हो गई?
(- प्रो. नंदलाल पाठक)

इनके अतिरिक्त इन कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया - डॉ कमर सिद्धिकी, अरविंद शर्मा 'राही', ओम प्रकाश तिवारी, ओबेद आज़म आज़मी, नज़र बिज़नौरी, शिवदत्त अक्स, डॉ ज़ाकिर खान, नज़र हयातपुरी, अलका जैन 'शरर', कुमार जैन, प्रोफेसर हूबनाथ पांडे, मदनलाल, और सतीश शुक्ला रकीब. कार्यक्रम में हेमन्त दास 'हिम', सीमा रानी आदि भी उपस्थित थे.
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र - बेजोड़ इंडिया ब्लॉग
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
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