लिटिल थेस्पियन का रजत वर्ष
20 सितम्बर 1994 – 20 सितम्बर 2019 तक सफरनामा
(हर 12 घंटों पर एक बार जरूर देख लें - FB+ Watch Bejod India)
1994 में स्थापना के बाद शीघ्र ही लिटिल थेस्पियन ने भारतीय रंगमंच में अपने लिए एक अलग जगह बनाई हैl लिटिल थेस्पियन एक अखिल भारतीय नाट्य संस्था है जो सांस्कृतिक तथा व्यव्सयायिक आधार पर रंगकर्म के लिए प्रतिबद्ध है l फलतः इनके अनुसार समाज में कला और संस्कृति का विकास ही संस्था का मूल उद्देश्य है l इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु यह संस्था सिर्फ प्रेक्षागृहों तक ही सीमित नहीं है बल्कि विभिन्न इलाकों और कस्बों में जाकर खुले आँगन में भी रंगमंच के माध्यम से ये संस्था सामाजिक चेतना के नाटक समय समय पर प्रस्तुत करती रहती है| संस्थापक डॉ.एस०एम० अजहर आलम और उमा झुनझुनवाला ने प्रारम्भ से ही लिटिल थेस्पियन को बहुभाषी बनाने का निर्णय कर लिया था और उस पर पूरी तरह अमल किया| इसलिए यह नाट्य संस्था हिंदी और उर्दू - इन दोनों भाषाओं में ही लगातार प्रदर्शन करती है |
आइये लिटिल थेस्पियन की अब तक की उपलब्धियाँ क्या हैं , इस पर विचार करें |
आइये लिटिल थेस्पियन की अब तक की उपलब्धियाँ क्या हैं , इस पर विचार करें |
राष्ट्रीय नाट्य उत्सव ‘जश्न-ए-रंग’- कोलकाता: में ये अपनी तरह का एकलौता नाट्य उत्सव है जो 2011 से लगातार आयोजित किया जा रहा है| अब तक 8 उत्सव हो चुके हैं: कथा कोलाज उत्सव (2011), जश्न-ए-टैगोर (2012), बे-लगाम मंटो (2013), जश्न-ए-रंग (2014), कृष्ण और भीष्म (2015), जश्न-ए-रंग (2016). जश्न-ए-रंग (2017)और जश्न-ए-रंग (2018)|
इस वर्ष इनका नौवां फेस्टिवल जश्न-ए-रंग (2019) 17 नवम्बर से 24 नवम्बर तक चलेगा |
रंगमंच की पहली उर्दू-मैगज़ीन ‘रंगरस’-
लिटिल थेस्पियन की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है| रंगमंच की पहली उर्दू-मैगज़ीन ‘रंगरस’ का प्रकाशन | देश में सभी भाषाओँ में कई कई पत्रिकाएँ मिल जाएँगी रंगमंच पर | मगर उर्दू भाषा में रंगमंच पर अलग से कोई पत्रिका नहीं है | सन 1906 में उर्दू में एक पत्रिका आई थी ‘शेक्सपियर’ के नाम से मगर वह एक अंक के बाद ही बंद हो गई| रंगरस में नाटकों पे आलेख और रिपोर्टिंग के साथ साथ नाटकों को भी प्रकाशित किया जा रहा है | रंगरस को देशभर से बड़ी सराहना मिल रही है| चूँकि उर्दू में नाटक और रंगमंच के हालात उतने मजबूत नहीं हैं, यही वजह है कि अब रचनाओं/ लेखों की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है| उसके बावजूद ये प्रतिबद्ध हैं कि इसका प्रकाशन बंद नहीं करेंगे|
अभिनयात्मक पाठ की कार्यशाला (Dramatic Reading of Story and poetry) -
लिटिल थेस्पियन ने कहानी और कविता के पाठ में
अभिनय पक्ष की महत्ता को एक आवश्यक अंग मानते हुए भारतीय भाषा परिषद के साथ मिलकर "कविता और कहानी का अभिनयात्मक पाठ" के प्रशिक्षण के लिए 2016 से तीन महीने का एक सर्टिफिकेट कोर्स प्रारम्भ किया है| कलकत्ता में यह कार्यशाला इकलौती कार्यशाला है|
सेमिनार का आयोजन : 2010 से यह संस्था लगातार थिएटर पर दोनों भाषाओं में सेमिनार करती आ रही हैं| कहानी के रंगमंच, रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाटक, सआदत हसन मंटो, कृषण चंदर, भीष्म साहनी के अलावा इन्होंने थिएटर करने की परेशानियों को लेकर स्कूल, कॉलेज और अखबारों को लेकर भी सेमिनार किया | इसके अलावा दो सालों से उर्दू थिएटर के सभी पहलुओं पर भी अलग से बातचीत करने के लिए पर कुल-हिन्द नेशनल उर्दू थिएटर कांफ्रेंस साथ ही भी आयोजित कर रहे हैं|
बच्चों का रंगमंच बच्चों के द्वारा-
बच्चों में रंगमंच की समझ विकसित करने के लिए ये लोग बच्चों के लिए बच्चों द्वारा ही नाटक तैयार करवाते हैं| इसके तहत राजकुमारी और मेंढक, हमारे हिस्से की धुप कहाँ है, धरती जल वायु, शैतान का खेल, ओल-ओकून आदि नाटक काफी सफल रहें हैं|
बच्चों में रंगमंच की समझ विकसित करने के लिए ये लोग बच्चों के लिए बच्चों द्वारा ही नाटक तैयार करवाते हैं| इसके तहत राजकुमारी और मेंढक, हमारे हिस्से की धुप कहाँ है, धरती जल वायु, शैतान का खेल, ओल-ओकून आदि नाटक काफी सफल रहें हैं|
अब तक की प्रस्तुतियाँ –
एस. एम. अजहर आलम के निर्देशन में उनका ही लिखा नाटक रूहें, नमक की गुड़िया, रक्सी को सृष्टिकर्ता, सुलगते चिनार, राहुल वर्मा का धोखा, भीष्म सहनी का कबीरा खड़ा बाज़ार में, उमा झुनझुनवाला का रेंगती परछाइयाँ, यूजीन यूनेस्को का गैंडा, टेनेसी विलिएम्स का पतझड़, इस्माइल चुनारा का सवालिया निशान, गिरीश कर्नाड का हयवदन (नेपाली में), ज्ञानदेव अग्निहोत्री का शुतुरमुर्ग, बलवंत गार्गी का लोहार, अविनाश श्रेष्ठ का महाकाल, मंटो की कहानियों में ठंडा-गोश्त, खोल दो, औलाद, सहाय और, बू, ज़हीर अनवर का ब्लैक सन्डे आदि कई नाटक|
एस. एम. अजहर आलम के निर्देशन में उनका ही लिखा नाटक रूहें, नमक की गुड़िया, रक्सी को सृष्टिकर्ता, सुलगते चिनार, राहुल वर्मा का धोखा, भीष्म सहनी का कबीरा खड़ा बाज़ार में, उमा झुनझुनवाला का रेंगती परछाइयाँ, यूजीन यूनेस्को का गैंडा, टेनेसी विलिएम्स का पतझड़, इस्माइल चुनारा का सवालिया निशान, गिरीश कर्नाड का हयवदन (नेपाली में), ज्ञानदेव अग्निहोत्री का शुतुरमुर्ग, बलवंत गार्गी का लोहार, अविनाश श्रेष्ठ का महाकाल, मंटो की कहानियों में ठंडा-गोश्त, खोल दो, औलाद, सहाय और, बू, ज़हीर अनवर का ब्लैक सन्डे आदि कई नाटक|
उमा झुनझुनवाला के निर्देशन में :
मनोज मित्रा का अलका, इस्माइल चुनारा का यादों के बूझे हुए सवेरे, चंद्रधर शर्मा गुलेरी का उसने कहा था, मंटो की कहानियों में खुदा की कसम और लाइसेंस, रवीन्द्रनाथ टैगोर की आखरी रात और दुराशा, प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब और सद्गति, अज्ञेय की बदला, मोहन राकेश की मवाली इकबाल मजीद की सुइंयों वाली बीबी, कृष्ण चंदर की पेशावर एक्सप्रेस और शहज़ादा, मुज़फ्फ़र हनफ़ी की बजिया तुम क्यों रोती हो तथा इश्क़ पर जोर., इस्माइल चूनारा की दोपहर, मधु कांकरिया की फाइल, अनीस रफ़ी की पॉलिथीन की दीवार -, निर्देशन- उमा झुनझुनवाला) आदि| इनके निर्देशन में इनका ही लिखा नया हजारां-ख़्वाहिशां का अभी हाल में मंचन हुआ|
इसके अलावा लिटिल थेस्पियन की कोशिश है कि बाहर के प्रतिष्ठित निर्देशकों को भी बुलाये| इस कड़ी में संगीत नाटक अकादेमी से सम्मानित निर्देशक मुश्ताक़ काक के निर्देशन में इन्होंने "बाल्कन की औरतें" नाटक किया|
नाटकों और कहानियों के अनुवाद और लिप्यन्तरण में भी लिटिल थेस्पियन काफी सक्रिय है ताकि प्रख्यात और श्रेष्ठ साहित्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच सके|
उर्दू से हिंदी -
1. यादों के बुझे हुए सवेरे (इस्माइल चुनारा) - राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित
3.लैला मजनू (इस्माइल चुनारा) दृश्यांतर, नई दिल्ली से प्रकाशित
अंग्रेजी से हिंदी -
4. एक टूटी हुई कुर्सी एवं अन्य नाटक - ऑथर्स प्रेस से प्रकाशित (इस्माइल चुनारा के Afternoon, A Broken Chair, The Stone & The Orphanage, उमा)
5. धोखा (राहुल वर्मा के अंग्रेज़ी नाटक ‘Truth & Treason’ से, उमा)
6. बलकान की औरतें (जुलेस तास्का के ‘The Balkan Women’ से, उमा)
7. गैंडा (यूजेन इओनेसको के The Rhinoceros से, अज़हर )
8. पतझड़ (टेनेसी विलियम्स के The Glass Menagerie से अज़हर)
9. चेहरे (Tony Devaney, अज़हर)
10. सवालिया निशान (इस्माइल चुनारा के They Burn People, They Do से, अज़हर)
11. सुलगते चिनार (मुल्कराज आनन्द डेथ ऑफ़ अ हीरो पर आधारित, अज़हर)
बंगला से हिंदी -
12. मुक्तधारा, टैगोर, (उर्दू में साहित्य अकादेमी से प्रकाशित अनुवाद - उमा और अज़हर आलम)
13. विभाजन (मूल/अभिजीत कारगुप्ता, उमा)
14. गोत्रहीन (मूल/रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता, अनुवाद- उमा),
15. अलका (मूल/मनोज मित्र के अलोका नोंदर पुत्रो कोन्या, अनुवाद -उमा)
निर्माण और निर्देशन के कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों में से पश्चिम बंग नाटक अकादमी का पुरस्कार भी महत्वपूर्ण है| राज्य सरकार की तरफ से इनके निर्देशक अज़हर आलम, नमक की गुड़िया के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा तथा सवालिया निशान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के ख़िताब से नवाज़े जा चुके हैंl
यह भी अच्छी बात है कि लिटिल थेस्पियन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव में अब तक 5 बार हिस्सा ले चुका है| साथ ही देश के सभी महत्वपूर्ण नाट्य उत्सवों में लिटिल थेस्पियन की प्रस्तुतियां लगातार रहती हैंl
इस तरह से हम पाते हैं कि आधुनिक भारतीय रंगयात्रा में कोलकाता से संचालित संस्था "लिटिल थेस्पियन" का काफी महत्वपूर्ण योगदान है
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आलेख - उमा झुनझुनवाला
छायाचित्र - लिटिल थेस्पियन
लेखिका का ईमेल - jhunjhunwala.uma@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com