हिन्दुस्तान की मिट्टी
यही है राम की मिट्टी, यही रहमान की मिट्टी
यही अल्लाह की मिट्टी, यही भगवान की मिट्टी
यही मिट्टी है ये धरती, जिसे हम माँ बुलाते हैं
यही नारी की मिट्टी है, यही बलिदान की मिट्टी
यही मिट्टी है गौतम की, यही मिट्टी कबीरों की
यही तुलसी की मिट्टी है, यही रसखान की मिट्टी
यही मिट्टी है ये दुनिया, अरे पागल अरे पागल
यही साँसों की मिट्टी है, यही श्मशान की मिट्टी
यही मिट्टी है गीता में , यही मिट्टी है आयत में
यही मिट्टी है रामायण, यही कुरआन की मिट्टी
यही मिट्टी, यही मिट्टी, यही मिट्टी, यही मिट्टी
यही इन्सान की मिट्टी, यही हर जान की मिट्टी
यही मिट्टी मुहब्बत है, यही मिट्टी ज़रूरत है
बहुत अनमोल हीरा है, ये हिन्दुस्तान की मिट्टी.
.....
फूलों को मुस्कान के जैसा होना है
फूलों को मुस्कान के जैसा होना है
हमको बस इंसान के जैसा होना है
त्योहारों का रंगे-मक़सद समझो तो
होली में रमज़ान के जैसा होना है
ज्ञान तुम्हारा ठीक है लेकिन ऐ साधो
हमको गीता ज्ञान के जैसा होना है
पूछ लो प्यारे दुनिया के बाज़ारों से
क्यूँ सबको सामान के जैसा होना है
जीवन जैसे कोई होटल का कमरा
सबको ही मेहमान के जैसा होना है
झूठ के कारोबारी हम तुम हैं लेकिन
सच अंतिम श्मशान के जैसा होना है
दिल है जैसे चंचल लड़की तितली सी
दिल को भी नादान के जैसा होना है
तुम चीनी जापानी कुछ भी हो जाओ
हमको हिन्दुस्तान के जैसा होना है.
....,
कवि - सागर आनन्द
कवि का ईमेल - sagaranand77@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
ग़ज़लकार शायर आनन्द अपनी किताब के साथ |
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