यह पेज है / You are at Small News (Cultural)
\Our email ID - editorbejodindia@gmail.com
\Our email ID - editorbejodindia@gmail.com
मुख्य पेज पर जायें / Go to the Main page - https://bejodindia.blogspot.com/
13. कार्यक्रम की तारीख ज्ञात होने पर सूचित की जाएगी.
पटना !26/10/2020!"शैवाल सत्यार्थी (ग्वालियर )ने "सिखाएगा क्या हमें कोई,जीने का हुनर ?/ हुनरमंदों को हम, जीना सिखाते हैं !!/ संतोष गर्ग ( चंडीगढ़)ने "
यह जीवन एक कहानी है /कुछ आग और कुछ पानी है!"/कुंदन कुमार ने - " कद जरा सा क्या उसका बड़ा हो गया, हो समझने लगा मैं खुदा हो गया !/ अशोक अंजुम (अलीगढ़ )ने -" नेताओं और कवियों में इतना अंतर है यारों, उनको कुर्सी दिखती हमको देश दिखाई देता है !"/ अपूर्व कुमार( हाजीपुर) ने -:"अंतर मन की व्यथा हे बंधु किस विधि तुम्हें सुनाऊं मैं ? "/प्रियंका त्रिवेदी (बक्सर )ने -जग -जग जननी मांग भवानी, करो कृपा जग की कल्याणी !"/सिद्धेश्वर " अँधेरे का कातिल बना है सूरज, बेवजह चांद पर इलज़ाम लगते हो? "रामनारायण यादव (सुपौल) ने - " किराए का घर, डंडे का डर !, दाना पानी जब गया बिखर, तभी रोए हम सब बेघर, हाईवे पर खाकर ठोकर, पटरी पर सोकर, /हमने रात बिताई !/ डॉ विभा माधवी (खगड़िया )ने - " गजल, हो, गीत या किस्सा,नहीं बिकते यहां ज्यादा !,/मगर क्या बात है कि फिल्मों में फनकार बिकते हैं ? "
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, फेसबुक के " अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका "के पेज पर, "हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन " के संयोजक सिद्धेश्वर लाइव संचालन में, एक से बढ़ कर एक कविताओं का पाठ देश भर के दो दर्जन से अधिक रचनाकारों ने किया ऑनलाइन कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ कवि शैवाल सत्यार्थी( ग्वालियर) एवं अध्यक्षता निभाया वरिष्ठ कवित्री संतोष गर्ग (चंडीगढ़)!
संचालन के क्रम में सिद्धेश्वर ने कहा कि- " समकालीन कविता अपनी चित्रात्मक पकड़ के कारण पठनीय बन जाती है l "
इसके अतिरिक्त काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे - " किसन लाल अग्रवाल (राजस्थान )/डॉ शरद नारायण खरे (मध्य प्रदेश )/पूजा गुप्ता (चुनार )/ सते न्द्र नाथ वर्मा (मोतिहारी ) आदि !घनश्याम (दिल्ली )/मधुरेश नारायण /प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र 'आदि l
लघुकथा के आरंभ में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि शैवाल सत्यार्थी ने कहा कि "कविता में जीवंतता हो तो वह तुकांत या अतुकांत, दोनों में प्रभावित करती है l ऑनलाइन कवि सम्मेलन की अध्यक्षता निभाते हुए, संतोष गर्ग ( चंडीगढ़ )ने,, पठित कविताओं पर अपनी विस्तृत टिप्पणी प्रस्तुत किया!
इस कवि सम्मेलन में उपरोक्त कविताओं के अतिरिक्त, पढ़ी गई कविताओं के कुछ अंश:
♦️शैवाल सत्यार्थी( ग्वालियर):
" सिखाएगा क्या हमें कोई,
जीने का हुनर ?
हुनरमंदों को हम ---
जीना सिखाते हैं ! "
🔷संतोष गर्ग( चंडीगढ़):
" यह जीवन एक कहानी है
कुछ आग और कुछ पानी है
सुर साज भरा संगीत है ये
गूँजे कण-कण में गीत है ये मनमोहन प्यारा मीत है ये
जानो तो सच्ची जीत है ये
इस प्रियतम के जो नगर गया
वह जीवन पथ से गुजर गया !!"
♦️ सिद्धेश्वर: अंधेरे का कातिल
बना है सूरज !
बेवजह चांद पर
इल्जाम लगाते हो तुम? "
🔷 कुंदन कुमार :
" कद जरा सा क्या उसका बड़ा हो गया !
वो समझने लगा मैं खुदा हो गया ! ! "
♦️अशोक अंजुम (अलीगढ़ ):
" नेताओं और कवियों में इतना अंतर है यारों,
उनको कुर्सी दिखती, हमको देश दिखाई देता है !"
🔷 अपूर्व कुमार( हाजीपुर)
" अंतर्मन की व्यथा हे बंधु
किस विधि तुम्हें सुनाऊं? मैं ? "
♦️ प्रियंका त्रिवेदी (बक्सर ) :
" जग -जग जननी मां भवानी,
करो कृपा जग की कल्याणी !! "
🔷 रामनारायण यादव (सुपौल) :
" किराए का घर, डंडे का डर !
दाना-पानी जब गया बिखर,
तभी रोए हम सब बेघर,
हाईवे पर खाकर ठोकर
पटरी पर सोकर, /हमने रात बिताई !!"
♦️ डॉ विभा माधवी (खगड़िया ) -
" गजल, हो, गीत या किस्सा,
नहीं बिकते यहां ज्यादा !,
मगर क्या बात है कि
फिल्मों में फनकार बिकते हैं ? "
🔷 मधुरेश नारायण :
" तोड़ धनुष तूने वरन कर ली, मैया सीता की !
वचन निभाया बाबा का, और आज्ञा माता की !!"
♦️ किशन लाल अग्रवाल ( राजस्थान):
" ना तो जीत जिंदगी है, ना तो हार जिंदगी है !
जो खिंजा lमें भी खिले, वह बहार जिंदगी है !!"
🔷 डॉ शरद नारायन खरे ( मध्य प्रदेश ):
" हर एक नारी है माता रूप, पर दुष्कर्म क्यों होता?
यहां सज्जन, दयालु, सत्यवादी, नित्य क्यों रोता? !"
♦️पूजा गुप्ता ( चुनार):
" बहुत याद आती है आज भी तुम्हारी !
पर अफसोस, तुम्हें बता नहीं सकते ! "
🔷 घनश्याम कलयुगी ( नई दिल्ली):
वतन के है हंसी राह के हम सिपाही !
ये वर्दी हमारी वफा की गवाही है ! "
🔶 सत्येंद्र नाथ वर्मा (मोतिहारी):
"रोशनी के जद में शहर और गांव आया है !
लगता है कि शायद फिर चुनाव आया है !!"
🌀 प्रस्तुति सिद्धेश्वर( मोबाइल 92347 60365)
🔶emale:Sidheshwarpoet.art@gmail.com
12. कार्यक्रम की तारीख ज्ञात होने पर सूचित की जाएगी.
♦️ "सहज ढंग से बड़ी बात कहने वाली कविता ही जीवंत होती है ! " : भगवती प्रसाद द्विवेदी
0 साहित्य के नाम पर धंधाबाजी, हमसे ना होगा ! " : सिद्धेश्वर
अरविंद अंशुमान( झारखंड) ने " मसला कोई भी देर तक टाला नहीं जाता, जख्मों को पूरी उम्र संभाला नहीं जाता ! "/ संजीव प्रभाकर (गुजरात) ने "हमारी आन हिंदी है, हमारी शान हिंदी है!, हमारे देश का गौरव तथा सम्मान हिंदी है !!"/ मधुरेश नारायण ने "आकर बगिया को बचा ले माली असमय ही कहीं मुरझा न जाए ! "/भगवती प्रसाद द्विवेदी ने -' जहां धैर्य है, सृजन है, कहां टिकेगी रात, विजयी होगी मनुष्यता, होगा स्वर्ण प्रभात !"/सिद्धेश्वर ने -" साहित्य के नाम पर धंधेबाज़ी, हमसे ना होगा !"/रमेश कँवल ने " बलखाती हुई सफर चांदनी का है, मस्ती है चांदनी रात है, किस्सा नदी का है ! "? /सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु) ने -" मत बन कायर तू, कायर का जयगान नहीं होता !"
पूनम सिन्हा श्रेयसी ने -"मोहब्बत मेरी दे रही है गवाही, हुई है अभी तक गजब की तबाही ! " /पुष्परंजन कुमार( अरवल)ने " है नेक इरादा तो, मुलाकात करो!, तुझे जंग का ही ख्वाहिश है, तो शुरुआत करो ! "/के. के.सिंह ( झारखंड) ने-" लगता कौन कैसा कब, यह बताता है आईना, सबका सिर्फ सच ही दिखाता है आईना ! "/ऋचा वर्मा ने -" न ढोल , न तासे, ना लोगों को बधाई, कुछ भी नहीं हुआ बिटिया जिस दिन तू इस धरती पर आई ! "/पुष्पा जमुआर ने - " हर बात पर तुम मुझको देते हो चुभन क्यों? "/ जयंत ने-" मंजिलें मेरे पास ही थी, और उनके लिए राह थी ! "?
रशीद गौरी (राजस्थान )ने " रह गया है बस वफाओं का नाम आजकल, एक दिखावा है दुनिया में, आम आजकल! और इन कवियों के साथ, मीना कुमारी परिहार, संजीव कुमार (रायपुर), अलका वर्मा, अरुण कुमार( वैशाली ), प्रतिभा पराशर( हाजीपुर), महेश राठौड़( रीवा ), , घनश्याम कलयुगी ( नई दिल्ली), एम के मधु, सतीश चंद्र( दरभंगा), राजेंद्र राज (झाझा ), कुमारी पूजा गुप्ता (चुनार) आदि 25 से अधिक नए- पुराने कवियों ने, गीत, गजल और समकालीन कविताओं की सशक्त प्रस्तुति दी !मौका था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में ऑनलाइन आयोजित अखिल भारतीय हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन का !
फेसबुक के " अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " के पेज पर लाइव इस कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए, संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने कहा कि - " कोई भी जीवंत कविता, हमेशा मनुष्यता का पक्षधर होती है ! इसलिए, साहित्य के नाम पर धंधेबाज़ी हमसे ना होगा !
कविता इंसान के भीतर की जज्बात को, आदर्श और नैतिकता से जोड़ता है और अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा देता हैl एक संवेदनहीन इंसान सफल और जीवंत अभी हो ही नहीं सकता! इसीलिए हमें सार्थक कविता की ओर अपना ध्यान देना चाहिए और शब्दों की कलाबाजी से बचते हुए, हृदय की सहजता को लयात्मक से जोड़ना चाहिए l ताकि कविता असहज महसूस ना हो l"
इस लाइक कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि - " कृत्रिम और कलाबाज़ी से दूर, सहज ढंग से कही गई बात को कह देना ही जीवंत कविता है l समकालीन कविता हो या छंदवाली कविता, , उसकी सार्थकता भी इसी में है कि वह मानवीय संवेदना को जगाए !
उन्होंने विस्तार से कहा कि - "चाहे समकालीन कविता हो अथवा छंदोबद्ध, उसकी सार्थकता तभी है, जब वह मानवीय संवेदना जगाए और प्रतिकूलताओं के बीच भी जद्दोजहद के लिए जरूरी पहल करे ।अनुभव व अनुभूति की आंच में पगी सच्ची कविता सीधे पाठक-श्रोता के दिल में उतर जाती है और अंतर्मन को देर तक उद्वेलित, झंकृत करती रहती है ।
जहाँ धैर्य है, सृजन है, कहाँ टिकेगी रात,
विजयी होगी मनुजता, /होगा स्वर्ण प्रभात ।"
कवि सम्मेलन के अध्यक्ष रशीद गौरी( राजस्थान )ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान के पठित कविताओं पर विस्तृत टिप्पणी प्रस्तुत किया l
अखिल भारतीय हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन-, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के फेसबुक पेज पर आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में आप सभी वरिष्ठ कवि मनीषियों, युवा कवियों एवं कार्यक्रम के संयोजक यशस्वी कवि, कथाकार, ग़ज़लकार कवि सिद्धेश्वर जी का हार्दिक अभिनंदन। सादर वंदन।
साहित्य सृजन एक कठिन कार्य है। मां सरस्वती की कृपा जिस पर होती है, उसको कवि बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। कविता केवल प्रेम,हर्ष, उल्लास, उमंग व मनोरंजन का साधन मात्र ही नहीं बल्कि निराशा, हताशा, अवसाद के क्षणों में कविता मनुष्य को सुकून देने का महत्ती कार्य करती है। काव्य में भाव, लालित्य, कल्पना, यथार्थ की अनगिनत उड़ान होती है।
हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे भीतर संवेदनशील कवित्व का अंश मौजूद है। कविता हमें मानवीय संवेदना और मनुष्यता से जोड़ती है।
सभी कवियों की कविताएं उत्कृष्ट, भावपूर्ण, सारगर्भित, संदेशप्रद एवं प्रेरणा देती हुईं उच्च कोटि की हैं। जो कुछ ना कुछ समाज को संदेश देती हुईं प्रतीत होती हैं। साहित्य समाज का दर्पण होता है। कवि- साहित्यकार वही लिखता है जो वह समाज में देखता, सुनता और समझता है।
सर्वप्रथम, कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपने उदबोधन के पश्चात, " अन्तर्मन की असहनीय उकताहट लिखने को उकसा दे..." व्यक्ति के भीतर की पीड़ा को अभिव्यक्त करती भावपूर्ण रचना प्रस्तुत कीं। जो अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि की श्रेष्ठ रचना बन पड़ी है।
युवा कवयित्री बहन पूजा गुप्ता (चुनार ) जी ने " हां मैं एकबार फिर से प्यार करना चाहती हूं। " प्यार का अनुपम संदेश देती हृदयस्पर्शी रचना पढ़ी। वरिष्ठ कवि के.के.सिंह जी ने " सहेजकर रखना इसे, नहीं तो यह एक दिन, दिल सा टूटकर बिखर जाता है " ये आईना, अपनी शानदार आवाज़ और अंदाज़ में बहुत सुंदर ग़ज़ल पेश की।जो अति मनभावन, मृदुल एवं उत्कृष्ट रचना है। इसके पश्चात, पुष्पा जमुआर जी ने नारी के संदर्भ में अपनी उत्कृष्ट काव्य रचना को प्रस्तुत किया। पुष्प कुमार जी ने छोटी बहर की बेहद हृदयस्पर्शी ग़ज़ल पेश की। डॉ. प्रतिभा कुमारी जी ने " हमारे देश की मिट्टी बहुत ही साफ-सुथरी है " जैसे देश भक्ति के संदेश देते हुए चंद मार्मिक मुक्तक प्रस्तुत किए। संजीव प्रभाकर जी ने " हमारी शान है हिंदी " बेहद खूबसूरत हृदयस्पर्शी खनकती हुई आवाज़ में ग़ज़ल पेश की। अंजुम अंशुमान जी ने " उजाले को अपना बना ना सके हम/ अंधेरा धरा से मिटा ना सके हम। " अति प्रेरक, मनभावन, सार्थक एवं अभिनंदनीय भावाभिव्यक्तिपूर्ण एक मतला और चंद शेर पेश किए। मधुरेश नारायण जी ने " आकर बगिया को बचा ले माली" एक संदेश व आव्हानपूर्ण रचना प्रस्तुत की।
कवि घनश्याम जी ने " जाने ना दूंगा...। " बहुत ही अच्छे अंदाज़ में अपनी उत्कृष्ट रचना पढ़ी। युवा कवि महेश राठौड़ जी ने " ज़िंदगी एक पहेली सी थी सुलझाने में बीत गयी" अत्यंत उत्कृष्ट कोटि की मधुरम भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की। राजेन्द्र राज जी ने " खो गई नदी, आसमां खो गया" ग़ज़ल बेहद दिलकश आवाज़ और अंदाज़ में बेहद संजीदगी के साथ पेश किया। कवि रमेश कंवर जी ने " नाम हूं मैं, मेरा पता तुम हो " को अपने सरस अंदाज़ में प्रस्तुत किया।जो कि अत्यंत सार्थक एवं प्रशंसनीय सृजना बन पड़ी है।
आप सभी प्रबुद्ध कवियों का हृदय तल की गहराईयों से हार्दिक अभिनंदन करता हूं। सभी कवियों की कविता-ग़ज़ल,मुक्तक सुनकर हृदय भाव विभोर हो गया। सभी रचनाएं उच्च कोटि की प्रेरक, मार्मिक, अति मनभावन, मृदुल, मनोरम, सार्थक, संदेशप्रद व श्रेष्ठ रचनाएं थीं।
मैं आप सभी रचनकारों की सार्थक साहित्य साधना को नमन करता हूं। आपकी क़लम को नमन करता हूं। यदि भूल से कोई नाम रह गया हो तो क्षमा चाहता हूं। आप सभी को हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं।
दो पंक्तियां हमारी भी-
जहां गंगा- जमनी तहज़ीब के दरिया बहते हैं/ उस सरज़मीं को हम हिन्दोस्तां कहते हैं/ हमें इसके ज़र्रे- ज़र्रे पर नाज़ है/ क्योंकि, मुल्क मेरा दुनिया का सरताज़ है।"
देशभर के करीब 25 कवियों की हिस्सेदारी रही, जिसे फेसबुक पटल पर 500 से अधिक लोगों ने देखा और सैकड़ों लोगों ने अपने विचार भी व्यक्त किए l
♦️🔷♦️🔷 ऑनलाइन कवि सम्मेलन में पढ़ी गई कुछ कविताओं के प्रमुख अंश🔷♦️🔷♦️🔷♦️
♦️ भगवती प्रसाद द्विवेदी:
जहाँ धैर्य है, सृजन है, कहाँ टिकेगी रात,
विजयी होगी मनुजता,
होगा स्वर्ण प्रभात ।
नवगीत:अंतर की अकुलाहट
आंधी बन बटमार सभी
दहशत से दिल दहलाते,
जीवट वाले अँधियारे में
फिर भी जोत जलाते ,
सिंकिया हिम्मत से जब
ताकतवर की नींद उड़ाए
अंतर की असह्य अकुलाहट
लिखने को उकसाए ।
सिद्धेश्वर:बिखरे शब्दों को आपने सुंदर कर दिया l
जज्बात को हमारे दिल के अंदर कर दिया ll
हमने जो उम्मीदों का फूल फेंका उन पर l
जलजली आंखों ने उसे खंजर कर दिया l
♦️डाॅ पुष्पा जमुआर"देते हो चुभन क्यों? " हर बात पर तुम मुझको/ देतो हो चुभन क्यों?
तुम से हीं है शुरू/तुम पे हीं है खत्म
जबसे तुम्हें देखा/ कहीं और नहीं देखा
इल्जाम कोरे नैनों को/ देते हो भला क्यों?
हर नाज़ उठाएं हैं /तुम्हारी कही-अनकही का
ताक़त समझ बैठे क्यों?
🔷 पूनम सिन्हा श्रेयसी:
मुहब्बत मिरी दे रही है गवाही।
हुई है अभी तक गज़ब की तबाही।।
तिरे हुश्न पे मैं फ़िदा हो गया हूँ।
शहद से भरी इक तू जैसे सुराही।।
🔷 डॉक्टर सतीश चन्द्र भगत (दरभंगा):
मानव हैं तो जीवन में कुछ ऐसा करना चाहिए,
करने के लिए पूर्व निश्चित लक्ष्य होना चाहिए |
लेकिन जीवन की मंजिल होती है बहुत लंबी,
मंजिल तक पहुँच के लिए दृढ़ संकल्प चाहिए |
हो हृदय में अदम्य साहस कार्य योजनाबद्ध भी,
निश्चित लक्ष्य को लेकर आगे पग उठाना चाहिए|
🔷 घनश्याम कलयुगी (नई दिल्ली):
प्यार की परिभाषा देश प्रेमियों से
ज्यादा, कौन परिभाषित करेगा।
प्यार उसी का हैं, जो त्याग,
तपस्या तमाम बलिदान करेगा।।
सीमा की सुरक्षा में सीमा
सहचर, खड़े हैं सीना तान।
♦️ अपूर्व कुमार (वैशाली)
मैं /कविता से /प्रेम
करता हूँ /अक्सर/मैं उसकी
तलाश /करता हूँ /उसकी
बिखरी सी/सूरत का
/जब कभी
मुझे /अहसास है/होता
बेचैन हो उठता हूँ /मैं /उसके मिलन
को/और /इसी बेचैनी में
मैंने /उठा ली है
कलम /जिसकी नींब
इस /कोरे कागज के
बदन को /चूमती /जा रही है
शायद /मेरी कविता /मेरे
निकट आ रही है /लो आ गयी
मेरी कविता मैं/बेसुध हुआ
मिलन के आनंद में /क्योंकि मैं
कविता से
प्रेम /करता हूँ ।
♦️ संजीव ठाकुर:
" तेरी,शहर तेरा,मंजिल तेरी,
पल ठहर जायेंगे,मर्जी होगी तेरी,
शब्द तेरे,छंद तेरे,कविता तेरी,
गुनगुनायेँगे हम,हामी होगी तेरीl
आसमान तेरा,रंग तेरे,परिंदे तेरे,
उकेरेंगे आकृति, गर मर्जी होगी तेरी.
🔷ऋचा वर्मा :
" आजकल मेरे शहर चौड़ी सड़कों के फुटपाथों पर अजीब मुर्दनी सी छाई है।
कोई विकास नाम का प्राणी है, जिसके निशाने पर है,
हजारों हरे - भरे बेजुबान बेबस से वृक्ष,
और फुटपाथों पर अपनी छोटी - मोटी दुकान सजाये,
ईमानदारी भरे तरीके से अपनी आजीविका चलाने को कटिबद्ध कुछ इंसानों को l
🔷 मधुरेश नारायण:
न हक़ीक़त छुपती है न,ही ख़्वाब जलता है।
यह तो खुद की आँखों में सब की पलता है।
एक न एक दिन हक़ीक़त सामने आती है।
स्वप्न पूरे होते है,सूरज जब निकलता !!"
♦️ जयंत:
मंजिलें मेरे पास ही थीं
और उनके लिए राह थी।
दूसरों का साथ देना औ,
मंजिल तक पहुँचाना ही
मेरी कुछ आदत बन गई।
सब छुप कर हँसते रहे,
मुझे बेकार समझते रहे।
स्वयं को लुटा कर पीठi
पीछे ठहाके लगा लेना
मेरी कुछ आदत बन गई।
♦️ डॉ मीना कुमारी परिहार:
" अंधेरों से ना घबराओ
अभी तो रात बाकी है
तुम्हारे ज़ख़्म हैं ज़िन्दा
मेरी सौगात बाकी है !!"
🔷 पुष्प रंजन कुमार ( अरवल):
" है नेक इरादा ,
तो मुलाकात करो ।
चाहत विवादों के हल का है,
तो रू -ब -रू बात करो ।
यूँ तो इच्छा अमन का रखते हैं हम,
तू जंग का ही ख्वाहिशमंद है ,
तो शुरूआत करो !!"
♦️ऋचा वर्मा :
" बिटिया मेरी बिटिया, प्यारी सी बिटिया
फूलों सी नाजुक, परियों सी सुंदर,
किसी सल्तनत की राजकुमारी सी बिटिया।
न ढोल न ताशे, न लोगों की बधाई,!"
🔷 अमरेंद्र अंशुमान झारखंड):
" मसला कोई भी देर तक टाला नहीं जाता !
जख़्मों को पूरी उम्र संभाला नहीं जाता !!
तासीर हर इक दर्द का होता नहीं यक सा !
सांचे में हर इक दर्द को ढाला नहीं जाता !! "
♦️डॉ एम के मधु:
"मौसम बहुत उदास आने लगे हैं,
बेरंगत, बेलौस, बदहवास आने लगे हैं,
हवा बदचलन हो गई है,
फूलों की गलियों से गंदे बास आने लगे हैं।
--* प्रस्तुति : सिद्धेश्वर /
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद मोबाइल 92347 60365
अरविंद अंशुमान( झारखंड) ने " मसला कोई भी देर तक टाला नहीं जाता, जख्मों को पूरी उम्र संभाला नहीं जाता ! "/ संजीव प्रभाकर (गुजरात) ने "हमारी आन हिंदी है, हमारी शान हिंदी है!, हमारे देश का गौरव तथा सम्मान हिंदी है !!"/ मधुरेश नारायण ने "आकर बगिया को बचा ले माली असमय ही कहीं मुरझा न जाए ! "/भगवती प्रसाद द्विवेदी ने -' जहां धैर्य है, सृजन है, कहां टिकेगी रात, विजयी होगी मनुष्यता, होगा स्वर्ण प्रभात !"/सिद्धेश्वर ने -" साहित्य के नाम पर धंधेबाज़ी, हमसे ना होगा !"/रमेश कँवल ने " बलखाती हुई सफर चांदनी का है, मस्ती है चांदनी रात है, किस्सा नदी का है ! "? /सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु) ने -" मत बन कायर तू, कायर का जयगान नहीं होता !"
पूनम सिन्हा श्रेयसी ने -"मोहब्बत मेरी दे रही है गवाही, हुई है अभी तक गजब की तबाही ! " /पुष्परंजन कुमार( अरवल)ने " है नेक इरादा तो, मुलाकात करो!, तुझे जंग का ही ख्वाहिश है, तो शुरुआत करो ! "/के. के.सिंह ( झारखंड) ने-" लगता कौन कैसा कब, यह बताता है आईना, सबका सिर्फ सच ही दिखाता है आईना ! "/ऋचा वर्मा ने -" न ढोल , न तासे, ना लोगों को बधाई, कुछ भी नहीं हुआ बिटिया जिस दिन तू इस धरती पर आई ! "/पुष्पा जमुआर ने - " हर बात पर तुम मुझको देते हो चुभन क्यों? "/ जयंत ने-" मंजिलें मेरे पास ही थी, और उनके लिए राह थी ! "?
रशीद गौरी (राजस्थान )ने " रह गया है बस वफाओं का नाम आजकल, एक दिखावा है दुनिया में, आम आजकल! और इन कवियों के साथ, मीना कुमारी परिहार, संजीव कुमार (रायपुर), अलका वर्मा, अरुण कुमार( वैशाली ), प्रतिभा पराशर( हाजीपुर), महेश राठौड़( रीवा ), , घनश्याम कलयुगी ( नई दिल्ली), एम के मधु, सतीश चंद्र( दरभंगा), राजेंद्र राज (झाझा ), कुमारी पूजा गुप्ता (चुनार) आदि 25 से अधिक नए- पुराने कवियों ने, गीत, गजल और समकालीन कविताओं की सशक्त प्रस्तुति दी !मौका था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में ऑनलाइन आयोजित अखिल भारतीय हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन का !
फेसबुक के " अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " के पेज पर लाइव इस कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए, संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने कहा कि - " कोई भी जीवंत कविता, हमेशा मनुष्यता का पक्षधर होती है ! इसलिए, साहित्य के नाम पर धंधेबाज़ी हमसे ना होगा !
कविता इंसान के भीतर की जज्बात को, आदर्श और नैतिकता से जोड़ता है और अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रेरणा देता हैl एक संवेदनहीन इंसान सफल और जीवंत अभी हो ही नहीं सकता! इसीलिए हमें सार्थक कविता की ओर अपना ध्यान देना चाहिए और शब्दों की कलाबाजी से बचते हुए, हृदय की सहजता को लयात्मक से जोड़ना चाहिए l ताकि कविता असहज महसूस ना हो l"
इस लाइक कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि - " कृत्रिम और कलाबाज़ी से दूर, सहज ढंग से कही गई बात को कह देना ही जीवंत कविता है l समकालीन कविता हो या छंदवाली कविता, , उसकी सार्थकता भी इसी में है कि वह मानवीय संवेदना को जगाए !
उन्होंने विस्तार से कहा कि - "चाहे समकालीन कविता हो अथवा छंदोबद्ध, उसकी सार्थकता तभी है, जब वह मानवीय संवेदना जगाए और प्रतिकूलताओं के बीच भी जद्दोजहद के लिए जरूरी पहल करे ।अनुभव व अनुभूति की आंच में पगी सच्ची कविता सीधे पाठक-श्रोता के दिल में उतर जाती है और अंतर्मन को देर तक उद्वेलित, झंकृत करती रहती है ।
जहाँ धैर्य है, सृजन है, कहाँ टिकेगी रात,
विजयी होगी मनुजता, /होगा स्वर्ण प्रभात ।"
कवि सम्मेलन के अध्यक्ष रशीद गौरी( राजस्थान )ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान के पठित कविताओं पर विस्तृत टिप्पणी प्रस्तुत किया l
अखिल भारतीय हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन-, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के फेसबुक पेज पर आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में आप सभी वरिष्ठ कवि मनीषियों, युवा कवियों एवं कार्यक्रम के संयोजक यशस्वी कवि, कथाकार, ग़ज़लकार कवि सिद्धेश्वर जी का हार्दिक अभिनंदन। सादर वंदन।
साहित्य सृजन एक कठिन कार्य है। मां सरस्वती की कृपा जिस पर होती है, उसको कवि बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। कविता केवल प्रेम,हर्ष, उल्लास, उमंग व मनोरंजन का साधन मात्र ही नहीं बल्कि निराशा, हताशा, अवसाद के क्षणों में कविता मनुष्य को सुकून देने का महत्ती कार्य करती है। काव्य में भाव, लालित्य, कल्पना, यथार्थ की अनगिनत उड़ान होती है।
हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे भीतर संवेदनशील कवित्व का अंश मौजूद है। कविता हमें मानवीय संवेदना और मनुष्यता से जोड़ती है।
सभी कवियों की कविताएं उत्कृष्ट, भावपूर्ण, सारगर्भित, संदेशप्रद एवं प्रेरणा देती हुईं उच्च कोटि की हैं। जो कुछ ना कुछ समाज को संदेश देती हुईं प्रतीत होती हैं। साहित्य समाज का दर्पण होता है। कवि- साहित्यकार वही लिखता है जो वह समाज में देखता, सुनता और समझता है।
सर्वप्रथम, कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपने उदबोधन के पश्चात, " अन्तर्मन की असहनीय उकताहट लिखने को उकसा दे..." व्यक्ति के भीतर की पीड़ा को अभिव्यक्त करती भावपूर्ण रचना प्रस्तुत कीं। जो अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि की श्रेष्ठ रचना बन पड़ी है।
युवा कवयित्री बहन पूजा गुप्ता (चुनार ) जी ने " हां मैं एकबार फिर से प्यार करना चाहती हूं। " प्यार का अनुपम संदेश देती हृदयस्पर्शी रचना पढ़ी। वरिष्ठ कवि के.के.सिंह जी ने " सहेजकर रखना इसे, नहीं तो यह एक दिन, दिल सा टूटकर बिखर जाता है " ये आईना, अपनी शानदार आवाज़ और अंदाज़ में बहुत सुंदर ग़ज़ल पेश की।जो अति मनभावन, मृदुल एवं उत्कृष्ट रचना है। इसके पश्चात, पुष्पा जमुआर जी ने नारी के संदर्भ में अपनी उत्कृष्ट काव्य रचना को प्रस्तुत किया। पुष्प कुमार जी ने छोटी बहर की बेहद हृदयस्पर्शी ग़ज़ल पेश की। डॉ. प्रतिभा कुमारी जी ने " हमारे देश की मिट्टी बहुत ही साफ-सुथरी है " जैसे देश भक्ति के संदेश देते हुए चंद मार्मिक मुक्तक प्रस्तुत किए। संजीव प्रभाकर जी ने " हमारी शान है हिंदी " बेहद खूबसूरत हृदयस्पर्शी खनकती हुई आवाज़ में ग़ज़ल पेश की। अंजुम अंशुमान जी ने " उजाले को अपना बना ना सके हम/ अंधेरा धरा से मिटा ना सके हम। " अति प्रेरक, मनभावन, सार्थक एवं अभिनंदनीय भावाभिव्यक्तिपूर्ण एक मतला और चंद शेर पेश किए। मधुरेश नारायण जी ने " आकर बगिया को बचा ले माली" एक संदेश व आव्हानपूर्ण रचना प्रस्तुत की।
कवि घनश्याम जी ने " जाने ना दूंगा...। " बहुत ही अच्छे अंदाज़ में अपनी उत्कृष्ट रचना पढ़ी। युवा कवि महेश राठौड़ जी ने " ज़िंदगी एक पहेली सी थी सुलझाने में बीत गयी" अत्यंत उत्कृष्ट कोटि की मधुरम भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की। राजेन्द्र राज जी ने " खो गई नदी, आसमां खो गया" ग़ज़ल बेहद दिलकश आवाज़ और अंदाज़ में बेहद संजीदगी के साथ पेश किया। कवि रमेश कंवर जी ने " नाम हूं मैं, मेरा पता तुम हो " को अपने सरस अंदाज़ में प्रस्तुत किया।जो कि अत्यंत सार्थक एवं प्रशंसनीय सृजना बन पड़ी है।
आप सभी प्रबुद्ध कवियों का हृदय तल की गहराईयों से हार्दिक अभिनंदन करता हूं। सभी कवियों की कविता-ग़ज़ल,मुक्तक सुनकर हृदय भाव विभोर हो गया। सभी रचनाएं उच्च कोटि की प्रेरक, मार्मिक, अति मनभावन, मृदुल, मनोरम, सार्थक, संदेशप्रद व श्रेष्ठ रचनाएं थीं।
मैं आप सभी रचनकारों की सार्थक साहित्य साधना को नमन करता हूं। आपकी क़लम को नमन करता हूं। यदि भूल से कोई नाम रह गया हो तो क्षमा चाहता हूं। आप सभी को हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं।
दो पंक्तियां हमारी भी-
जहां गंगा- जमनी तहज़ीब के दरिया बहते हैं/ उस सरज़मीं को हम हिन्दोस्तां कहते हैं/ हमें इसके ज़र्रे- ज़र्रे पर नाज़ है/ क्योंकि, मुल्क मेरा दुनिया का सरताज़ है।"
♦️🔷♦️🔷 ऑनलाइन कवि सम्मेलन में पढ़ी गई कुछ कविताओं के प्रमुख अंश🔷♦️🔷♦️🔷♦️
♦️ भगवती प्रसाद द्विवेदी:
जहाँ धैर्य है, सृजन है, कहाँ टिकेगी रात,
विजयी होगी मनुजता,
होगा स्वर्ण प्रभात ।
नवगीत:अंतर की अकुलाहट
आंधी बन बटमार सभी
दहशत से दिल दहलाते,
जीवट वाले अँधियारे में
फिर भी जोत जलाते ,
सिंकिया हिम्मत से जब
ताकतवर की नींद उड़ाए
अंतर की असह्य अकुलाहट
लिखने को उकसाए ।
सिद्धेश्वर:बिखरे शब्दों को आपने सुंदर कर दिया l
जज्बात को हमारे दिल के अंदर कर दिया ll
हमने जो उम्मीदों का फूल फेंका उन पर l
जलजली आंखों ने उसे खंजर कर दिया l
♦️डाॅ पुष्पा जमुआर"देते हो चुभन क्यों? " हर बात पर तुम मुझको/ देतो हो चुभन क्यों?
तुम से हीं है शुरू/तुम पे हीं है खत्म
जबसे तुम्हें देखा/ कहीं और नहीं देखा
इल्जाम कोरे नैनों को/ देते हो भला क्यों?
हर नाज़ उठाएं हैं /तुम्हारी कही-अनकही का
ताक़त समझ बैठे क्यों?
🔷 पूनम सिन्हा श्रेयसी:
मुहब्बत मिरी दे रही है गवाही।
हुई है अभी तक गज़ब की तबाही।।
तिरे हुश्न पे मैं फ़िदा हो गया हूँ।
शहद से भरी इक तू जैसे सुराही।।
🔷 डॉक्टर सतीश चन्द्र भगत (दरभंगा):
मानव हैं तो जीवन में कुछ ऐसा करना चाहिए,
करने के लिए पूर्व निश्चित लक्ष्य होना चाहिए |
लेकिन जीवन की मंजिल होती है बहुत लंबी,
मंजिल तक पहुँच के लिए दृढ़ संकल्प चाहिए |
हो हृदय में अदम्य साहस कार्य योजनाबद्ध भी,
निश्चित लक्ष्य को लेकर आगे पग उठाना चाहिए|
🔷 घनश्याम कलयुगी (नई दिल्ली):
प्यार की परिभाषा देश प्रेमियों से
ज्यादा, कौन परिभाषित करेगा।
प्यार उसी का हैं, जो त्याग,
तपस्या तमाम बलिदान करेगा।।
सीमा की सुरक्षा में सीमा
सहचर, खड़े हैं सीना तान।
♦️ अपूर्व कुमार (वैशाली)
मैं /कविता से /प्रेम
करता हूँ /अक्सर/मैं उसकी
तलाश /करता हूँ /उसकी
बिखरी सी/सूरत का
/जब कभी
मुझे /अहसास है/होता
बेचैन हो उठता हूँ /मैं /उसके मिलन
को/और /इसी बेचैनी में
मैंने /उठा ली है
कलम /जिसकी नींब
इस /कोरे कागज के
बदन को /चूमती /जा रही है
शायद /मेरी कविता /मेरे
निकट आ रही है /लो आ गयी
मेरी कविता मैं/बेसुध हुआ
मिलन के आनंद में /क्योंकि मैं
कविता से
प्रेम /करता हूँ ।
♦️ संजीव ठाकुर:
" तेरी,शहर तेरा,मंजिल तेरी,
पल ठहर जायेंगे,मर्जी होगी तेरी,
शब्द तेरे,छंद तेरे,कविता तेरी,
गुनगुनायेँगे हम,हामी होगी तेरीl
आसमान तेरा,रंग तेरे,परिंदे तेरे,
उकेरेंगे आकृति, गर मर्जी होगी तेरी.
🔷ऋचा वर्मा :
" आजकल मेरे शहर चौड़ी सड़कों के फुटपाथों पर अजीब मुर्दनी सी छाई है।
कोई विकास नाम का प्राणी है, जिसके निशाने पर है,
हजारों हरे - भरे बेजुबान बेबस से वृक्ष,
और फुटपाथों पर अपनी छोटी - मोटी दुकान सजाये,
ईमानदारी भरे तरीके से अपनी आजीविका चलाने को कटिबद्ध कुछ इंसानों को l
🔷 मधुरेश नारायण:
न हक़ीक़त छुपती है न,ही ख़्वाब जलता है।
यह तो खुद की आँखों में सब की पलता है।
एक न एक दिन हक़ीक़त सामने आती है।
स्वप्न पूरे होते है,सूरज जब निकलता !!"
♦️ जयंत:
मंजिलें मेरे पास ही थीं
और उनके लिए राह थी।
दूसरों का साथ देना औ,
मंजिल तक पहुँचाना ही
मेरी कुछ आदत बन गई।
सब छुप कर हँसते रहे,
मुझे बेकार समझते रहे।
स्वयं को लुटा कर पीठi
पीछे ठहाके लगा लेना
मेरी कुछ आदत बन गई।
♦️ डॉ मीना कुमारी परिहार:
" अंधेरों से ना घबराओ
अभी तो रात बाकी है
तुम्हारे ज़ख़्म हैं ज़िन्दा
मेरी सौगात बाकी है !!"
🔷 पुष्प रंजन कुमार ( अरवल):
" है नेक इरादा ,
तो मुलाकात करो ।
चाहत विवादों के हल का है,
तो रू -ब -रू बात करो ।
यूँ तो इच्छा अमन का रखते हैं हम,
तू जंग का ही ख्वाहिशमंद है ,
तो शुरूआत करो !!"
♦️ऋचा वर्मा :
" बिटिया मेरी बिटिया, प्यारी सी बिटिया
फूलों सी नाजुक, परियों सी सुंदर,
किसी सल्तनत की राजकुमारी सी बिटिया।
न ढोल न ताशे, न लोगों की बधाई,!"
🔷 अमरेंद्र अंशुमान झारखंड):
" मसला कोई भी देर तक टाला नहीं जाता !
जख़्मों को पूरी उम्र संभाला नहीं जाता !!
तासीर हर इक दर्द का होता नहीं यक सा !
सांचे में हर इक दर्द को ढाला नहीं जाता !! "
♦️डॉ एम के मधु:
"मौसम बहुत उदास आने लगे हैं,
बेरंगत, बेलौस, बदहवास आने लगे हैं,
हवा बदचलन हो गई है,
फूलों की गलियों से गंदे बास आने लगे हैं।
--* प्रस्तुति : सिद्धेश्वर /
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद मोबाइल 92347 60365
11. "हिंदी साहित्य भारती" की ऑनलाइन 'राष्ट्रीय लघुकथा-काव्यगोष्ठी' 19.7.2020 को संपन्न
राष्ट्रीय संस्था "हिंदी साहित्य भारती" के तत्वावधान् में गत दिवस ऑनलाइन साप्ताहिक "अखिल भारतीय लघुकथा, काव्य - गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सम्पूर्ण देश से जुड़े प्रख्यात साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत सामयिक संदर्भों, राष्ट्रीय भावनाओं से ओत -प्रोत, शृंगार और भक्ति से सराबोर गीतों, कविताओं एवं भावप्रणव लघुकथाओं का रसास्वादन कर श्रोता रसाभिभूत हो गए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य देवेंद्र देव, बरेली वरिष्ठ साहित्यकार एवं मुख्यातिथ्य- डॉ. कमलेश मिश्रा, गोआ द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ. प्रीति यादव, सागर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री गीता 'गीत' द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण 'वाणी वंदना' से हुआ।
कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे देशभर के साहित्य साधकों ने एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं।कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए आचार्य देवेंद्र देव ने इस संस्था के मार्गदर्शक श्रीधर पराडकर, संस्था अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र शुक्ल एवं राष्ट्रीय मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह द्वारा इस संस्था के गठन एवं सुसंचालन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा "हिंदी साहित्य भारती" ने साहित्यानुरागियों, रचनाधर्मियों एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को एक साथ जोड़ कर हिंदी के उन्नयन के लिए महती भूमिका का निर्वहन किया है। यह मंच राष्ट्रहित-चिंतन, साहित्यिक सार्थकता का प्रतिमान है। उन्होंने आह्वान गीत की ओजपूर्ण प्रस्तुति दी, "हम स्वयं तिमिर को दलने के अभ्यासी हैं, इस धरती पर हरदम रहती है रात नहीं!"
मुख्य अतिथि कमलेश मिश्रा ने "दहेज" पर बहुत ही मार्मिक एवं भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की- सुनो किसी नन्ही कली के बयान.."
कार्यक्रम में मनोज मिश्रा "कप्तान", दिल्ली का सुंदर कजरी- गीत सभी के हृदय को झंकृत कर गया - "पावस बूँद झरै जस मोती..।
हरे रामा पपिहा की प्रीत पुरानी, रोपहिं धान किसान कुमारी..भीजत चूँदर धानी..
इसी क्रम में रामगोपाल "भावुक" ने सामयिक लघुकथा "सोशल डिस्टेंसिंग " प्रस्तुत की, जो हृदय को छू गई। आचार्य धनंजय पाठक, झारखंड ने यथार्थपरक एक लघुकथा "अजीब भिखारी" द्वारा विद्रूपताओं पर तीखा कटाक्ष किया।
क्रम को आगे बढ़ाते हुए, डॉक्टर सुनीता मंडल ने भावप्रधान कथा "अदब की गुंजाइश" का वाचन कर प्रकृति से संवाद करने का सुन्दर बिंब प्रस्तुत किया।
गीत प्रस्तुति के क्रम में प्रह्लाद सोनी, भीलवाड़ा ने भावप्रणव रचना पढ़ी, "पंख फैलाकर गगन में उड़ रहा हूँ बन परिंदा..
डॉ. गजे सिंह अंजान ने "जब पार्थ अपनों को युद्ध में देख विचलित हो गये, तब कान्हा धर्म की व्याख्या करते..." गाकर श्रोताओं को आध्यात्मिकता का स्पर्श करवा दिया।पटना बिहार की डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव ने, आधुनिक पीढ़ी की संवेदनहीनता को रेखांकित करते हुए मार्मिक लघुकथा "पवजी" प्रस्तुत की।
अगले क्रम में डॉ रेखा मेनन, बैंगलोर ने "मेरी तन्हाई" कविता प्रस्तुत की, "यूं रात के अंधेरे में लालटेन पकड़ कर घूम रहा था.." डॉ.अलका पांडे, मुंबई की लघुकथा प्रस्तुति ने हृदय की संवेदनाओं का स्पर्श कर लिया। डॉ मंजुलता आर्य ने सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करते हुए लघुकथा "तर्पण" प्रस्तुत कर इस पर सोचने के लिए विवश कर दिया।
इसी क्रम में डॉ अवधेश चंसौलिया ने "सपने देखे रूठ गए सब, उनको देखें और कहाँ तक.. व्यंग्य गीत सुनाकर श्रोताओं को गुदगुदाया। रचनाकारों ने अपनी श्रेष्ठ प्रस्तुति देकर मंच को ऊँचाइयाँ प्रदान की।कार्यक्रम बहुत ही गरिमामय रहा।
अंत में, संचालक डॉ. प्रीति यादव, सागर ने मंच, संचालक मंडल, साहित्य मनीषियों, श्रोताओं एवं मीडिया के संवाददाताओं का आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह, डॉ.केशव देव शर्मा, रामचरण" रुचिर", सूरजमल मंगल, डॉ.राजेन्द्र शुक्ल "सहज", डॉ.लता चौहान, डॉ. कुमुद बाला, डॉ. सुरभि दत्त, डॉ सुखदेव माखीजा, उपेंद्र कस्तूरे, वी.पी.सिंह जादौन गुना, अविनाश साहू, वंदना गुप्ता,अशोक गोयल, जगदीश शर्मा, डॉ.जमुनाकृष्णराज, कमलेश मौर्य "मृदु"आदि सहित समूह के सभी सदस्यों ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन का रसास्वादन करते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर कवियों का उत्साहवर्धन किया। इस तरह से यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा ।
......
प्रेषित - डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
प्रेषक का ईमेल आईडी - annpurnashrivastava1@gmail.com
कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य देवेंद्र देव, बरेली वरिष्ठ साहित्यकार एवं मुख्यातिथ्य- डॉ. कमलेश मिश्रा, गोआ द्वारा किया गया। मंच संचालन डॉ. प्रीति यादव, सागर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री गीता 'गीत' द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण 'वाणी वंदना' से हुआ।
कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे देशभर के साहित्य साधकों ने एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट प्रस्तुतियां दीं।कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए आचार्य देवेंद्र देव ने इस संस्था के मार्गदर्शक श्रीधर पराडकर, संस्था अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र शुक्ल एवं राष्ट्रीय मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह द्वारा इस संस्था के गठन एवं सुसंचालन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा "हिंदी साहित्य भारती" ने साहित्यानुरागियों, रचनाधर्मियों एवं समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को एक साथ जोड़ कर हिंदी के उन्नयन के लिए महती भूमिका का निर्वहन किया है। यह मंच राष्ट्रहित-चिंतन, साहित्यिक सार्थकता का प्रतिमान है। उन्होंने आह्वान गीत की ओजपूर्ण प्रस्तुति दी, "हम स्वयं तिमिर को दलने के अभ्यासी हैं, इस धरती पर हरदम रहती है रात नहीं!"
मुख्य अतिथि कमलेश मिश्रा ने "दहेज" पर बहुत ही मार्मिक एवं भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की- सुनो किसी नन्ही कली के बयान.."
कार्यक्रम में मनोज मिश्रा "कप्तान", दिल्ली का सुंदर कजरी- गीत सभी के हृदय को झंकृत कर गया - "पावस बूँद झरै जस मोती..।
हरे रामा पपिहा की प्रीत पुरानी, रोपहिं धान किसान कुमारी..भीजत चूँदर धानी..
इसी क्रम में रामगोपाल "भावुक" ने सामयिक लघुकथा "सोशल डिस्टेंसिंग " प्रस्तुत की, जो हृदय को छू गई। आचार्य धनंजय पाठक, झारखंड ने यथार्थपरक एक लघुकथा "अजीब भिखारी" द्वारा विद्रूपताओं पर तीखा कटाक्ष किया।
क्रम को आगे बढ़ाते हुए, डॉक्टर सुनीता मंडल ने भावप्रधान कथा "अदब की गुंजाइश" का वाचन कर प्रकृति से संवाद करने का सुन्दर बिंब प्रस्तुत किया।
गीत प्रस्तुति के क्रम में प्रह्लाद सोनी, भीलवाड़ा ने भावप्रणव रचना पढ़ी, "पंख फैलाकर गगन में उड़ रहा हूँ बन परिंदा..
डॉ. गजे सिंह अंजान ने "जब पार्थ अपनों को युद्ध में देख विचलित हो गये, तब कान्हा धर्म की व्याख्या करते..." गाकर श्रोताओं को आध्यात्मिकता का स्पर्श करवा दिया।पटना बिहार की डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव ने, आधुनिक पीढ़ी की संवेदनहीनता को रेखांकित करते हुए मार्मिक लघुकथा "पवजी" प्रस्तुत की।
अगले क्रम में डॉ रेखा मेनन, बैंगलोर ने "मेरी तन्हाई" कविता प्रस्तुत की, "यूं रात के अंधेरे में लालटेन पकड़ कर घूम रहा था.." डॉ.अलका पांडे, मुंबई की लघुकथा प्रस्तुति ने हृदय की संवेदनाओं का स्पर्श कर लिया। डॉ मंजुलता आर्य ने सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करते हुए लघुकथा "तर्पण" प्रस्तुत कर इस पर सोचने के लिए विवश कर दिया।
इसी क्रम में डॉ अवधेश चंसौलिया ने "सपने देखे रूठ गए सब, उनको देखें और कहाँ तक.. व्यंग्य गीत सुनाकर श्रोताओं को गुदगुदाया। रचनाकारों ने अपनी श्रेष्ठ प्रस्तुति देकर मंच को ऊँचाइयाँ प्रदान की।कार्यक्रम बहुत ही गरिमामय रहा।
अंत में, संचालक डॉ. प्रीति यादव, सागर ने मंच, संचालक मंडल, साहित्य मनीषियों, श्रोताओं एवं मीडिया के संवाददाताओं का आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह, डॉ.केशव देव शर्मा, रामचरण" रुचिर", सूरजमल मंगल, डॉ.राजेन्द्र शुक्ल "सहज", डॉ.लता चौहान, डॉ. कुमुद बाला, डॉ. सुरभि दत्त, डॉ सुखदेव माखीजा, उपेंद्र कस्तूरे, वी.पी.सिंह जादौन गुना, अविनाश साहू, वंदना गुप्ता,अशोक गोयल, जगदीश शर्मा, डॉ.जमुनाकृष्णराज, कमलेश मौर्य "मृदु"आदि सहित समूह के सभी सदस्यों ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन का रसास्वादन करते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर कवियों का उत्साहवर्धन किया। इस तरह से यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा ।
......
प्रेषित - डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
प्रेषक का ईमेल आईडी - annpurnashrivastava1@gmail.com
10. अग्निशिखा की 33वीं काव्यगोष्ठी एवं सम्मान समारोह 28.1.2020 को कोपरखरणे (नवी मुम्बई) में सम्पन्न
नवी मुम्बई, कोपर खैरणे के सेक्टर 1 में स्थित प्लाट न.74 देविका रो हाउस में 28 जनवरी 2020 की शाम को महान क्रांतिकारी और स्वाधीनता संग्राम के प्रेरणास्रोत लाला राजपत राय की पावन जयन्ती के अवसर पर नोएडा से पधारे वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार शर्मा के सम्मान में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के तत्वावधान में अलका पांडेय के संयोजन में सुंदर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। सरस्वती वंदना गीतकार रामस्वरूप साहू ने प्रस्तुत की । इस अवसर पर अलका पांडेय एवं अनीता झा ने मिलकर शाल श्रीफल से कृष्ण कुमार शर्मा का स्वागत किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्णिमा पांडेय का स्वागत सम्मान मूर्ति कृष्ण कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का अभीभूत कर देने वाला संचालन युवा साहित्यकार पवन तिवारी ने किया। इस अवसर पर युवा कवि समृद्ध कुमार, राम गर्ग, रमाशंकर यादव, सुशीला पाल, ओम प्रकाश पांडेय, ओम प्रकाश सिंह, भारत भूषण शारदा, राम स्वरूप साहू, विश्वम्भर दयाल तिवारी, अनीता झा, आभा झा, शारदेन्दु झा, कुलदीप सिंह, त्रिलोचन सिंह अरोरा, अभिलाज, अलका पांडेय, पूर्णिमा ने अपनी रचनाएँ सुनाकर वाहवाही लूटी। कृष्ण कुमार के गीतों ने सबका मन मोह लिया। सुशीला पाल ने आभार व्यक्त किया।
.......
रपट का आलेख - अलका पाण्डेय
रपट लेखिका का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
LC -222
10. "श्रुति संवाद" द्वारा नीरज को गीतों के जरिए याद किया
नवी मुम्बई, कोपर खैरणे के सेक्टर 1 में स्थित प्लाट न.74 देविका रो हाउस में 28 जनवरी 2020 की शाम को महान क्रांतिकारी और स्वाधीनता संग्राम के प्रेरणास्रोत लाला राजपत राय की पावन जयन्ती के अवसर पर नोएडा से पधारे वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार शर्मा के सम्मान में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के तत्वावधान में अलका पांडेय के संयोजन में सुंदर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। सरस्वती वंदना गीतकार रामस्वरूप साहू ने प्रस्तुत की । इस अवसर पर अलका पांडेय एवं अनीता झा ने मिलकर शाल श्रीफल से कृष्ण कुमार शर्मा का स्वागत किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्णिमा पांडेय का स्वागत सम्मान मूर्ति कृष्ण कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का अभीभूत कर देने वाला संचालन युवा साहित्यकार पवन तिवारी ने किया। इस अवसर पर युवा कवि समृद्ध कुमार, राम गर्ग, रमाशंकर यादव, सुशीला पाल, ओम प्रकाश पांडेय, ओम प्रकाश सिंह, भारत भूषण शारदा, राम स्वरूप साहू, विश्वम्भर दयाल तिवारी, अनीता झा, आभा झा, शारदेन्दु झा, कुलदीप सिंह, त्रिलोचन सिंह अरोरा, अभिलाज, अलका पांडेय, पूर्णिमा ने अपनी रचनाएँ सुनाकर वाहवाही लूटी। कृष्ण कुमार के गीतों ने सबका मन मोह लिया। सुशीला पाल ने आभार व्यक्त किया।
.......
रपट का आलेख - अलका पाण्डेय
रपट लेखिका का ईमेल - alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
LC -222
10. "श्रुति संवाद" द्वारा नीरज को गीतों के जरिए याद किया
महाप्रबंधक कार्यालय राजभाषा मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई
4 जनवरी जन्मदिन पर--
"नीरज के गीतों में दर्शन और संदेश"-डा. रामजी तिवारी
मुंबई। "नीरज ने गीतों के अनेक दौर में स्वयं को समर्थ सिद्ध किया और छह दशक तक मंचों का नेतृत्व किया। उनके प्रणय गीतों में भी दर्शन और संदेश होते थे, इसलिए उनके गीत चेतना के प्रतीक बने।" ये विचार सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ रामजी तिवारी ने "श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी" द्वारा चेंबूर में गीत ऋषि पद्मश्री गोपालदास नीरज के जन्मदिन 4 जनवरी पर आयोजित "नीरज की याद में" कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में कहे । मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार माया गोविंद, राम अतहर, अनिल गौड़, (बलरामपुर), हस्तीमल हस्ती, डॉ. सुमन चौरे (भोपाल) डॉ. रजनीकांत मिश्र ,डॉ.अनंत श्रीमाली, प्रज्ञा विकास, शेखर अस्तित्व आदि ने नीरज को संस्मरणोंऔर गीतों के ज़रिए याद किया। संचालन अरविंद राही ने, स्वागत लक्ष्मी शर्मा और आभार डॉ मेघा श्रीमाली ने माना ।
....
आलेख - डॉ .अनंत श्रीमाली (महासचिव -श्रुति संवाद )
लेखक का ईमेल - shrimalianant@gmail.com
9. 5 दिवसीय "कंप्यूटर पर हिंदी का आधारभूत प्रशिक्षण" पाठ्यक्रम के समापन
"यह प्रशिक्षण आगे ले जाएगा , आप सबसे अलग दिखेंगे" नीलिमा रानी सिंह, उप महानिरीक्षक, सीआईएसएफ
"हिंदी सबको जोड़ कर कारवां बनाती है"डॉ विश्वनाथ झा, उपनिदेशक (प)
मुंबई। 13.1.2020 । "प्रशिक्षण पर सरकार ने जो निवेश किया है, उसकी सार्थकता है कि कार्यालयों में उपयोग हो । यह प्रशिक्षण बहुत आगे ले जाएगा , आप बाकी से अलग दिखेंगे।" ये विचार नीलिमा रानी सिंह, उपमहानिरीक्षक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने बेलापुर में राजभाषा विभाग, भारत सरकार, गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित 5 दिवसीय "कंप्यूटर पर हिंदी का आधारभूत प्रशिक्षण" पाठ्यक्रम के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में कहे।अध्यक्षीय संबोधन में हिंदी शिक्षण योजना के उपनिदेशक (प)डॉ विश्वनाथ झा ने कहा कि भाषा विभेद नहीं करती। भाषा की उत्पत्ति जोड़ने के लिए हुई है। यह दिलों तक पहुंचती है और कंप्यूटर जैसी आधुनिक तकनीक जुड़ जाएं तो कारवां बनता जाता है।"
इस मौके पर डॉ सुष्मिता भट्टाचार्य, उपनिदेशक (का), राजेश सिंह , सहायक निदेशक, केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो ने भी विचार रखे। डॉ अनंत श्रीमाली, सहा. निदे. ने स्वागत और अतिथि परिचय दिया। समारोह का रोचक संचालन भारती सैनी, समन्वयक ने किया। इस मौके पर प्रशिक्षार्थी प्रकाश ठाकुर , फिल्म प्रभाग और संजीव सिंह ने वक्तव्य में प्रशिक्षण को बहुत उपयोगी बताया। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के विभिन्न कार्यालयों --परमाणु बिजलीघर- तारापुर, मध्य रेलवे-- सोलापुर, भारतीय मात्सि्यकी सर्वेक्षण, सांख्यिकीय कार्यालय, आई एन एस तानाजी, विदेश डाक, जीपीओ, नौसेना गोदी वाड़ा, रेलवे विकास कार्पो. लि. , केलोनि विभागआदि के 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया और उन्हें प्रमाण पत्र दिए गए। समारोह में डॉ महेंद्र जैन, रत्ना गोसावी, हिंदी प्राध्यापक भी उपस्थित थे। आभार विनोद शर्मा, सहा. निदे. ने माना । राष्ट्रगान से समापन हुआ।
कार्यक्रम 16.12.2019 से 20.12.2019 तक चला। (चित्र देखिए)
कार्यक्रम 16.12.2019 से 20.12.2019 तक चला। (चित्र देखिए)
आलेख - डॉ अनंत श्रीमाली, सहायक निदेशक एवं समन्वयक, राजभाषा विभाग,
नवी मुंबई
9819051310
(/हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India)
अग्रिमान (काव्य केंद्रित साहित्य-संस्कृति का त्रैमासिक) अक्टूबर-दिसम्बर 2019 का अंक प्रकाशित होकर आ गया है और बिक्री हेतु उपलबध है. प्रति अंक का मूल्य रु. 40 है.
इसके प्रधान सम्पादक डॉ. मनोहर अभय और संयुक्त सम्पादक अशोक प्रीतमानी हैं. इसमें भारत भर के अनेक रचनाकारों की स्तरीय पद्य रचनाएँ प्रमुखता से प्रकाशित हुईं हैं जिनमें अनेक ग़ज़ले, गीत और कविताएँ हैं. अनेक पुस्तक-समीक्षाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रपटें भी हैं. रपटें मुख्यत: मुम्बई के कार्यक्रमों की दिख रही हैं.
एक प्रति ईमेल के माध्यम से बेजोड़ इंडिया को भी प्राप्त हुई है. जनरूचि को महत्व देती हुई स्तरीय साहित्य पत्रिका की भारी कमी को पूरा करने की दिशा में इस पत्रिका की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा सकती है.
........
रपट का आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
LC- 189
END OF THIS PART) 7. भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे द्वारा ठाणे में 28.12.2019 को गोष्ठी सम्पन्न
(जानकारी श्री त्रिलोचन सिंह अरोड़ा एवं अन्य द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप्प संदेश एवं पर आधारित है. 70+ वर्ष उम्र के रचनाकार व्हाट्सएप्प से भी और अन्य सभी केवल ईमेेेल से प्रकाशनार्थ सामग्री दे सकते हैं. व्हाट्सएप्प से प्राप्त जानकारी की सत्यता, मौलिकता आदि के सम्बंध में ब्लॉग की कोई जिम्मेवारी नहीं होगी. - सम्पादक / ईमेल - editorbejodindia@gmail.com)
LC-180
END OF THIS PART)
6. अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा 24.12.2019 अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव को सम्पन्न
अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच द्वारा 24 तथा 25 दिसंबर,.2019 को द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का आयोजन मुंबई के मारवाड़ी पंचायती वाडी सभागृह, सी पी टैंक में किया गया।
संस्था की अध्यक्षा अलका पाण्डेय के अनुसार इसमें डा. अशोक पवार डा. सुशीला पवार , डा . रमेश यादव हरि वाणी, पुरुषोत्तम शुक्ला, डा. जितेन्द्र पाण्डे, डा. रामनयन दुबे, गीतेश गीत, सेवासदन प्रसादऔर आये हुये देश भर के साहित्यकारों ने भाग लिया । मंच संचालक कुमार जैन पवन तिवारी, उमेश चौहान, विनित शंकर, विनय शर्मा दीप, रामप्यारे रघुवंशीय और कथा मंच के सदस्य अश्विन पाण्डेय, नीरजा ठाकुर, निरुपमा शर्मा, वंदना, श्रीवास्तव, चंद्रिका व्यास की भी उपस्थिति रही ।
महोत्सव का उद्घाटन महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे ने किया और संचालन पवन तिवारी ने किया। तीसरे महत्वपूर्ण सत्र हिंदी का वैश्विक स्वरूप और उसकी चुनौतियाँ विषय पर पवन तिवारी मुख्य वक्ता थे। वहीं पाँचवें सत्र मराठी भाषा मे मराठी भाषियों का योगदान में भी वे मुख्य वक्ता था, दूसरे दिन के तीसरे सत्र में भारत के विविध लोकगीत कलाएं एवं उसका संवर्धन में सञ्चालक की भूमिका में वे थे ।
(जानकारी श्री सेवा सदन प्रसाद द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप्प संदेश एवं श्रीमती अलका पाण्डेय एवं श्री पवन तिवारी के वाल पोस्ट (यहाँ क्लिक कीजिए-1, यहाँ क्लिक कीजिए-2) पर आधारित है. सिर्फ 70+ वर्ष उम्र के रचनाकार व्हाट्सएप्प से प्रकाशनार्थ जानकारी दे सकते हैं. व्हाट्सएप्प से प्राप्त जानकारी की सत्यता, मौलिकता आदि के सम्बंध में ब्लॉग की कोई जिम्मेवारी नहीं होगी. - सम्पादक)
LC- 145
END OF THIS PART)
खारघर के महावीर हेरीटेज में अलका पांडेय, त्रिलोचन सिंह अरोड़ा, कविता राजपूत , प्रभा शर्मा और प्रमिला शर्मा आदि ने कुलदीप सिंह 'दीप' द्वारा आयोजित काव्य गुलदस्ता साहित्यिक मंच के कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी अपनी रचनाएँ पढ़ीं. नवी मुम्बई में साहित्यिक अलख जगाए रखने में इसे सार्थक योगदान माना जा सकता है.
नवी मुम्बई के साहित्यकार जो उम्रदराज (72+) होने के बावजूद अपनी स्फूर्ति में सभी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं. वे त्रिलोचन सिंह अरोड़ा और उनसे कुछ कम उम्र के कुलदीप सिंह 'दीप' पिछले रविवार को खारघर (नवी मुम्बई) के एक सहित्यिक कार्यक्रम में सम्मानित हुए. उपस्थित श्रोताओं ने इस काव्य आयोजन का भरपूर आनंद उठाया.
(जानकारी श्री त्रिलोचन सिंह अरोड़ा द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप्प संदेश पर आधारित है. सिर्फ 70+ वर्ष उम्र के रचनाकार व्हाट्सएप्प से प्रकाशनार्थ जानकारी दे सकते हैं. व्हाट्सएप्प से प्राप्त जानकारी की सत्यता, मौलिकता आदि के सम्बंध में ब्लॉग की कोई जिम्मेवारी नहीं होगी. - सम्पादक)
LC- 145
( END OF THIS PART )
(मुख्य पेज पर जायें- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India)
नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिनांक 1.11.2019 को शिव नारायण रचित गजल संग्रह "झील में चाँद" का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने की. मुख्य अतिथि के रूप में देश के प्रसिद्ध कवि-ग़ज़लकार डॉ. लक्ष्मीशंकर बाजपेयी उपस्थित थे जिन्होंने अपना व्याख्यान भी दिया. संचालन दुर्गेश ने और धन्यवाद ज्ञापन निरंजन ने किया.
डॉ. बाजपेयी ने कहा कि हिन्दी गजल की जो यात्रा दुष्यंत कुमार से शुरु होती है और इसके वर्तमान काल में डॉ. शिव नारायण का नाम भी जुड़ गया है. अपने संग्रह के द्वारा शिव नारायण ने भी हिन्दी गजल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
उनके भाषण के पूर्ण देवशंकर नवीन ने डॉ. शिव नारायण का परिचय देते हुए कहा कि भले ही यह गजल संग्रह की उनकी पहली पुस्तक है लेकिन विविध विधाओं में इनकी 46 पुस्तकें आ चुकी हैं. इसके अलावे ये विगत 70 वर्षों से निकलनेवाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका "नई धारा" के सम्पादक भी हैं. शोधार्थी परमिंदर अम्बर ने कहा कि यह गजलकार गहरे अर्थों में प्रेम की अनुभूतियों को जीनेवाला रचनाकार है जो सामाजिक, आर्थिक और पूजीवादी बदलाओं को भी दर्ज करता है. .व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने शिव नारायण की गजलों में मौजूद व्यंग्य की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि सिद्धानतविहीनता, भ्रष्टाचार आदि पर इस ग़जलकार ने तीखा प्रहार किया है. कहानीकार बलराम ने कहा कि यह गजलकार कठिन कथ्य को भी आसानी से कह देने की क्षमता रखता है. है.प्रो. देवेन्द्र चौबे ने गजलकार के धर्मनिरपेक्ष नजरिये पर ध्यान दिलाया.
स्वयं बोलते हुए डॉ. शिवनारायण ने बताया कि किन परिस्थितियों में उनका झुकाव गज़ल की तरफ हुआ. उन्होंने बताया कि उन्होंने शिल्प तो उर्दू का लिया है किंतु मिजाज हिंदी का डाला है. गजलकार ने जेएनयू के हिंदी विभाग को इस आयोजन के लिए अपना आभार प्रकट किया.
......
आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
LC- 101
LC- 101
( END OF THIS PART )
3. Durga Puja in Bengaluru (Karnataka) 2019
This year again, Durga Puja is being celebrated in Bengaluru with soulful religious fervour. The population of Bengaluru is a motley of different ethnic and geographical cultures from all over the country. Bihari-Kannadige Siddharth Sanskritik Samiti (SSS) is an active organisation who tries to keep harmony among the people from South and North. This in association with Karnatak Mithila Parishad (KMP) is performing Durga Puja and has erected a splendorous 'pandaal' this year. Leaders from different parties are also visiting the pandals and offering their prayers to the goddess along with the common public. So, all the big and small are equal in true spirit. Vidyapati Mahaparwa Samaroh is going to be organised on 19.1.2020 in Bengaluru and the preparations are on for this mega-event in the right earnest since September. Click here to know more
(Source of Info- Vijay Kumar, Bengaluru)
( END OF THIS PART )
2. Bestseller Books Box Sale is on at Churchagate, Mumbai from Sept 13 to 22 of 2019
(Visit Main page - bejodindia.blogspot.com / Check - FB+ Today / View- Small Bites)
Bestsellers books box sale is on from September 13 to 22, 2019 behind Income Tax Office, Opp. SNDT College, Churchgate, Mumbai. Books of all genres ranging from literature, Science, Course books, Competitive books are available in the sale, Timing of the sale is 11 AM to 9 PM.
( END OF THIS PART )
1. भाटपार रानी, देवरिया में वेद प्र. तिवारी की "बादल से वार्तालाप" पर 31.7.2019 को चर्चा सम्पन्न
(मुख्य पेज पर जायें- bejodindia.blogspot.com / हर 12 घंटे पर देखते रहें - FB+ Watch Bejod India) भाटपार रानी, देवरिया (उo प्रo) के आर्य समाज़ धर्मशाला में 31 जुलाई, 2019 दिन बुधवार को कथा सम्राट प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर युवा कवि वेद प्रकाश तिवारी की नई पुस्तक (कविता संग्रह) बादल से वार्तालाप पर चर्चा हुई जिसकी अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य हरि प्रसाद यादव ने की।
कार्यक्रम का आरंभ श्री पी एन सिंह जी के द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। शिक्षाविद् पी एन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वेद प्रकाश जी असीम संभावनाओं के कवि है बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि कवि की कविताओं में पर्यावरण को संतुलित रखने की और मानवीय मूल्यों को जिंदा रखने की बेहतरीन पहल की गई है।
प्रखर वक्ता, साहित्यकार और विशिष्ट अतिथि पवन राय ने कहा कि भाटपार रानी की धरती पर पहली बार किसी पुस्तक पर चर्चा हो रही है । वेद प्रकाश तिवारी की कविताओं में खेत है खलिहान है, नदी है, पहाड़ है, माँ है, पिता हैं और इन्हीं से तो लोक बनता है ।
वरिष्ठ कवि और चित्रकार रामेंद्र प्रकाश मिश्र ने प्रेमचंद की कहानियों को कवि की कविता से अंतर संबंध स्थापित करते हुए कवि की कविता की जमीन से जुड़ी कविता की संज्ञा दी।
अपने अध्यक्षीय भाषण में हरि प्रसाद यादव ने कवि को शुभकामनाएं देते हुए भाट पार रानी में एक साहित्यिक मंच बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम को कंचन मेधा के संपादक धीरेंद्र मिश्र, चंद्रचूर्, कल्याण तिवारी आदि ने भी संबोधित किया ।
....
आलेख - बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
छायाचित्र - वेद प्रकाश तिवारी
No comments:
Post a Comment
Now, anyone can comment here having google account. // Please enter your profile name on blogger.com so that your name can be shown automatically with your comment. Otherwise you should write email ID also with your comment for identification.