आप सब को दीपावली की शुभकामनाएँ!
2 / डॉ. मनोहर अभय
खोलो बंद किवाड़
कुण्डी खटकी है
आहट नहीं हवाओं की
कोई अपना है
गयी रात का
सच्चा सपना है
अभिलाषा की कली
अधखिली चटकी है|
फटे -पुराने बिस्तर की
चादर बदलेगी
घुटन भरे कमरे में
खुशबू टहलेगी
खिड़की के शीशों पर
किरण उजेली अटकी है |
घिरी हुई थी धुंध
कुहासा हँसी उड़ाता था
चपत मार कर घना अँधेरा
सूरज को खटकता था
छिटक रहे हैं बादल
धूप अलगनी पर
लटकी है |
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3 / आभा दवे
हर साल दिवाली मनाई जाती है
घर का कोना-कोना दीपमालाओं से जगमगा उठता है
अंधकार को मिटा रोशनी से
भर उठता है
टिमटिमाते सितारे मानो उतर आए हो
जमीन पर और निहार रहे हैं आकाश को
कह रहे हैं मानो देखो मैंने अमावस में भी जगमग दिया इस धरा को
फुलझड़ी पटाखे के साथ हो रहा स्वागत मेरा
मेवे मिष्ठान और फलों की है आज बाहर
खुशी से झूम रही है आज की रात
लक्ष्मी जी की कृपा रहे सब पर
मांग रहे सब यही दुआ
छाई रहे खुशहाली घर में
जगमगाए दीप सदा
पर कवि की सब से यही प्रार्थना
एक दीया अपने दिल में भी ऐसा जला लेना
जिसकी रोशनी दूसरों के घरों को प्रकाशित कर सके
कोरोनावायरस के इस दौर में
उम्मीदों की रोशनी कर सके।
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4 / हेमन्त दास 'हिम'
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