Saturday 13 April 2024

डिजिटल दौर में निजता

आज के डिजिटल दौर में हर व्यक्ति की लगभग हर एक गतिविधि चाहे वह सोशल मिडिया में हो या बाहर उसकी जानकारी एप्प्स के माध्यम से व्यावसायिक संस्थानों के पास रहती है.
हालांकि अधिकाँश एप्प्स निजी जानकारियों की गोपनीयता की रक्षा का वादा करते हैं पर अनेक परिस्थितियों में यह संभव नहीं हो पाता है जो वे स्वयं बाकायदा लिख कर बताते हैं. अब आपके बारे में इतनी अधिक और सम्पूर्ण जानकारी किसी के पास हो तो वो क्यों न (अप्रत्यक्ष रूप से ही सही) आपके सम्पूर्ण जीवन पर अपना अधिकार समझे. और वो इसका भरपूर फायदा उठाते भी हैं. पर इसका नतीजा यह दिख रहा है कि एक सामान्य आदमी का अपना कोई उद्देश्य, मूल्य या विचार ज्यादा मायने नहीं रखता. वह आज नहीं तो कल उस ओर ही प्रवृत होगा जिस ओर व्यावसायिक संस्थान अपने लाभ के लिए उससे अपेक्षा करते हैं. यह प्रश्न सिर्फ उचित कारण बिना निजता के पूरी तरह से भंग होने का ही नहीं है बल्कि सामाजिक ढाँचे के ध्वस्त होने का भी है. अगर व्यक्ति का अपना कुछ नहीं बचेगा तो समाज का निर्माण कैसे होगा? और अगर समाज नहीं रहा तो जो बचेगा वह होगा संवेदना विहीन व्यावसाहिक क्रेता-विक्रेता समूह. ऎसी परिस्थिति में मानव सभी नैसर्गिक सुख और अनुभवों से वंचित हो जाएगा और उसमें मनुष्यता का लोप होने लगेगा, यह संभावना दिखती है. इससे बचने के लिए यह परम आवश्यक है कि सरकारों और नागरिक समूहों के द्वारा निजता की रखा के लिए ठोस कदम उठाएं जाएं.

आप सब को बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!
💐😇🙏
....
लेखक - हेमन्त दास 'हिम'
दिनांक- 13.4.2024
प्रतिक्रया हेतु ईमेल आईडी- hemantdas2001@gmail.com

No comments:

Post a Comment

Now, anyone can comment here having google account. // Please enter your profile name on blogger.com so that your name can be shown automatically with your comment. Otherwise you should write email ID also with your comment for identification.