बेजोड़ कोरोना शायरी / प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'


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(- Contineued)


एक जां और करोना का ग़म/ घुट के रह जाये न दम
जाओ तुम को देख लें, डूबती नज़रों से हम
लूट कर मेरा जहाँ, टिक रहे हो तुम कहाँ ?


ग़ज़ब का है दिन, सोचो ज़रा
ये कोरोनापन देखो ज़रा
तुम हो अकेले, हम भी अकेले
मज़ा आ रहा है, क़सम से, क़सम से…रा

जबसे कोरोन नाम की मिसरी होंठ से लगायी है
तीखा सा ग़म है और अजीब सी तन्हाई है
रोज़ रोज़ आँखों तले /एक ही सपना चले 

ख़्वाब का दीया जले

है चाल में तेरी कोरोन, कुछ ऐसी बला का जादू
सौ बार सम्भाला ग्राफ को, पर होके रहा बेकाबू
तारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुझे बनाया😷


कह दी है दिलकी बात नज़ारोंके सामने
इक़रार कर लियाहै बहारों के सामने
दोनों जहां आज गवाहों में आ गए
हम अब सिमट के अपने कमरे में आ गए

चुरा लिया है तुमने जो दिन को / उमर नहीं चुराना कोरोन
बदल के मेरी तुम जिंदगानी / कही ठहर ना जाना कोरोन
ले लिया दिन / ले ली है रात/ /हाय Leave देकर मुझको ना बहलाना 
चुरा लिया....

दिल खाये हिचकोले, गाड़ी ले चल हौले-हौले 
देख नजर न लागे रे गोरी काहे मुखड़ा खोले 
ओ नैनोंवाली घूँघट से ना झाँक रे 
गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे ! 
 (काश! मजदूरों की यात्राएं ऐसी होती! )

घर से चले थे हम तो, खुशी की तलाश में 
 ग़म राह में खड़े थे वही, साथ हो लिए
 ख़ुद दिल से दिल की बात कही और रो लिए 
(-प्रवासी मजदूर)

मैं तो पंछी पिंजरे की मैना / पँख मेरे बेकार
बीच हमारे सात रे सागर/ कैसे चलूँ उस पार-2
ओ पंछी प्यारे सांझ सकारे
(-कोरोनिकल फिलोसफी)

ओ मेरी कोरोना, कोरोना-2/ तुझे जाना है तो जा
मेरी मर्जी तेरा क्या? / पर देखतू न गर रूठकर चली जाएगी तो तेरे रहने पर मेरे मरने की खबर आएगी


दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन,
बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए

(3सरे लॉकडाउन के अंतिम दिन VVSपर। ख़ुदा ख़ैर करे।)😷

तेरे गुलशन से ज़्यादा वीरान कोई वीराना न हो
दुनिया में करोना तेरा अपना तो क्या, बेगाना न हो
किसी का प्यार क्या तू बेरुख़ी को तरसे😲

जो तू मुस्कुराई / हुआ बीपी हाई 
ये पीड़ा बताई ना जाए
तूने मचाई दुनिया में तबाही 
मेरी जान, बचा ही ना जाए
(हाय कोरोना!)

मानो-मानो मेरी बात, है ये पहली मुलाक़ात
देखो पहलू से उठ के है जाना बुरा 
जाता कहाँ है दीवाने..
(पहली नहीं 4थी मुलाक़ात होगी देवी!)


काटे नहीं कटते ये दिन ये रात
कहनी थी तुमसे जो दिल की बात
लो आज मैं कहता हूँ Corona go, you

क्या कहना है क्या सुनना है 
मुझको पता है तुमको पता है
समय का ये पल थमसा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
एक मैं हूँ और लॉकडाउन है😓

रात है भीगी हुई, रंग में डूबी हुई
आज है दुनिया मेरी, प्यार से महकी हुई
आँख में आप ही की सूरत है

(..कब तक कोरोना की सूरत रहेगी?)

तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता

(..और लॉकडाउन करनेवालों को घर में इसकी उम्मीद लग रही थी!,,😘)

वो चुप रहे तो मेरे दिल के दाग जलते हैं
वो बात कर ले तो बुझते चराग जलते हैं

(बशर्ते बात कोविड के 72 से 74000 पहुंचने की न हो)

"थोड़ा रुक जाएगी तो तेरा क्या जाएगा?"
"अभी-अभी तो आई हो अभी-अभी जाना है!"
(विविध भारती)

- कोरोना तो जाने से रही अब!😷

बचपन के दिन भी क्या दिन थे
उड़ते फिरते तितली बन
बचपन..

(- अब आप बड़े हो गए हैं। बड़े लोग घरों में रहते हैं।🏠)

गरीब जान के न हम को तुम मिटा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
(भारत का तो ये गीत ही है पर अमेरिका भी चीन को देख..??)

हुई शाम उनका ख़्याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया

(यहाँ तो सुबह से रात तक सिर्फ ज़िंदगी का ही सवाल है रे बाबा ! हाय कोविड!)

तेरे बगैर जहाँ में कोई कमी सी थी
भटक रही थी ज़िन्दगी अंधेरी राहों में

(...और दुनिया की ये फरियाद कोरोना ने सुन ली)

हम और तुम और ये समा /क्या नशा नशा सा है
बोलिये न बोलिये / सब सुना सुना सा है

(साथ में कोरोना और हाथ में बोतल - काफी है!)😇


ये वादियां ये फिजायें बुला रहीं हैं तुम्हें
खमोशियों की सदाएं बुला रहीं हैं तुम्हें

(कोरोना, वुहान खामोश पड़ा है तेरे इंतजार में)


अपनी आँखों में बसाकर कोई इक़रार करूँ
जी में आता है कि जी भर के तुझे प्यार करूँ
(खबरदार! साबुन से हाथ धोए बिन आंखों को न छूएं।)

टैक्सीवाले ने भी ना बिठाया / टमटमवाले ने चाबुक दिखाया
अपने पीठ पर तुम्हें उठाकर घोड़ा बनकर देख मैं दौड़ता हूँ /चल मेरे भाई, तेरे हाथ जोड़ता हूँ!

शराब की दुकानें खोल देंगे और टैक्सी-टमटम को बंद रखेंगे तो यही होना था!

हाय जिसने मुझे बनाया है /वो भी मुझको समझ न पाया है
मुझको सज़दे किये हैं इंसां ने / इन फरिश्तों ने सर झुकाया है

लगता है कोरोनिया को मिरगी धर लिया है, कोई बचाए इससे!😟



कोई साग़र दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी करार आता नहीं
मैं कोई पत्थर नहीं इंसान हूँ
कैसे कह दूँ COVID से घबराता नहीं.
साग़र = शराब का प्याला

(-शराब की दुकानें खोल देने से क्या?)

चैन नहीं बाहर / चैन नहीं घर में
मन मेरा धरती पर / और कभी अंबर में..

(असली लॉकडाउन है भाई!)😞


"ना जाने हवाएं क्या कहना चाहती हैं
पंछी तेरी सदायें क्या कहना चाहती हैं
कुछ तो है आज जिसका, हर चीज़ पर असर है"

(असर तो है!😲#कोरोना

इस मोड़ से जाते हैं,
कुछ सुस्त कदम रस्ते, कुछ तेज़ कदम राहें!

(धत्! क्यों सुस्त लोगों में नाम लिखवा रही है कोरोना, गुलज़ार साहब क्या सोचेंगे!)


चाँद तारों से चलना है आगे
आसमानों से बढ़ना है आगे
पीछे रह जाएगा ये ज़माना 
यहाँ कल क्या हो जाने कोरोना!(कोरोना! तुझे तो चाँद तारों से आगे चलना है. कहाँ पृथ्वी जैसी छोटी जगह में फंसी है ? हत्!)

चौदवीं का चांद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम ख़ुदा की कसम लाजवाब हो
(यूं ही तुम्हें तीसरी बार नहीं बुलाया गया! 😍) **तीसरा लॉकडाउन 


"बेकरार करके हमें यूँ न जाइये
आपको हमारी कसम लौट आइये"

(यूनूस खान जी, विविध भारती रेडियो पर 3 मई को ये गीत बजाने का नतीजा देखा आपने?)लॉक डाउन वापस आ गया.🤑😡

एक जंगल है तेरी आँखों में, मैं जहां राह भूल जाता हूँ
तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं पुल सा थरथराता हूँ

(कब तक थरथराना है, दुष्यंत कुमार साहब?)


ये वादियां ये फिजायें बुला रहीं हैं तुम्हें
खमोशियों की सदाएं बुला रहीं हैं तुम्हें

(कोरोना, वुहान खामोश पड़ा है तेरे इंतजार में)

मेरे नामुराद जुनून का, है इलाज कोई तो मौत है
जो दवा के नाम पे ज़हर दे उसी चारागर की तलाश है
चारागर - चिकित्सक, डॉक्टर
(करौनिये, सब्र कर! तेरे नामुराद जुनून का इलाज बनकर vaccine जल्द आ रहा है!)

तेरे बिन सूने नयन हमारे
बाट तकत गए सांझ सकारे
(-पता नहीं कब चौराहे की चाय होगी नसीब)
पूरा फिल्मी गीत लॉकडाउन का खूबसूरत वर्णन है।🚶

तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूं
मेरी उम्र भर की तलाश है
(ये लक्डॉनिया ही मिली आपको उम्र भर की तलाश में पीएम साहब ?)

यहां कौन है तेरा
मुसाफिर जाएगा कहाँ ?
(सच, कौन सुने भारत के गृहकैदियों की)😢

1/1. अभी दो हफ्ते और दूर रहना // कुछ हो गया तो फिर ना कहना
मेरा डेढ़ दो महीने का, तेरा कितने महीने का ? #17मई

अब हमें कुछ भी हो जाए तो होने दो बस कोरोना न होने पाए रे भाई! अभी बहुत कुछ देखना बचा है! 


प्यार में जिनके, सब जग छोड़ा, और हुए बदनाम
उनके ही हाथों, हाल हुआ ये, बैठे हैं दिल को थाम
(-ऐसा न बोल डियर, लॉकडाउन तुम्हे बचाएगा)

कौन आया कि निगाहों में चमक जाग उठी
दिल के सोए हुए तारों में खनक जाग उठी
(-अपनी निगाहों की चमक बनाए रखें लाइव वीडियो मीट से)


पहली मुलाक़ात में बात ऐसी हो गई
राजा भी खो गया, रानी भी खो गई
दोनों को न पता चला, मजे की ये बात है!
(कोविड संक्रमण के समय कभी पता नहीं चलता. किसी से न मिलें! )🥵🖐🖐

सारे शहर में आपसा कोई नहीं 
कोई नहीं, हाँ कोई नहीं
कोई नहीं, कोई नहीं।
(जानलेवा कोरोना से बचिये ताकि कल भी हम ये गीत गा सकें।)

दूर हूँ फिर भी दिल के करीब
निशाना है तेरा !
(- चीन को छोड़कर दुनिया के तमाम प्रेमी युगलों को ये पंक्तियाँ मुबारक)

"अगर मैं रुक गई अभी/ तो जा न पाऊंगी कभी // जो खत्म हो किसी जगह/ ये ऐसा सिलसिला नहीं " (कोरोना को भगाइये। सरकारी निर्देशों का पालन कीजिये)

"ठीक तुम 4 बजे घर चले आना.."
(किशोर कुमार रेडियो चैनल पर कार्रवाई हो जिसने आज लॉकडाउन में ठीक 3.30 बजे यह गाना चलाया )☝



दीवानों की ये बातें दीवाने जानते हैं
लॉकडाउन में क्या मजा है रहनेवाले जानते हैं
तुम यूं ही डराते रहना आ- आकर ख्वाबों में..


दीवाना मस्ताना हुआ दिल
जाने कहाँ हो के बहार आयी?
(ये सारे हिन्दुस्तानी रेडियो के लवर्स, वुहान में ही निवास करते हैं क्या ? )



हुस्नो-जमाल आपका टीवी पे देखकर
बेहोश हो चुका हूँ मैं ग्राफों की राह पर
गर हो सके तो होश में ला दो मेरे हुजूर
(-हाय कोरोना!) #हिम




अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है
ई समय को मुबारक चीज समझ, माना कि बहुत बदनाम हैं ये
(कोरोना काल- रिश्ते गहराएँ!)
इसमें सिर्फ "इस समय" को "ई समय" किया गया है.


सनम मेरे सनम-2, कसम तेरी कसम-2
मुझे आजकल-2, नींद आती है कम-2
(आनंद बक्शी साहब ने दशकों पहले लॉकडाउन को देख लिया था)


क्या कहें तुझसे क्यों हुई दूरी
हम समझते हैं अपनी मजबूरी
(एक मीटर की दूरी से रेडियो भी परेशान है।)


हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
(इस ओर से न गुजर करोना, तुझे बद्र की शायरी की कसम!)

स सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
"क़ातिल हैं" और हाथ में तलवार भी नहीं
(अरे, ग़ालिब ने तो सिर्फ "लड़ते हैं" कहा था, री  करोनिया !)😠


"तुमसे मिली नजर कि मेरे होश उड़ गए"
(ये किससे नजर मिला ली वुहान भाई कि पूरी दुनिया के होश उड़ गए? अब्बा शी जिनपिंग से पूछ तो लेते!)



जलते हैं जिसके लिए, तेरी आँखों के दिये
ढूंढ लाया हूँ वही VACCINE मैं तेरे लिए
(ओह! सुनील दत्त साहब, आप होते तो लॉकडाउन नहीं हुआ होता।)


"कैद मांगी थी, रिहाई तो नहीं मांगी थी"
(काश! सरकार ने पहली लाइन का भी क्रियान्वयन किया होता सब के
लिए)😚

* प्रेम की ये वो आग है सजन जो
इधर उठे और उधर जले
(दुनिया को महामारी में झोककर ये डैनिया चाइना क्या गा रही है?)

हमें पूछो क्या होता है
बिना दिल के जिये जाना
(लॉकडाउन में रेडियो पर सही गीत चल रहा है)

*. केबलटीवी वाला काम बंद कर लॉकडाउन मना रहा है और रेडियो, कोरोना से मिल कर चिढ़ा रहा है -
"तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला"।

पति (कोरोना से)-
आप आये तो ख़्याल-ए-दिले-नाशाद आया
कितने "न देखे हुए ज़ख्मों" का पता याद आया
पत्नी-
क्यों, "भूले हुए ज़ख्मों" से फुरसत मिल गई क्या जो अब इस चुड़ैल को उठा लाये?
......
(इस प्रसिद्ध फिल्मी गीत की सही लाइनें यूं है -
आप आये तो ख़्याल-ए-दिले-नाशाद आया
कितने भूले हुए ज़ख्मों का पता याद आया)
.....


या आप नशे में डूबे हैं या मेरी नजर मतवाली है
हे मेरी कोरोना माई बता तू कब जानेवाली है
#हिम
रेडियो- श्रोता अंत्याक्षरी





4 comments:

  1. वाहहह मज़ा आ गया।😀😂🤣

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  2. वाहः वाहः क्या बात है...कुछ नए जुड़ गए।👌💐

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    Replies
    1. वो तो जुड़ते ही रहेंगे.

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