'हिम' के बेजोड़ चुटकुले- (Corona Humour) / by - Hemant Das 'Him'



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(Continued-)

"मैं रोज पौष्टिक आहार लेती हूँ फिर चिल्लाने पर पति डरते क्यों नहीं?"
-"5 महीनों के ट्रायल से उन्हें इम्यूनिटि प्राप्त हो गई है.🤣

लॉकडाउन नें वार्तालाप
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लॉकडाउन के 61वें दिन एक दोस्त दूसरे दोस्त को फोन करता है।
संतोष - हेलो, कैसे हो हेमन्त, मैं संतोष बोल रहा हूँ।
हेमन्त - अबे तू संतोष है कि खरगोश मुझे क्या करना?
संतोष- क्या???
हेमन्त - हाय डियर, मैने कहा कि तुझे फोन पर पाकर मुझे खरगोश का भोलापन याद आ जाता है।
सन्तोष-  वाह। मालूम है मेंरे गानेवाले वीडियो को एक कंपीटीशन में फर्स्ट प्राइज मिला।
हेमन्त - जा उसे नाले में फेंक आ।
सन्तोष - क्या???
हेमन्त - मैंने कहा तुम्हारे दर्दभरे नाले को सुनकर मैं भी भावविह्वल हो जाता हूँ।
सन्तोष- शुक्रिया दोस्त।
हैमन्त - अबे अब तू जाएगा कि मोबाइल तोड़ दूं?
सन्तोष - तोडने जैसी कुछ बात कही तुमने?
हेमन्त - मैंने कहा कि कम्प्यूटर और मोबाइल पर बजनेवाले सारे गानों की रिकार्ड तू तोड़ देगा दोस्त।
संतोष - अब समझ गया। मैं अब फोन रखता हूँ। टेक केयर।
हेमन्त - यू गो टू व्हील चेयर।
सन्तोष - क्या???
हेमन्त - मैने कहा कि तुम्हारे गानों की पहुंच बच्चों, युवाओं से लेकर व्हील चेयर पर रहनेवाले समस्त संगीतप्रेमियों तक हो।
सन्तोष - अब मोबाइल के साथ साथ मेरी बैटरी भी खत्म हो रही है। फोन रखता हूँ।
(-हेमन्त दास 'हिम')

कोरोना काल की लघुकथा

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स्वर्ग की अप्सराओं का नृत्य देखते देखते इंद्रदेव बोर हो गए थे. सोचा कि बॉलीवुड का बड़ा नाम सुना है. वहीं जाकर कैटरीना, दीपिका या अनुष्का से मिल लेते हैं.
धरती पर उतरकर मॉडर्न ड्रेस खरीदने के लिए एक रेडिमेड कपड़े की दुकान में घुसे तो पाया कि सारे बिकनेवाले ड्रेस ऐसे थे कि पूरा बदन ढँका रहे. उन्होंने दूसरा दिखाने को कहा तो उन्हें बरसाती जैसा कोई वस्त्र दिखाया गया.
इंद्रदेव ने दुकानदार को समझाया - वत्स, छोटे से छोटा वस्त्र दिखाओ.
दुकानदार - M 95 तो नहीं है, सर्जिकल चलेगा?
इंद्रदेव ने कहा - वो सब छोड़ो बताओ यहाँ नजदीक में कोई 5 स्टार होटल है जहाँ फिल्मी सेलेब्रीटिक के डांस पर पाबंदी न हो?
तबतक उनका स्वागत करने आए पुलिस के हवलदार ने उनका स्वागत करते हुए कहा- प्रणाम इंददेव! . आप विदेश से आए हैं सो किस क्वेरेंटाइन सेंटर में जाना पसंद करेंगे? वहाँ कनिका कपूर जैसी कोई अभिनेत्री का प्रोग्राम आयोजित करवाने हेतु आवेदन दे दीजिएगा.
इंद्रदेव ने कहा - बुरे फँसे!😧


2/2. ऐसा नहीं कि लॉकडाउन में नींद नहीं आती बस सूरज को दिन-रात का निर्धारण करने से मुक्त कर दिया है।अब, जब मानो दिन है जब मानो रात।😢

1/2. लॉकडाउन में 5 बजे सुबह तक जगा रह गया तो सोचा चलो आज रात में गहरी नींद आएगी। लेकिन 6 बजे भोर में ही आ गई नींद। और रात फिर से...

 सिर्फ दो नौकरियों में बोनस और इंसेंटिव है- 1. साबुन उद्योग, 2. स्वास्थ्य व जीवन बीमा//आईआईएम से निकलनेवाले अब वहीं लाइन लगाएंगे।

 कोरोना युग में अनेक बातों का कोई कारण नहीं होता - जैसे सुबह में उठना और रात में सोना।

लॉक डाउन ख़त्म होने पर बीबी लौट पाती है अपने शौहर के पास और फिर -
१/२. पता नहीं इन मर्दों को कौन सी घुट्टी पिलाकर भेजता है भगवान कि न तो एक कमरे को और न ही एक आदमी (खुद) को ढंग से रख सकते हैं? 🤥

२/२. और कितने दिनों के लॉकडाउन में सुधरेंगे ये होटलजीवी?🤬

कोरोना के पर्यायवाची: बंगाल- कोरोनो, मुम्बई- क्रॉना, चैन्नै- क्रोन्ना,सिंधी-ख़्रोना,मिथिला- करउना, मगही - करोनमा, भोजपुरी- करवना..


कारोना स्पेशल😏😃😅
बेगम - क्यों जी? इतने मुरझाए से क्यों रहते हो आजकल? और कोई ग़ज़ल-वजल भी नहीं लिखते जबकि मैं दिन-रात तुम्हारे आगे पीछे मंडराती रहती हूँ।

शायर - इस लॉकडाउन की वजह से अब कोई मुशायरा नहीं होता सो मैं बेकार हो गया हूँ। और तुम में भी वो बात नहीं रही कि तुम्हें देखकर ये दिल कोई ग़ज़ल कहे। अब भूतनी -सा चेहरा मंडराता भी रहे तो खाक ग़ज़ल फूटेगी दिल से?

बेगम - अच्छा। तो तुम भी ब्यूटी पार्लर के "इसेंशियल सर्विस" में शामिल नहीं होने से परेशान हो? ओ..! तो तुम कब उस पार्लर वाली चुड़ैल से मिल कर आ गए ?? जल्दी बताओ नहीं तो शायरी का सारा भूत उतार दूंगी और अभी कोई कंपाउंडर भी नहीं आएगा तुम्हारी मरहमपट्टी को।
#हिमकेचुटकुले
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"तोड़ देंगे शरीर का कोना कोना / पर होने न देंगे तुमको करोना" 
( बिहार में पुलिस घुमक्कड़ों को पीटते हुए लाउड स्पीकर पर )

किसी की आप पर लक्षित व्यंग्योतियों पर ऐसा करें कि आप कुछ नहीं समझ रहे और उसकी मुख-भंगिमाओं का मजा लीजिए जब तक वो डंडा लेकर आपके पीछे  दौड़ न पड़े..

दोस्तों को Like करने का काम outsource कीजिये और खुद को अपने Likes गिनने के कोर बिजनेस पर कंसन्ट्रेट कीजिये- वी लाइक फॉरयू प्रा.लि.👌

जब मन करे नहा लो, जब मन हो खा लो, जब चाहो सो जाओ जब चाहो जगो। हे ईश्वर मुझसे भूलवश कौन सा पुण्य हो गया जो इस स्वर्ग में डाल दिया?


"अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे" - रोज रोज ऑफिस जाने के नाम पर धौंस जमानेवाले पतियों के लिए लॉकडाउन में उनकी इकलौती पत्नियों का फरमान।


1/2. सुनने में आया है कि इस लॉकडाउन में पतिगण 
अपनी-अपनी पत्नियों को रोज एक नया मेनूकार्ड बनाकर थमा रहे हैं और खुद कोई मदद नहीं करते।


2/2. ऐसे बुद्धू पतियों को यह मालूम ही नहीं कि लॉकडाउन खत्म होते ही अपनी बेटी को बुला लाने की चिट्ठी तैयार कर रखी है उनकी सास ने।


ऊँ जै लॉकडाउन हरे !
कोरोना का संकट 40 दिन में हरे।
जो ध्यावे छूट पावे प्रभु, काम धंधा करने का।
#हिम

घर में अपने क्षेत्र,जाति, धर्म, भाषा की सर्वश्रेष्ठता की खूब चर्चा करें ताकि कोरोना काल ठीक से कटे पर पब्लिक में आदमी बनकर रहें।

चिंटू (पापा से) - ठेलागाड़ी किसे कहते हैं?
पापा - अरे बुरबक, लॉकडाउन में दिन काटनेवाले को ये नहीं बताना पड़ता.
(#हिमकेचुटकुले )
लॉक डाउन में दिन कटता नहीं, उसे ठेलना पड़ता है।- #हिम

तो आप, जनाब की बढ़ी दाढ़ी देख ही घबड़ा गए. अभी तो बस लॉकडाउन जारी रहने दीजिए फिर उनकी जटाएँ भी उनकी कमर को चूमती दिखेंगी.

टिकजरौना- मैथिली में एक अति-प्रचलित शब्द है अब 'करौना' को इससे मत जोड़ दीजिएगा! वैसे आशय कुछ ऐसा ही है इसका!

लॉकडाउन के सबसे बड़े समर्थक चोर जी आज दिन में जब कामकाजी सिंगल्स के दरवाजों पर हथौड़े से 'लॉक' को डाउन करने गए तो नहीं कर पाए..

क्योंकि सारे कामकाजी सिंगल्स घर के अंदर थे।.

फुर्सत न मिले तो दिक्कत, मिले तो और भी दिक्कत
इस ज़माने में ग़म भी कई प्रकार के हैं
- लॉकडाउन



लॉकडाउन के 26वें दिन कोई आपकी एक भी लाइन पढ़ ले रहा है तो वो देवता से कम नहीं है वरना लोगों ने तो अपना भी देखना बंद कर दिया है।


उससे लड़ कर यह दिन भी गुजर जाएगा 

भागना सीखेगा, कोरोना सुधर जाएगा 
#हिम

1/2. यह समय साहित्यिक महा-डोज का नहीं बल्कि हल्के फुलके ग्लूकोज का है। कौन समझाए भारी भरकम साहित्यकारों को ?


2/2. इन साहित्यकारों को न तो कोरोना से असर पड़ता है, न लॉकडाउन से । बल्कि परमाणु बम भी फोड़ दीजिये तो भी एक लंबी रचना लेकर हाजिर!


गलती की चीन ने और जेल में उसे छोड़ सारी दुनिया। हे प्रभु। तेरे किसी धर्म में है ऐसा न्याय? कहीं तू नास्तिक तो नहीं है प्रभु?


स्पेक्टेक्लोफोबिया - लॉकडाउन के बीच चश्मा टूट जाने का भय. (चश्मा ठीक है बस डर कि कहीं बीच में खराब हुआ तो महीनों तक ..?#हिम

हे पार्थ! आधुनिक काल में सबसे अधिक अपराधबोध से ग्रस्त वह मानव है जिसे साधारण जुकाम है. अत: जीवनकाल में दण्ड का अब यही विधान है.

**कोरोना दिवस में उठना**

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एक बार कोरोना काल के एक दिवस में मैं उठ बैठा.

तो कोरोना दिवस ने पूछा - "क्यों उठते हो?"

मैंने कहा - "तेरा स्वागत तो कर लूँ., कोरोना रात्रि के आगमन के पहले

उसने कहा- " तुम हो मूर्ख अहले.

तू यूँ ही उठेगा

और इधर उधर 'सरफेस' पर हाथ फेरेगा

बिना साबुन से 20 सेकेंड हाथ धोये अपने मुँह, नाक और आँख को छूएगा

बिना मास्क लगाये बाजार जाएगा

सब्जियों को बिना मीठा सोडा से धोये फ्रिज में धकियायेगा

पैकेटों को बिना साबुन से धोये रैक पर थकियायेगा

दूसरे लोगों से 1 मीटर के अंदर में ही घोसियायेगा

तो बता !

मेरे धरती पर रहने का 'टर्म' कब पूरा होगा ?

कब तक नगिनत उम्रदराज और कम उम्र के बीमारों की लाशें मुझसे बिछवायेगा

कब तक इसी धरती पर मुझे जबर्दस्ती टिकवायेगा

और लौटने में देरी करने पर यमराज से मुझे पिटवायेगा.

.........................

-हेमन्त दास 'हिम '/ 12.4.2020


4 comments:

  1. सच में बेजोड़ 😄😄

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    1. धन्यवाद आपका. यदि अपना नाम या ईमेल बताते तो पहचानने में आसानी होती.

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  2. वाहः सचमुच बेजोड़। इसमें रोज इज़ाफ़ा होता रहे ऐसी शुभकामनाएं।

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