सामाजिक प्रगति के छिद्र
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दिनांक 7.6.2019 को अँधेरी (मुंबई) के भवंस कोलेज प्रांगण में स्थित एसपी जैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मनेगेमेंट के सभागार में सतीश व्यास द्वारा लिखित और निर्देशित गुजराती नाट्य कार्यक्रम "लाफ्टर स्टेशन" प्रस्तुत किया गया. वाचिक अभिनय पर आधारित इस कार्यक्रम में छः नाटकों का वाचन हुआ जिसे दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में उपस्थित जनसमूह ने पूरे मजे के साथ सुना. ये नाटक थे - प्रार्थना सभा, ईनाम, संस्कृत स्कॉलर कन्या, लग्नभेट, शियारानी सवार और मम्मी नां मैरिज. (विस्तृत कथा चर्चा अंग्रेजी में ब्लॉग के मेन पेज पर)
हर एक नाटक हास्य से परिपूर्ण था और दर्शकों का हंसते हंसते बुरा हाल हो गया लेकिन खास बात जो थी वह यह थी कि हर एक नाटक में समाज के लिए जरूरी संदेश भी थे और हर हास्य के पीछे छुपा कहीं न कहीं एक ऐसा गम्भीर विषय भी था जो हमें सोचने पर मजबूर कर देता है.
कलाकारों ने अपनी सधी हुई संवाद अदायगी के द्वारा अपनी मंझी हुई अभिनया क्षमता का परिचय दिया. संवाद अदायगी के समय उनकी मुखाकृतियाँ भी ऐसी हो जाती थीं मानो वे आंगिक अभिनय भी कर रहे हों क्योंकि जब तक आप किसी भाव को भीतर से महसूस नहीं करते अभिनय में जान नहीं आती है. ये सभी कलाकार चरित्रों में समाहित होकर अभिनय करनेवाले कलाकार लग रहे थे.
सतीश व्यास इस प्रस्तुति के निर्देशक और लेखक थे तथा वाचिक अभिनय करनेवाले कलाकार थे- मीनल पटेल, रक्षा देसाई, केयूरी शाह, नम्रता पाठक, चेतन धनानी और राजुल दिवान.
इन सार्थक नाटकों के लेखन के लिए सतीश व्यास बधाई के पात्र हैं और अभिनय करनेवाले अभिनेता-अभिनेत्रियाँ भी अपनी प्रतिभा की बदौलत दर्शकों को सिर्फ अपनी संवाद अदायगी के दम पर तीन घंटे पूरी तन्मनयता से बांधे रखने के लिए प्रशंसा के अधिकारी हैं.
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समीक्षक - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र - बेजोड़ इंडिया ब्लॉग
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
कलालाकारों के नामों में बदलाव हुए हैं. ऊपर की रपट देखिये. |
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