मधुबनी लोक कला तथा गोंड जनजाति की चित्रकला का प्रदर्शन एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं
चंचल पग दीप-शिखा-से धर गृह, मग, वन में आया वसंत!
सुलगा फाल्गुन का सूनापन सौंदर्य-शिखाओ में अनंत !
निराला की इस पंक्ति के साथ बड़े हर्ष उल्लास के साथ 10.2.2019 को पटना के संगीत शिक्षायतन प्रांगण में चित्रकला, संगीत - नृत्य तथा नाट्य विभाग द्वारा सरस्वती पूजा तथा छायावाद के राष्ट्र कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जन्म उत्सव को "कला सृजन" चित्रकला प्रदर्शनी, काव्य पाठ तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर मनाया गया।
प्रदर्शनी में लगभग 50-55 प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न रंगों का प्रयोग करते हुए कैनवास पर एक्रेलिक रंगों के समायोजन से सुंदर-सुंदर कलाकारी दिखाई दी।
प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण मधुबनी लोक कला तथा गोंड जनजाति की चित्रकला थी जिसकी विशेष जानकारी गोंड चित्रों द्वारा चित्रकार तान्या राजवंशी दिया तथा निर्देशिका यामिनी ने शिक्षार्थियों को लोक परंपरा की चित्रकला शैली दिखाया तथा कला द्वारा छिपी मानव चेतना को जागृत करने का माध्यम बताया।
शिक्षायतन 'म्यूज ग्रुप' के कलाकारों ने "मां शारदे, मां ज्ञान भर दे स्वर से स्वर की सम ताल कर दे..." गीत गाकर मां सरस्वती की आराधना- आरती की। साथ ही त्रिसंध्या और चांदनी ने भावपूर्ण नृत्य कर सरस्वती वन्दना से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
स्वर की देवी को तथा राष्ट्रीय कवि निराला के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी लिखी कविता "वर दे, वीणा वादिनी वर दे। प्रिय स्वतंत्र- रव अमृत-मंत्र नव , भारत में भर दे।" का पाठ कर नाट्य विभाग ने समर्पित किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डा० किशोर सिन्हा (से.नि. केंद्र निदेशक आकाशवाणी पटना) तथा अवधेश झा (कवि-लेखक, योगाचार्य) उपस्थित थे जिन्होंने प्रतिभागियों को कला और रंगो के प्रभाव पर प्रेरणात्मक शब्द कहे।
अंत में सभी प्रतिभागियों को उपहार दिया गया तथा विजेताओं को पदक दिए गए विजेताओं के नाम पारुल, ईशा, लक्ष्मी हैं। गायन कलाकार: अमित, अंबिका, अनन्या, वर्षा, शिवम, आकाश, शुभम,।
कार्यक्रम का संचालन शांभवी वत्स ने अपने सुगठित शब्द विन्यास के साथ किया। अंत में केंद्र अधीक्षक रूधिश कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
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सूचना स्रोत- यामिनी, चीफ ट्रस्टी, संगीत शिक्षायतन
चित्र स्रोत - संगीत शिक्षायतन
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
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