Friday, 11 October 2019

22 वर्षीय नायाब शायर अमन 'चाँदपुरी' की डेंगु से मृत्यु पर साहित्यकारगण चरम शोक में

ये दुनिया दर्द की मारी बहुत है / यहाँ रहने में दुश्वारी बहुत है
अमन चाँदपुरी (जन्म 25 नवम्बर 1997 – निधन10 अक्टूबर 2019)

(हर 12 घंटों के बाद जरूर देख लीजिए- FB+ Watch Bejod India)



ये दुनिया दर्द की मारी बहुत है
यहाँ रहने में दुश्वारी बहुत है

बिछड़ते जा रहे हैं दोस्त सारे
सफ़र अब ज़ीस्त का भारी बहुत है

इन पंक्तियों को कहनेवाला विलक्षण प्रकार का ग़ज़लकार विशाल पाठकसमूह और साहित्यकारों की विशाल मंडली को अवर्णनीय शोक में तिरोहित करता हुआ प्रस्थान कर गया इस मायावी भूलोक को छोड़कर. आश्चर्य तो यह है कि उनकी मौत डेंगू से हुई जिसके सफल इलाज के किस्सों के आजकल ज्यादा उदाहरण दिखाई पड़ते हैं.

लेख्य मंजूषा की अध्यक्ष और हाइकुकार लघुकथाकार विभा रानी श्रीवास्तव और उत्तर प्रदेश, बिहार समेत विभिन्न प्रान्तों के वृहद् साहित्य मंडलियों के संपर्क में वे हमेशा रहा करते थे. श्रीमती विभा रानी की 'अमन' से हाइकु विधा के सम्बंध में साहित्यिक  बहस होती रहती थी. हालाँकि बहस मित्रतापूर्ण माहौल में ही होती थीं किन्तु विभा जी को उसका भी अफसोस है. वे कहती हैं - 
"हाइकु के लिए बहसें हो जाती थी..
बहस नहीं विमर्श करें
 लेकिन रिश्तों पर असर ना हो
*समय कब धोखा दे पता नहीं चलता"

'चांदपुरी'  की कुछ हाइकु नीचे  प्रस्तुत हैं-
न तुम, न मैं
कौन भूल पाया है
बीता समय।

02
बरसे नैन
तुम्हारे बिन चैन
अब न आए।
03

सोये अंकुर
मुँह उठा के बोले-
लो ! जागे हम ।

04
न कोई रात
जहाँ न पहुँचा हो
चाँद का हाथ।
©अमन चाँदपुरी

चांदपुरी  उम्र के जितने कच्चे थे रचनाओं से उतने ही परिपक्व. उनमें वह साहित्यिक प्रौढ़ता थी जो एक सामान्य साहित्यकार को 55-60 का हो जाने पर आती है.

उनके दोहे विशेष रूप से प्रशंसित रहे हैं. दोहों में वो देश, दुनिया और सम्पूर्ण मानव समुदाय से संवाद करते नजर आते हैं वह भी बिल्कुल सामयिक अंदाज़ में -

घर में रखने को अमनवन-वन भटके राम।
हम मंदिर को लड़ रहेलेकर उनका नाम।।

ओ! मछुआरे डाल मतइस पोखर में जाल।
मछली को मालूम हैतेरी हर इक चाल।।

ऐसे सबके दुलारे 'चांदपुरी' जी के असमय प्रस्थान पर भला कौन नहीं रो पड़ेगा-
दुनिया छोड़ के जिस दुनिया में आया हूँ
उस दुनिया से बाहर आऊँ, नामुमकिन
~®अमन चाँदपुरी

कोई भी रचनाकार जो जीता है, वही लिखता है और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जो नहीं जीता है, उसे भी लिख   जाता है। लेकिन ये अटल सत्य है कि उसे आगे चलकर वो जीना ही पड़ता है।  ~©अमन चाँदपुरी

डॉ. सतीश पुष्करणा, मो. नसीम अख्तर, ज्योति स्पर्श, मधुरेश नारायण, प्रियंका श्रीवास्तव,  रवि श्रीवास्तव, पूनम कतरियार, संजय कुमार संज, प्रेमलता, राजकांता, शाइस्ता अंजुम, श्रीमती गोविल, कमला अग्रवाल, शशी, राजेंद्र पुरोहित, आदर्श सिंह, मीरा, श्रुति, संजय कुमार सिंह, पूनम देवा, अभिलाषा सिंह, पम्मी सिंह, एकता कुमारी, प्रभास सिंह, रंजना सिंह, विष्णु बनारस, नीरजा कृष्णा, नन्दनी प्रणय और अनेक अन्य साहित्यकारों ने अत्यंत अल्प आयुवाले इस विलक्षण नवयुवक ग़ज़लकार दोहाकार अमन 'चाँदपुरी' के असमय निधन पर अपनी अश्रुपूर्ण संवेदना व्यक्त की. बेजोड़ इंडिया ब्लॉग भी ऐसे अति प्रतिभाशाली साहित्यकार के निधन पर स्तब्ध है और गहरा शोक व्यक्त करता है.
......

प्रस्तुति - विभा रानी श्रीवास्तव / हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com




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हैदराबाद से दो शोधार्थी सत्येंद्र प्रजापति और शोभनिम कुमारी ने पटना की बाढ़ में सहायता की जिसे लेख्य मंजूषा ने सम्मान पत्र दिये. 






17 comments:

  1. असमय ही काल के गाल में समा गए उस दिवंगत साहित्यकार को विनम्र व भावभीनी श्रद्धांजलि यद्यपि मैं कभी उनसे मिला नहीं परंतु उनकी साहित्यिक साधना से रूबरू होता रहा। मेरी पूर्ण संवेदनाएं उस श्रेष्ठ साहित्यकार व उनके परिजनों के साथ हैं।

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    1. दिवंगत आत्मा को नमन.

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  3. श्रद्धा सुमन अर्पित

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    1. दिवंगत आत्मा को नमन.

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  4. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें

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    1. दिवंगत आत्मा को नमन.

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  5. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें

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    1. दिवंगत आत्मा को नमन.

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  6. मन विचलित हो चला, किन शब्दों में दूँ श्रद्धांजलि भला। ये कोई उम्र है जाने की,जाने क्यों इतनी हड़बड़ी थी जो बढ़ कर मौत को गले लगा लिया और हमसभी को गम के सागर में डूबा दिया।
    ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दें। सादर नमन

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  7. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

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  8. कभी मिली नहीं लेकिन नाम सुना था ।आज किसे नमन करूँ उनकी कृतियों को या मिट गए वजूद को । समझ नहीं पा रही । संगीता गोविल

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  9. अमन को फलक के उस पार भी अमन मिले

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  10. वे मेरे फेसबुक मित्र रहे हैं लेकिन उनसे कभी मिलने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ. इतनी अल्पायु में भी उनकी रचनाओं में विचारों और भावों की प्रौढ़ता उन्हें विलक्षण बनाती है.
    मधुर व्यवहार के धनी इस प्रतिभाशाली रचनाकार के असमय निधन से हम मर्माहत हैं.
    उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि

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  11. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

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  12. Wait for game of the year editions of major titles. These often come out a year or more after the original title, satta king play bazaar ut include a lot of the downloadable and extra content that was released in stages after the initial title. These games offer a lot more bang for the buck.play bazaar satta king

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