मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ
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चाहे इजहार करें न करें जवाँ होते ही लग जाता है इश्क का रोग जो शख्स के वजूद को पूरी तरह अपने आगोश में ले लेता है और फिर ताउम्र सारी बलाएँ एक तरफ और इश्क का खुमार एक तरफ | और जनाब अपनी महबूबा से इश्क कोई जुबाँ की मुहताज नहीं होती - उसके लिए चाहिए होता है मिजाज़!
उर्दू का स्पर्श ही आपकी जुबान को दिलकश बना देता है | पुस्तक मेला में गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करते हुए उर्दू – हिंदी के शाइरों-कवियों को एक मंच पर इकठ्ठा करने के लिए बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना के चेयरपर्सन और मशहूर शाइर रमेश कँवल के प्रति हार्दिक आभार और तहे – दिल से शुक्रिया अदा किया दिया |
25 वें पटना पुस्तक मेला में 16 नवम्बर का दिन शे’रो-शाइरी से शौक़ रखने वाले लोगों के लिए बेहद ख़ास रहा | बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना द्वारा आयोजित मुशायरे का उदघाटन जनाब इम्तियाज़ अहमद करीमी, निदेशक ,राजभाषा उर्दू ,बिहार सरकार ने शाइराना अंदाज़ में किया | उन्होंने कहा शरद का स्वागत अगर देश के नामी गरामी शाइरों की मौजदगी में उर्दू हिंदी की बेहतरीन शाइरी सुनने - सुनाने से हो तो उसकी यादें बहुत दिनों तक ज़हनों-दिल के दरवाज़े पर दस्तक देती रहेंगी | उन्होंने पुस्तक मेला के 25 वें आयोजन (सिल्वर जुबली) को पटना के साहित्य अनुरागियों के पुस्तक प्रेम का उत्कृष्ट प्रमाण बताया | उन्होंने पुस्तक ख़रीद कर पढने का आह्वान किया और कहा कि उर्दू और हिंदी सगी बहनें हैं |
उर्दू का स्पर्श ही आपकी जुबान को दिलकश बना देता है | पुस्तक मेला में गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करते हुए उर्दू – हिंदी के शाइरों-कवियों को एक मंच पर इकठ्ठा करने के लिए बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना के चेयरपर्सन और मशहूर शाइर रमेश कँवल के प्रति हार्दिक आभार और तहे – दिल से शुक्रिया अदा किया दिया |
25 वें पटना पुस्तक मेला में 16 नवम्बर का दिन शे’रो-शाइरी से शौक़ रखने वाले लोगों के लिए बेहद ख़ास रहा | बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना द्वारा आयोजित मुशायरे का उदघाटन जनाब इम्तियाज़ अहमद करीमी, निदेशक ,राजभाषा उर्दू ,बिहार सरकार ने शाइराना अंदाज़ में किया | उन्होंने कहा शरद का स्वागत अगर देश के नामी गरामी शाइरों की मौजदगी में उर्दू हिंदी की बेहतरीन शाइरी सुनने - सुनाने से हो तो उसकी यादें बहुत दिनों तक ज़हनों-दिल के दरवाज़े पर दस्तक देती रहेंगी | उन्होंने पुस्तक मेला के 25 वें आयोजन (सिल्वर जुबली) को पटना के साहित्य अनुरागियों के पुस्तक प्रेम का उत्कृष्ट प्रमाण बताया | उन्होंने पुस्तक ख़रीद कर पढने का आह्वान किया और कहा कि उर्दू और हिंदी सगी बहनें हैं |
मशहूर शाइर जनाब नाशाद औरंगाबादी, मुख्य अतिथि और अपनी मखमली आवाज़ के लिए मशहूर ग़ज़ल गायक डा. शंकर सागर ,उपाध्यक्ष बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन, विशिष्ट अतिथि ने प्यारी प्यारी ग़ज़लें पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया |
शकील सहसरामी ने मुशायरे की निज़ामत की | उन्होंने मंच सञ्चालन का आगाज़ कुछ इस अंदाज़ में किया :
हथेलियां भी बङी खुश अदाएं होती हैं
जुड़ें तो पूजा खुलें तो दुआएं होती हैं
जुड़ें तो पूजा खुलें तो दुआएं होती हैं
मुशायरे का आगाज़ अरुण कुमार आर्य के हम्द : हुस्नो-जमाल बख्शीसो-ने’मत ख़ुदा की है और आराधना प्रसाद के स्वर में निराला की सरस्वती वंदना “ वर दे वीणा वादिनी वर दे” से हुआ |
घनश्याम को किसी की आँखों की नादानी से परेशानी तो हुई पर जीना आसान हो गया -
तेरी आंखों की नादानी न होती
मुझे इतनी परेशानी न होती
हमारी ज़िन्दगी में तुम न होते
तो जीने में भी आसानी न होती
समीर परिमल ने आँखों में पानी नहीं बचाने से हो रही तबाही का मंज़र रखा -
जो न करना था कर गया पानी
देखो हद से गुज़र गया पानी
जब जगह मिल सकी न आँखों में
हर गली घर में भर गया पानी
बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी ,पटना के चेयरपर्सन रमेश कँवल रूमानगी से लबरेज एक सदाबहार शायर हैं जो माशूका के दिए सारे ग़मों को दिल से 'डिलीट' कर चुके हैं-
मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ
हिना की रोशन हथेलियों से नज़र के दिलकश पयाम लिख दूँ
डिलीट कर दूंगा उसके ग़म को मैं दिल के अब लैप टॉप से ही
ख़ुशी के जितने मिले हैं 'डाटा' उन्हें मैं दिलबर के नाम लिख दूँ
मुशायरे में ख़ातून शाइरात की शिरकत भी चर्चित रही | उनकी मीठी आवाज में बयाँ शायरी की नज़ाक़त से सामईन प्रभावित होते दिखे |
पूनम सिन्हा श्रेयसी ने क़ुबूल किया कि किन्हीं की मर्मस्पर्शी बातों से वो पिघल चुकी हैं -
मेरी मुझ से ही ठनने लगी
मेरी मुझ से ही ठनने लगी
बात बिगड़ी थी बनने लगी
तेरे शब्दों ने मन को छुआ
और मैं भी पिघलने लगी
शाज़िया नाज़ को किसी के बदलते तेवर नहीं समझ में आ रहे -
क्या हुआ क्या कहा कि ख़फ़ा हो गया
क्या हुआ क्या कहा कि ख़फ़ा हो गया
सोचती हूं तुझे आज क्या हो गया
वहीं तलत परवीन हैं जो सारे सितम को सहती जाती हैं -
तेरे ज़ुल्म ओ सितम का हर चेहरा
तेरे ज़ुल्म ओ सितम का हर चेहरा
आंसुओं ने मचल के देखा है
आराधना प्रसाद को इश्क एक मीठा खंजर सा लग रहा है -
दिल के रग रग में उतरता हुआ खंजर देखूं
दिल के रग रग में उतरता हुआ खंजर देखूं
जो किसी ने भी न देखा है वो मंज़र देखूं
डा.शमा नास्मीन ने तमाम तकलीफों में भी अपने मनोबल के बने रहने का राज आज खोल दिया -
जीती हूँ सर उठा के हज़ारों के बीच में
जीती हूँ सर उठा के हज़ारों के बीच में
अहले कलम की कम कभी इज्ज़त नहीं होती
डॉ आरती कुमारी वो शायरा हैं कभी खौफज़दा नहीं होतीं -
इन अंधेरों से कोई खौफ़ नहीं है मुझको
इन अंधेरों से कोई खौफ़ नहीं है मुझको
मैं समझती हूँ यहाँ नूर की बारिश होगी
डा.अर्चना त्रिपाठी अपने संकोच को नहीं तोड़ पा रही हैं -
हर्फ़े-इक़रार तो आए थे मेरे होंठों तक
लब सिले ऐसे न कुछ कहने दिया
किसी की याद है जो डा.प्रो सुधा सिन्हा के जिगर में समा गई है -
जिगर और दिल में समाने लगे हैं
जिगर और दिल में समाने लगे हैं
मुझे इतना क्यों याद आने लगे हैं
शाइरों ने भी एक से बढ़ कर एक उम्दा कलाम सुनाये | निम्न लिखित शाइरों के अशआर बहुत पसंद किये गए |-
अरुण कुमार आर्य अपने दोस्तों से बहुत चौकन्ने हैं -
मौत से नहीं मैं तो ज़िन्दगी से डरता हूं
मौत से नहीं मैं तो ज़िन्दगी से डरता हूं
दुश्मनी से क्या डरना दोस्ती से डरता हूं
प्रेम किरण लोगों को असली-नकली का फर्क समझा रहे हैं -
‘किरन’ बाज़ार में खोटी खरी हर चीज़ बिकती है
‘किरन’ बाज़ार में खोटी खरी हर चीज़ बिकती है
ख़रीदारों में शामिल है तो पैदा कर नज़र पहले
नाशाद औरंगाबादी हतप्रभ है कि भाई ये जबरदस्ती की अनबन कौन से तहजीब है जरा समझें -
ये किस समाज की तहज़ीब है कि आपस में
जो राम राम न हो और दुआ सलाम न हो
हर जगह आजादी अच्छी नहीं होती। समझा रहे हैं असर फ़रीदी -
दायरे में सुकून मिलता है
दायरे में सुकून मिलता है
इस से बाहर नहीं हुआ करते
आर.पी.घायल ने बताया की कोई सीख कर शाइरी नहीं कर सकता -
जहाँ जिस पर भी होती है ख़ुदा के नूर की बारिश
जहाँ जिस पर भी होती है ख़ुदा के नूर की बारिश
वही शाइर भी होता है वही फनकार होता है
सदाबहार शख्सीयत डॉक्टर शँकर प्रसाद के रास्तों में खार भरा हुआ है एक जमाने से -
हालात ने दिलो को समंदर बना दिया।
हालात ने दिलो को समंदर बना दिया।
पुरखार रास्तो को मुकद्दर बना दिया
कलीम अख्तर रोक रहे हैं किसी अजीज़ को अपने पास -
अभी तो शाम हुई है, जरा ठहर जाओ
अभी तो शाम हुई है, जरा ठहर जाओ
तमाम रात पड़ी है, जरा ठहर जाओ
युवा शाइर चैतन्य उषाकिरण चंदन की ज़िन्दगी अब दर्द का तराना बन चुकी है -
सुर्ख़ आँखों में फ़साना दर्द का
सुर्ख़ आँखों में फ़साना दर्द का
ज़िंदगी है इक तराना दर्द का
नईम सबा ने दिखाया कि गम कितने जरूरी हैं जिंदगी के वास्ते -
कुछ लुत्फ़ और आता मेरी हंसी ख़ुशी में
कुछ लुत्फ़ और आता मेरी हंसी ख़ुशी में
थोडा सा गम जो मिलता थोड़ी सी ज़िन्दगी में
सिद्धेश्वर ने दुश्मनी की आग को भड़कते देख बेचैन दिखे -
हाय! कब तक दुश्मनी की आग में
हाय! कब तक दुश्मनी की आग में
बेकफन जिंदा जलाए जाएंगें
मुशायरे की निज़ामत जनाब शकील सहसरामी ने बड़े ही रोचक अंदाज़ में किया | रमेश ‘कँवल’,चेयरपर्सन,बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना ने मुशायरे में शिरकत करने वाले सभी शाइरों-शाइरात और श्रोताओं का स्वागत – अभिनन्दन किया और पुस्तक मेला के आयोजकों विशेषकर रत्नेश्वर एवं विनीत को मुशायरे के लिए पुस्तक मेला का आम सभागार उपलब्ध कराने के लिए हार्दिक आभार प्रकट किया |
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प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
मूल आलेख और संकलन : रमेश ‘कँवल’
छायाचित्र साभार - अनेक कविगण
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
नोट: इस मुशायरे में भाग लेनेवाले शाइर अपनी तस्वीर भेज सकते हैं रपट में शामिल होने के लिए, ऊपर दिए गए ईमेल पर.
नोट: इस मुशायरे में भाग लेनेवाले शाइर अपनी तस्वीर भेज सकते हैं रपट में शामिल होने के लिए, ऊपर दिए गए ईमेल पर.
Trekking in Nepal is delighted to welcome you tiny but amazing country. Natures to renew one’s own self regard to relive of beauty realize of Nepal Tour to interact with its generous friendly peoples are highlights of Nepal Trekking and is one long term activity that draws repeat visitors with Treks Himalaya trekking company who offer wide verities of travel package in Nepal such as trekking, helicopter tour, mountain flight, peak climbing, sightseeing tour, Tibet tour, Bhutan tour and many more.. Final purpose for trekking offers numerous options walking excursion to meet snowy peaks, their foot hills, valleys but however there is amazing for each who hope Trek in Nepal and mountain area. Typical trekking and Hiking in Nepal as unique combination of natural glory of Annapurna Trekking is spectacular view of Annapurna Base Camp Trekking and Langtang Trekking is most rewarding way to skill Nepal natural stunning view of Phaplu Everest Base Camp Trek and array is to walking, trekking, width and the height of country. Trekking is important of Nepal Himalayas on description Nepal Travel of large range of ecological features for Nepal Holiday. The country nurtures a variety of flora and scenery. Addition to natural atmosphere is rich Himalayan culture. Many of visitor trek to different part of Nepal every year to experience its rustic charm, nature and culture. Most treks through areas between 1000 to 5185m, though some popular parts reach over 5648 meters. Every travelers knows for trekking from all over the words an exciting experience in Nepal.
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