Friday, 8 November 2019

केदार वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा जनकवि 'बाबा नागार्जुन' की पुण्यतिथि पर 5.11.2019 को पटना में कार्यक्रम सम्पन्न

"प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ, आबद्ध हूँ"
पटना के प्रेक्षागृह कालिदास रंगालय के अनुसुईया सभागार में 'विचारोत्तेजक संवाद

(हर 12 घंटों के बाद एक बार जरूर देख लीजिए- FB+ Today Bejod India)




इस संवाद-सह-गोष्ठी में समाज के सभी कार्यक्षेत्रों के लोग सम्मलित हुए । सभी ने पुष्पांजलि कर अपना स्नेह बाबा को समर्पित किया । 

वरिष्ठ रंगकर्मी और साहित्यकार 'आमियनाथ चटर्जी' ने बाबा के बारे में बहुत सी बातें बताई । कैसे बाबा सबसे मिलते थे, कैसे उनकी पुत्री लोगों का स्वागत करती थीं, बाबा की घुमक्कड़ी की तो उन्होंने दास्ताँ बताई । ख़ूब घूमो तभी दुनिया देखोगे, ज्ञान मिलेगा अगर नागार्जुन नहीं घूमते तो नागार्जुन कैसे बनते? 

वहीं दूसरी तरफ टिकुली आर्ट की कलाकार 'राखी' ने उन्हें एक आम आदमी का कवि कहा । रंगकर्मी मनोज मानव, विक्रांत चौहान, समीर, शुभम, निशांत, उदय प्रताप सिंह ने  बाक़ी बच गया अंडा, ग़ुलाबी चूड़ियां, बातें, आकाल के बाद...जैसी कविताओं का पाठ किया। 

रंगकर्मी नंदलाल ने अपने संदेश में बाबा के जीवन को लोगों को बताया। विविध भारती के वरीय उद्घोषक 'उपेंद्र पासवान ने बाबा को नमन करते हुए कहा कि अभी बाबा को और समझने की ज़रूरत है। अभिनेता विनीत झा ने बाबा के उनके अपने गांव महिषी में प्रवास की घटना बताई, और साथ हीं उनकी सहजता को भी सभी को बताया। 

इस अवसर पर जनकवि की कृतियों की भी चर्चा हुई और 'पारो', 'बनचनवा' जैसी उनकी कृतियों में निहित जीवन मूल्यों को विश्लेषित किया गया

रंगकर्मी सुनील बिहारी ने बाबा  की कविता 'लाल-ए-लाल' को पढ़ के सुनाया । संस्था की अध्यक्षा 'किरण सिंह'  ने अपने संदेश में बाबा की कविता "प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ, आबद्ध हूँ' को लोगों तक पहुँचाया । उनके संदेश में आज के जनमानस की बाबा के मन में पलने वाली चिंता का पुट था। बाबा आम जन थे, तभी तो "जनकवि" कहलाये, लोगों की वेदना और उसके मर्म को उनकी रचना और उनकी कविता पूरे विस्तार से कहती है। बाबा आम जन की आवाज़ हैं। हमें बाबा को ख़ुद में खोजना चाहिए, यह घुमक्कड़ी हम सभी में बाक़ी रहनी चाहिए...बाबा को ख़ुद में अपनाना होगा तभी एक सुंदर समाज का निर्माण संभव है और लोकतंत्र ज़्यादा मज़बूत। 

कला एवम शिल्प महाविद्यालय पटना के प्राचार्य, 'अजय पांडेय ' ने अपने संदेश में बाबा को अपने में अनूठा बताया। ज्ञान की उनकी जिज्ञासा के लिए घुमक्कड़ी को सलाम किया। रंगकर्मी रेखा सिंह ने बाबा के पारिवारिक जीवन के बारे में बातें बताई। बाबा को समझना बहुत ज़रूरी है। 

रंगकर्मी और ट्रस्ट के सह-संस्थापक विशाल कुमार तिवारी मंच संचालन कर रहे थे उन्होंने कहा कि बाबा तो हम सभी में हैं, जो भी अच्छा सोचता है, सृजनशील है और जिसका भी जीवन के नैतिक मूल्यों में विश्वास है उसमें बाबा जीते हैं, ज़रूरत है कि हम उनकी आयु बढ़ाएं... उनके जीवन के प्रकाश को सबतक पहुँचाने को अपने जीवन का ध्येय बनाएं। "केदार वेलफेयर ट्रस्ट" जीवन के नैतिक मूल्यों में अपनी आस्था रखता है,और उसके संवर्धन हेतु हमेशा तत्पर है। "बाबा नागार्जुन" के प्रति एक मिनट के मौन के बाद लोग इस आयोजन से ढेरों  अनमोल पल अपनी स्मृति में ले जाते दिखे

आम आदमी की आवाज होने के कारण बाबा नागार्जुन कभी अप्रासंगिक नहीं होंगे बल्कि उनके विचारों को महत्व देने की जरूरत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है....फिर घुमक्कड़ी शुरू........
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आलेख - विशाल तिवारी 
लेखक का ईमेल- kumarrisheb37@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com





















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