बनके चरागे-इश्क़ जलाई है ज़िंदगी
(हर 12 घंटे पर देखते रहिए कि कहीं फेसबुक पर कहीं यह तो नहीं छूट गया - FB+ Watch Bejod India)
जिस तरह से एक प्रवहमान नदी घाट-घाट से टकराती हुई आगे बढ़ती जाती है उसी तरह से साहित्यकार भी समय और परिस्थितियों के थपेड़े झेलते हुए अपना आगे का मार्ग प्रशस्त करते हैं. एक नदी जब पत्थरों से टकराती है तो कल-कल ध्वनि उत्पन्न होती है और एक शायर जब समय से टकराता है तो ग़ज़लें निकलकर आती हैं.
पटना सिटी की साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था "मानवोदय" के तत्वावधान में शिक्षाविद-साहित्यकार डा. दीनानाथ शरण की जयन्ती सह कवि सम्मेलन का आयोजन,चौक, पटना सिटी स्थित सनातन धर्म सभा भवन के सभागार में किया गया.
आयोजन का उद्घाटन नगर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व महामंत्री दीनानाथ जेटली ने किया.आयोजन के मुख्य अतिथि थे खगड़िया से पधारे "कौशिकी" पत्रिका के सम्पादक कैलाश झा 'किंकर' तथा विशिष्ट अतिथि थे वरिष्ठ शायर द्वय प्रेम किरण तथा घनश्याम.
अध्यक्षता की सुचर्चित लघुकथाकार पुष्पा जमुआर ने तथा संचालन किया 'मानवोदय' के महासचिव प्रभात कुमार धवन ने.
दीप प्रज्ज्वलन के बाद आयोजन का शुभारम्भ राजकुमार प्रेमी ने वाणी वन्दना से किया.
प्रथम चरण में घनश्याम, डा.रामाश्रय झा और पुष्पा जमुआर ने डा. दीनानाथ शरण के व्यक्तित्व और साहित्यिक अवदानों की चर्चा की. मुख्य अतिथि कैलाश झा 'किंकर' ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को पद्यात्मक रूप से प्रस्तुत कर अपनी विशेष छाप छोड़ी.
खगड़िया से पधारे कवि प्रसिद्ध कवि कैलाश झा किंकर ने डॉ. शरण के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक सुंदर कविता का पाठ किया और कहा -
सम्पादक थे, आलोचक थे , कवि थे अद्भुत कथाकार
लेखों, आलेखों में सचमुच , पाए थे अद्भुत आधार
आज जयन्ती पर उनको करते हैं सौ-सौ बार नमन
चंदन-वन्दन को स्वीकारे, प्रेरक दीनानाथ शरण.
किलकारी के नवोदित कवि मुनटुन राज को इस अवसर पर अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र और पुस्तक देकर सम्मानित किया गया.
दूसरे चरण में कवि सम्मेलन का दौर चला जिसमें कैलाश झा 'किंकर', प्रेम किरण, बच्चा ठाकुर, पुष्पा जमुआर, सिद्धेश्वर, सुनील कुमार उपाध्याय, पूनम सिन्हा 'श्रेयसी', कुमारी स्मृति, शंकर शरण आर्य, प्रभात कुमार धवन,चैतन्य चन्दन, चन्द्र प्रकाश तारा, गौरी शंकर राजहंस, दारा सिंह, मुनटुन राम आदि कवियों के अलावा घनश्याम ने भी काव्य पाठ किया.
आज के चर्चित शायर घनश्याम ने गतिविधियों के विध्वंशक हो जाने पर गहरी चिंता जताई-
जाने कैसी हवा चली है जहरीली
जीना अब दुश्वार दिखाई देता है
आगजनी, पथराव, धमाके, खूंरेजी
आतंकित घर-बार दिखाई देता है
विध्वंशक हो गई समय की गतिविधियाँ
संकट में संसार दिखाई देता है.
कैलाश झा किन्कर ने ज़िंदगी को फकत मुफलिसों की संवेदना बताया-
खूब मुझको अब बजाएँ झुनझुना है ज़िन्दगी
मुफलिसों की चारसू संवेदना है ज़िन्दगी
आस की खेती हुई पर हर तरफ उल्टा असर
लूटने वालों से करती सामना है ज़िन्दगी.
ऊर्जावान युवा शायर चैतन्य उषाकिरण चंदन ने शरर पर चलते हुए भी अपने वतन की शान को बरकरार रखा और वह भी बिना उफ किये-
तुमने जो राहे वस्ल दिखाई है ज़िंदगी
हमने भी फ़स्ले इश्क़ उगाई है ज़िंदगी
चलते रहे शरर पे कभी उफ़ नहीं किया
हमने इसी तरह से बिताई है ज़िंदगी
झुक जाए न माथा मेरे भारत महान का
हमने वतन पे अपनी लुटाई है ज़िंदगी
नफ़रत के अंधेरों को मिटाने के वास्ते
बनके चराग़-ए-इश्क़ जलाई है ज़िंदगी.
देश के चर्चित चित्रकार और कवि सिद्धेश्वर ने एक मार्मिक ग़ज़ल सुनाई-
जिसमें छुपे हों उसकी जिंदगी के राज
वो खत उसको जरूर जला देना चाहिए
ज़िन्दगी का जब भरोसा नहीं है दोस्त
जो वादा गर किया है तो निभा देना चाहिए.
अंत में अध्यक्ष पुष्पा जमुआर की अनुमति से सभा विसर्जित की गई.
.....
आलेख - घनश्याम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- editorbejodindia@yahoo.com
नोट - प्रतिभागी कविगण कृपया अपनी पंक्तियाँ ऊपर दिये गए ईमेल आईडी पर शीघ्र भेजें.
डॉक्टर दीनानाथ शरण की जयन्ती पर
ReplyDeleteचमकें सूरज,चाँद ,सितारे ,जैसे दीनानाथ शरण।
उद्भट विद्वानों में न्यारे,डॉक्टर दीनानाथ शरण।।
तेइस जून अड़तीस को जन्मे, थे दरियापुर गोला में
खुशी मनायी थी पटना ने, बँटी मिठाई टोला में
पढ़ने-लिखने का सपना भी,पटना में साकार हुआ
कविताओं के पंख- पसारे,कविवर दीनानाथ शरण ।
एम ए हिन्दी से करके वो ,शोधकार्य में जुटे रहे
जयशंकर के नारि-पात्र को ,गुणने में वे डटे रहे
अद्भुत शोधालेखों से जग-मग साहित्याकाश हुआ
कभी समय से तनिक न हारे,सचमुच दीनानाथ शरण।
खुद जब एम ए में पढ़ते थे,सृजन शुरू हो गये तमाम
हिन्दी काव्य में छायावाद पर,पुस्तक आयी सुखद ललाम
राजस्थानी विश्वविद्यालय के, एम ए कोर्स में हुई शरीक
ऐसे थे कवि -पुंज हमारे,डॉक्टर दीनानाथ शरण ।
जब नेपाली साहित्य का ,इतिहास लिखा था उन्होंने
त्रिभुवनविश्वविद्यालय में,यश प्राप्त किया था उन्होंने
शैला के प्रति कविताएँ लिख,गीतों का भी शृंगार किया
पत्नी के साहित्य सँवारे,अद्भुत दीनानाथ शरण ।
सम्पादक थे,आलोचक थे ,कवि थे अद्भुत कथाकार
लेखों-आलेखों में सचमुच , पाए थे अद्भुत आधार
आज जयन्ती पर उनको करते हैं सौ-सौ बार नमन
चंदन-वन्दन को स्वीकारे,प्रेरक दीनानाथ शरण ।
@कैलाश झा किंकर
बहुत सुंदर चित्रण 'शरण' जी के जीवन-वृतांत का. भूरि भूरि साधुवाद आपका.
Delete