Monday 16 December 2019

नीलाम्बर कोलकाता द्वारा लिटरेरिया 2019 का कोलकाता में आयोजन का दूसरा दिन (14.12.2019)

मीरा भक्तिन तो स्वीकार है, लेकिन प्रेम से पड़ी कवयित्री के रूप में नहीं
कविता पाठ एवं संवाद से संपन्न हुआ लिटरेरिया का दूसरा दिन

(हर 12 घंटों के बाद एक बार जरूर देख लीजिए- FB+ Today Bejod India)



नीलांबर द्वारा आयोजित लिटरेरिया का दूसरा दिन अर्थात 14.12.2019 था। सर्वप्रथम विमलचंद्र पांडेय के निर्देशन में बनी फिल्म 'होली फिश' का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत नौ वर्षीय अनिर्बान राय के बांसुरी वादन से हुई। जिसके साथ तबले पर तुहीन कर्मकार थे। इस दिन के पहले संवाद सत्र के वक्ताओं में से मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि एक मात्र कलाकार ही है जो आगत के सटीक संकेत देता है। रूढ़ियों से उठे बिना ना स्त्री सशक्त हो पाएगी न समाज बदल पाएगा।चन्दन पाण्डेय का कहना था कि आजादी यथार्थ था तो विभाजन सत्य। भारत यथार्थ है तो कश्मीर हकीकत है। गीता दूबे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कला में जो सत्य है, वह अनुमान पर आधारित होता है।इस सत्र का संचालन निशांत ने किया। इस दिन के कविता पर्व में ज्ञानेन्द्रपति, केशव तिवारी,अनिता भारती,अरुण देव,अनिल अनलहातु,आशीष त्रिपाठी, विश्वासी एक्का,यशोधरा राय चौधुरी(बंगला),प्रकाश उदय(भोजपुरी) और अमिताभ रंजन कानू(असमिया),डॉ विनय कुमार, अशोक कुमार पाण्डेय,अमिताभ बच्चन,विनोद विट्ठल, शैलजा पाठक, अच्युतानन्द मिश्र, श्रुति कुशवाहा, श्वेता राय,सुघोष मिश्र, अविनाश दास (मैथिली), दासू वैद्य (मराठी) ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कविता पर्व का संचालन आनंद गुप्ता और स्मिता गोयल ने किया ।

इस दिन के दूसरे संवाद सत्र में "स्त्री का मिथक और मिथक की स्त्री" विषय पर गीताश्री ने अपनी बात रखते हुए कहा कि स्त्री को लेकर जो भी मिथक हैं उसने स्त्रियों की बहुत ही कमजोर छवि पेश की है। उसका सबल पक्ष कम उजागर हुआ है। मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मेरे गृहराज्य में मीरा के पद आदिवासी स्त्रियां और जोगनें ही गाती हैं। मीरा नाम आज भी अच्छे घरों में नहीं रखा जाता है। मीरा भक्तिन तो स्वीकार है, लेकिन प्रेम से पड़ी कवयित्री के रूप में नहीं। यही है मिथक की स्त्री और स्त्री के लिए वर्तमान समाज का मिथक। अनिता भारती ने कहा कि मिथकों ने स्त्री की झूठी छवि गढ़ी है। यहां के लोगों ने भी 'मिथक' को पूज कर स्त्री की संपूर्ण अवहेलना की है।' होलिका' को जलाकर पर्व सम्पन्न करना मिथकों का सबसे क्रूर रूप है। इस सत्र का संचालन करती हुई रश्मि भारद्वाज ने कहा कि मिथक किसी देश की संस्कृति में गहरे रचे बसे होने के साथ आईडेंटिटी कन्सट्रक्शन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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आलेख - आनन्द गुप्ता 
लेखक का ईमेल - anandgupta19776#gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com






























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