सच भावनाओं और प्रोपगैंडा के बीच कहीं गुम हो गया है
लिटरेरिया 2019 का तीसरा और आखिरी दिन 15.12.2019
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तीसरा और आखिरी दिन 15.12.2019 विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से संपन्न हुआ। आज सर्वप्रथम नीलांबर द्वारा तैयार की गई दो फिल्में "गोष्ठी" और "जमीन अपनी तो थी" का प्रदर्शन किया गया। फिल्मों पर बातचीत के लिए मौजूद थे सुपरिचित फिल्म निर्देशक अविनाश दास, कथाकार चंदन पांडेय एवं इन फिल्मों के निर्देशक ऋतेश पांडेय। अविनाश दास ने कहा कि कहानी लिखना अलग बात है पर उसका फिल्मांकन करना अलग बात है। फिल्म में उसे दुबारा लिखी जाती है। चंदन पांडेय ने कहानी की रचना प्रक्रिया पर अपनी बात रखी। ऋतेश पांडेय ने इन फिल्मों से जुड़े अनुभव साझा किए। इस दिन के प्रथम संवाद सत्र में "कविता के उपादान : मिथ,फैंटेसी और यथार्थ" विषय पर बातचीत में ज्ञानेंद्रपति ने कहा कि भारतीय संदर्भ में फंतासी और मिथक को समझने के लिए मुक्तिबोध आदर्श रूप में हैं।
प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि आज मिथ और इतिहास का अंतर ही मिटा दिया गया है। मिथ को सही परिप्रेक्ष्य में समझना होगा। अरुण देव ने कहा कि कविता में मिथक और फैंटेसी अनिवार्य उपादान है। नीलकमल ने कहा कि मिथ एक ठोस चीज नहीं है, डायनामिक चीज है। मिथ जरूरी नहीं कि धर्म से आए जबकि नये-नये मिथ बनाए जा रहे हैं। विमलेश त्रिपाठी ने सत्र का संचालन किया। इसके बाद "गाँधी : मिथ, यूटोपिया और यथार्थ'" विषय पर आयोजित संवाद सत्र में प्रेमपाल शर्मा, पराग मांदले, अल्पना नायक और रश्मि भारद्वाज ने हिस्सा लिया। प्रेमपाल शर्मा ने कहा कि गांधी सबसे ज्यादा रियलिस्टिक है। हमें अपने जीवन में गांधी का अनुकरण करना चाहिए। पराग मांडले ने कहा कि गांधी देश में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिसके पक्ष- विपक्ष में सबसे ज्यादा बातें कही गई हैं एवं जिन पर सबसे ज्यादा किताबें हैं। रश्मि भारद्वाज ने कहा कि पोस्ट ट्रुथ के इस युग में जब सच भावनाओं और प्रोपगैंडा के बीच कहीं गुम हो गया है, पत्रकारिता निष्पक्ष नहीं रह गयी है और राजनीति पर धर्म का रंग चढ़ चुका है, गांधी और उनके विचार एक मिथक की तरह ही प्रतीत होते हैं। सत्र का संचालन योगेश तिवारी ने किया।
इस दिन का समापन सत्र विद्या मंदिर में आयोजित हुआ जिसमें सबसे पहले मृत्युंजय कुमार सिंह ने अपने मधुर गीतों से दर्शकों का मन मोह लिया। इनके अलावा आस्था मांडले और ममता शर्मा ने गीतों की शानदार प्रस्तुति की। मौसूमी दे एवं दल द्वारा महादेवी वर्मा के गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति की गई। नीलांबर की टीम द्वारा विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं पर आधारित "रंग विनोद" एवं मुक्तिबोध की कविताओं पर आधारित 'फैंटेसी' शीर्षक से कविता कोलाज की प्रस्तुति की गई जिसमें हिस्सा लेने वाले कलाकारों में शामिल थे पूनम सिंह, ममता पांडेय, स्मिता गोयल, दीपक ठाकुर, नीलू पांडेय, निधि पांडेय, विशाल पांडेय, सिमरन शमीम एवं अदिति दूबे। तत्पश्चात मौसूमी दे एवं दल द्वारा महादेवी वर्मा के गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति की गई। देवप्रिया मुखर्जी द्वारा निराला की कविता "एक बार बस नाच तू श्यामा" पर काव्य नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर निनाद सम्मान’ डॉ स्कंद शुक्ल को एवं ‘रवि दवे सम्मान’ उषा गांगुली को पद्म श्री रीता गांगुली के हाथों से प्रदान किया गया। अंत में असीमा भट्ट द्वारा निर्देशित एवं अभिनीत नाटक ‘द्रौपदी’ का मंचन हुआ।जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। पूरे सत्र का संचालन ममता पांडेय एवं लोकनाथ तिवारी ने किया।
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आलेख - आनन्द गुप्ता
लेखक का ईमेल - anandgupta19776@gmail.com
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