कविता तो शिल्प से बनती है जिसे संगीत, लय के अभाव में पहचानना कठिन होता है
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बीते 70 वर्षों से अनवरत प्रकाशित होती आ रही पत्रिका 'नयी धारा' का उदयराज सिंह स्मारक व्याख्यान सह साहित्यकार सम्मान अर्पण समारोह दिनांक 7.12.2019 पटना स्थित बिहार संग्रहालय सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से आए लगभग तीन सौ लेखकों ने भागीदारी की। साहित्यिक पत्रिका "नई धारा" के इस बार्षिक साहित्योत्सव कार्यक्रम में अध्यक्ष डॉ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के द्वारा नरेश सक्सेना को उदयराज सिंह स्मृति सम्मान में रु.एक लाख प्रदान किये गए और नई धारा के प्रधान सम्पादक डॉ. प्रमथ नाथ मिश्रा द्वारा डॉ श्योराज सिंह बेचन, डॉ देवशंकर नवीन, राजकमलको नई धारा रचनाकार सम्मान के रूप में 25-25 हजार रुपये दिये गए। डॉ शिव नारायण ने इस कार्यक्रम का संचालन किया और शम्भू पी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
उदयराज सिंह स्मारक व्याख्यान करने लखनऊ से कवि नरेश सक्सेना आए थे जिन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में काव्य के रूप में बहुत कुछ सामने आ रहा है लेकिन अच्छी कविताएँ बहुत कम देखने को मिलती है। आज के आलोचकों को सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अच्छी कविताओं की पहचान करके लोगों के सामने लाएँ। कविता तो शिल्प से बनती है जिसे संगीत, लय के अभाव में पहचानना बहुत कठिन होता है । आलोचक छंद, लय की चर्चा तो करते हैं लेकिन ताल की नहीं। काव्य शिल्प को रूपवाद कह कर अक्सर उसे खारिज कर देने की साजिश भी रची जाती है।
डॉ. सक्सेना ने कहा कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में अग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। राजनीति मंद बुद्धि के लोगों से चल रही है इसलिए साम्प्रदायिकता और जातिवाद का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि कविता तो करुणा, न्याय और प्रतिरोध की चेतना-यात्रा का स्रोत है जिससे हमारा देश और समाज समृद्ध होता है। उन्होंने नई धारा के 70 वर्षों की साहित्यिक यात्रा और पिछले 13 वर्षों से साहित्यकारों को सम्मानित करने की सराहना की।
सम्मानित साहित्यकारों में डॉ. श्यौराज सिंह बेचैन ने कहा कि श्यौराज सिंह बेचैन की शक्ल में अनुभवजन्य अभिव्यक्ति देनेवाली बिरादरी को सम्मानित किया जा रहा है जो आज तक हाशिए में रहा है। चर्चित लेखक और जेएनयू के प्रोफेसर देवशंकर नवीन ने कहा साहित्य-कर्म मेरे लिए देश-समाज की सेवा का व्रत है। सम्मान मिलने से मुझे लग रहा है कि सेवा का व्रत सार्थक हुआ।
नई धारा के सम्पादक डॉ. शिव नारायण ने कहा कि किसी लेखक के जीवन की सार्थकता उसकी निजी उपलब्धियों में नहीं बल्कि उनके समाज-सापेक्ष संघर्ष में है अत: उसे अपने सामाजिक सरोकारों को अधिक से अधिक सार्थक बनाने की दिशा में सक्रिय रहना चाहिए।
समारोह का समापन कथाकार शम्भू पी सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - डॉ. शिव नारायण
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
डॉ. सक्सेना ने कहा कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में अग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। राजनीति मंद बुद्धि के लोगों से चल रही है इसलिए साम्प्रदायिकता और जातिवाद का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि कविता तो करुणा, न्याय और प्रतिरोध की चेतना-यात्रा का स्रोत है जिससे हमारा देश और समाज समृद्ध होता है। उन्होंने नई धारा के 70 वर्षों की साहित्यिक यात्रा और पिछले 13 वर्षों से साहित्यकारों को सम्मानित करने की सराहना की।
सम्मानित साहित्यकारों में डॉ. श्यौराज सिंह बेचैन ने कहा कि श्यौराज सिंह बेचैन की शक्ल में अनुभवजन्य अभिव्यक्ति देनेवाली बिरादरी को सम्मानित किया जा रहा है जो आज तक हाशिए में रहा है। चर्चित लेखक और जेएनयू के प्रोफेसर देवशंकर नवीन ने कहा साहित्य-कर्म मेरे लिए देश-समाज की सेवा का व्रत है। सम्मान मिलने से मुझे लग रहा है कि सेवा का व्रत सार्थक हुआ।
नई धारा के सम्पादक डॉ. शिव नारायण ने कहा कि किसी लेखक के जीवन की सार्थकता उसकी निजी उपलब्धियों में नहीं बल्कि उनके समाज-सापेक्ष संघर्ष में है अत: उसे अपने सामाजिक सरोकारों को अधिक से अधिक सार्थक बनाने की दिशा में सक्रिय रहना चाहिए।
समारोह का समापन कथाकार शम्भू पी सिंह के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - डॉ. शिव नारायण
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
अच्छी रिपोर्टिंग।
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय.
DeleteNice reporting
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