कोयलिया कलमुही गा रही / ऊंचे स्वर पंचम में
(हर 12 घंटों के बाद एक बार जरूर देख लीजिए- FB+ Bejod India)
सुप्रसिद्ध कथाकार हरिवंश नारायण जी की 7 वीं पुण्यतिथि पर श्री अरविन्द महिला महाविद्यालय,काजीपुर, पटना के सभागार में आज 01.02.2020 को स्मारक व्याख्यान और ऋतुराज वसंत के आगमन पर एक विशिष्ट कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया. उद्घाटन वरिष्ठ कवयित्री और साहित्यकार पद्मश्री डॉ. शान्ति जैन ने किया. मुख्य अतिथि थे दूरदर्शन, पटना के केन्द्र निदेशक डॉ. राज कुमार नाहर और अध्यक्षता की श्री अरविन्द महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.मीरा कुमारी ने.
आरंभ में स्वागत हिदी विभागाध्यक्ष और देश के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शिव नारायण ने किया,
स्मारक व्याख्यान दिया सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार और साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने. अपने व्याख्यान में उन्होंने कथाकार, शिक्षाविद् और प्रशासक हरिवंश नारायण के जीवन संघर्ष, व्यक्तित्व की सौम्यता, सादगी और व्यवहार की विस्तृत चर्चा की और कथा साहित्य में उनके विशिष्ट अवदान और उपलब्धियों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला. पहले चरण का संचालन किया संसद के अध्यक्ष पंकज प्रियम ने,
मुख्य अतिथि डॉ. राजकुमार नाहर ने श्री हरिवंश नारायण जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए पटना और बिहार के कला एवं साहित्य की प्रतिभाओं को दूरदर्शन में उचित अवसर प्रदान करने का आश्वासन और निमंत्रण दिया.
दूसरे सत्र में वसंत के आगमन पर आधारित कवयित्री सम्मेलन में पद्मश्री शांति जैन, डॉ मधु वर्मा, डॉ भावना शेखर,आराधना प्रसाद, डॉ मौसमी सिन्हा, डॉ नीलू अग्रवाल, डॉ अर्चना त्रिपाठी, नताशा, सिमरन राज, रश्मि गुप्ता, राजप्रिया, श्रेया सिंह आदि ने वसंत विषयक अपनी-अपनी कविताओं के पाठ से श्रोताओं का मन मोह लिया। कवयित्री सम्मेलन का संचालन नताशा ने किया। पढ़ी गई कविताएँ कुछ यूँ थीं -
पद्मश्री शांति जैन ने वसंत की आहट किसी फूलों के बागीचे में देखी -
फूल रही है सरसों खेत में / वन में उपवन में
अमलतास टेसू की चादर / बिछी हुई है आंगन में
प्रेम निवेदन भौरों का सुन / कलि कलि अगराये
कोयलिया कलमुही गा रही / ऊंचे स्वर पंचम में
डॉ. भावना शेखर को वसंत कैसे मालूम पड़ा देखिए -
मौसम बदला / आज उन्हीं ठूँठों में
सब्ज रंग उग आया है / मालूम होता है वसंत आ गया
वहीं आराधना प्रसाद भी प्रकृति को निहारती दिख रही हैं -
मैं वसंत हूँ / हाँ वसंत हूँ
तरु की कोयल की पुकार में / वासंती भीनी बयार में
रश्मि गुप्ता का अंदाज़ ही निराला है -
जब वसंत जवान हो गया / हर कोई मस्तान हो गया
देख के खेतों की हरियाली / राजा हर किसान हो गया
डॉ. अर्चना त्रिपाठी वाक़िफ हैं वसंत के भेदभावपूर्ण रवैये से -
कहाँ है मेरे हिस्से का वसंत
हमारे जीवन में पतझड़ का मौसम ठहर सा गया है
बिल्कुल बेजान को भी बना देता है जानदार वसंत. नताशा कहती हैं -
वीरानियाँ आबाद हो रही हैं / भूतों के पैर
सीधे हो चले हैं / बह रहा वसंत
नीलू अग्रवाल जानती हैं वसंत आता नहीं है, लाया जाता है-
फूल पत्तों से निकलकर / अखबारों के शीर्षकों पर
नई दृष्टि का सौंदर्य पाकर / जब नया बिम्ब और प्रतीक तू बनाएगा
तब वसंत आएगा
राज प्रिया भी प्रस्तुत कर रही हैं एक शब्दचित्र -
नव किसलय झुरमुट का
आगमन हो गया ऋतुराज संग
श्रेया सिंह सीधे मुद्दे की बात करती हैं -
हजारों की भीड़ में
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए था
सिमरन राज को एक मुलाकात तय है इस वसंत में -
उनकी खुशबुओं से / अब मुलाकात तो होनी ही थी
आखिर वो चहकती हवाएँ / वसंती जो ठहरी
अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया डॉ सरिता कुमारी ने। सारे श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर अंत तक वासंती काव्य की फुहार में भीगते रहे.
......
रपट का आलेख - घनश्याम और हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - डॉ. शिव नारायण, घनश्याम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
आरंभ में स्वागत हिदी विभागाध्यक्ष और देश के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शिव नारायण ने किया,
स्मारक व्याख्यान दिया सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार और साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने. अपने व्याख्यान में उन्होंने कथाकार, शिक्षाविद् और प्रशासक हरिवंश नारायण के जीवन संघर्ष, व्यक्तित्व की सौम्यता, सादगी और व्यवहार की विस्तृत चर्चा की और कथा साहित्य में उनके विशिष्ट अवदान और उपलब्धियों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला. पहले चरण का संचालन किया संसद के अध्यक्ष पंकज प्रियम ने,
मुख्य अतिथि डॉ. राजकुमार नाहर ने श्री हरिवंश नारायण जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए पटना और बिहार के कला एवं साहित्य की प्रतिभाओं को दूरदर्शन में उचित अवसर प्रदान करने का आश्वासन और निमंत्रण दिया.
दूसरे सत्र में वसंत के आगमन पर आधारित कवयित्री सम्मेलन में पद्मश्री शांति जैन, डॉ मधु वर्मा, डॉ भावना शेखर,आराधना प्रसाद, डॉ मौसमी सिन्हा, डॉ नीलू अग्रवाल, डॉ अर्चना त्रिपाठी, नताशा, सिमरन राज, रश्मि गुप्ता, राजप्रिया, श्रेया सिंह आदि ने वसंत विषयक अपनी-अपनी कविताओं के पाठ से श्रोताओं का मन मोह लिया। कवयित्री सम्मेलन का संचालन नताशा ने किया। पढ़ी गई कविताएँ कुछ यूँ थीं -
पद्मश्री शांति जैन ने वसंत की आहट किसी फूलों के बागीचे में देखी -
फूल रही है सरसों खेत में / वन में उपवन में
अमलतास टेसू की चादर / बिछी हुई है आंगन में
प्रेम निवेदन भौरों का सुन / कलि कलि अगराये
कोयलिया कलमुही गा रही / ऊंचे स्वर पंचम में
डॉ. भावना शेखर को वसंत कैसे मालूम पड़ा देखिए -
मौसम बदला / आज उन्हीं ठूँठों में
सब्ज रंग उग आया है / मालूम होता है वसंत आ गया
वहीं आराधना प्रसाद भी प्रकृति को निहारती दिख रही हैं -
मैं वसंत हूँ / हाँ वसंत हूँ
तरु की कोयल की पुकार में / वासंती भीनी बयार में
रश्मि गुप्ता का अंदाज़ ही निराला है -
जब वसंत जवान हो गया / हर कोई मस्तान हो गया
देख के खेतों की हरियाली / राजा हर किसान हो गया
डॉ. अर्चना त्रिपाठी वाक़िफ हैं वसंत के भेदभावपूर्ण रवैये से -
कहाँ है मेरे हिस्से का वसंत
हमारे जीवन में पतझड़ का मौसम ठहर सा गया है
बिल्कुल बेजान को भी बना देता है जानदार वसंत. नताशा कहती हैं -
वीरानियाँ आबाद हो रही हैं / भूतों के पैर
सीधे हो चले हैं / बह रहा वसंत
नीलू अग्रवाल जानती हैं वसंत आता नहीं है, लाया जाता है-
फूल पत्तों से निकलकर / अखबारों के शीर्षकों पर
नई दृष्टि का सौंदर्य पाकर / जब नया बिम्ब और प्रतीक तू बनाएगा
तब वसंत आएगा
राज प्रिया भी प्रस्तुत कर रही हैं एक शब्दचित्र -
नव किसलय झुरमुट का
आगमन हो गया ऋतुराज संग
श्रेया सिंह सीधे मुद्दे की बात करती हैं -
हजारों की भीड़ में
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए था
सिमरन राज को एक मुलाकात तय है इस वसंत में -
उनकी खुशबुओं से / अब मुलाकात तो होनी ही थी
आखिर वो चहकती हवाएँ / वसंती जो ठहरी
अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया डॉ सरिता कुमारी ने। सारे श्रोतागण मंत्रमुग्ध होकर अंत तक वासंती काव्य की फुहार में भीगते रहे.
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रपट का आलेख - घनश्याम और हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र सौजन्य - डॉ. शिव नारायण, घनश्याम
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
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