Monday 24 February 2020

मैथिल समूह मुम्बई साहित्यिक बैसाड़ की पहली गोष्ठी.23.2.2020 को मुम्बई में सम्पन्न

"एहि फगुआमे आश पुरबियौ "(इस फागुन में आस पुरी कीजिए)

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यह हिंदी अनुवाद है.  मूल रपट मैथिली में पढ़िएयहाँ क्लिक कीजिए


दिनांक 23.2.2020 को चर्चगेट (मुम्बई) में ओवल मैदान के निकट अवस्थित क्रौस मैदान में मैथिल साहित्यिक बैसाड़ की गोष्ठी आयोजित हुई  जिस में नाना प्रकार के रचनापाठ एवं कलाविद्या का प्रदर्शन हुआ  साथ ही मैथिली की असली  गाँव-घर वाले लहजे का प्रयोग करते हुए वार्तालाप हुए.. इस अवसर पर मुम्बई के कोने कोने से मैथिल जुड़े जैसे कि - विरार,भिवंडी, नवी मुम्बई, अणुशक्तिनगर, महालक्ष्मी, मलाड आदि. पूर्णत: अनौपचारिक किंतु अनुशासित माहौल में ढाई घंटा चले इस कार्यक्रम का रूचिपूर्ण संचालन किया कृष्ण कुमार झा एवं अध्यक्षता की विनोद कुमार झा ने. विशेष उपस्थिति रही मैथिली हेतु 2018 केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ विभूषित सदरे आलम गौहर की जो हाल ही में निदा फाज़ली के कविता संग्रह केँ मैथिली अनुवाद "हरायल जकाँ किछु" कर अत्यंत चर्चित हुए हैं.

मैथिली अकादमीक पूर्व सदस्य और पटना विश्वविद्यालय की पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. वीणा कर्ण का निधन कुछ दिन पूर्व हो गया था जिसके कारण सभी मैथिल शोकग्रस्त थे  किंतु सच्ची श्रद्धांजलि दिवंगत के कार्य को आगे बढ़ाने से होती है और वह कार्य है मैथिली का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार.

यह मुम्बई मे पहली गोष्ठी थी, यह देखते हुए इसे अत्यधिक सफल आ उत्साहदायी माना जा सकता है.. सोलह जन मैथिली केँ समर्पित रचनाकार  और कलाकार का मिथिला सँ दूर मायानगरी मुम्बई में अपनी संस्कृति को पुनर्जीवन देने के लिए एक बुलावे पर तुरंत उपस्थित हो जाना यह कम बात नहीं थी.. काव्यपाठ करनेवालों में  वरिष्ठ आ नव का सुंदर समायोजन देखा गया..  सदरे आलम 'गौहर', पंकज झा, प्रो. कृष्णकुमार झा 'अन्वेषक', राजेश राय,  कुणाल ठाकुर,  विनोद सरकार, लक्ष्मण झा एवं कथाकार राजकुमार मिश्र, धर्मेंद्र कुमार झा के साथ ही बेजोड़ इंडिया ब्लॉग, मुम्बई डेस्क केँ दोनों मानद सम्पादक यानी हेमन्त दास 'हिम' एवं भास्कर झा भी सक्रिय रूप से उपस्थित थे. विकास मिश्रा, गौरव झा, अरविंद मिडा आ शांतनु झा भी इसमें सम्मिलित होकर इसकी शोभा बढ़ाई.

मैथिली, अंग्रेजी आ हिंदी पर समान अधिकार रखनेवाले विद्वान भास्कर झा को सर्वसम्मति सँ मुम्बई साहित्यिक बैसाड़ का संयोजक बनाया गया जिससे मैथिली के प्रचार प्रसार तीव्र गति से हो पाए.

मुम्बईमे फिल्म अभिनेता-सह-सहायक निर्देशक गौरव झा ने शहनाई की ध्वनि में  एक मधुर धुन सुनाई अपने नाक से  बजा क और सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. फिल्म लाइन के प्रतिनिधित्व कुणाल ठाकुर एवं अन्य द्वारा भी हुआ जो अभिनय आ निर्देशनक कार्य करते हुए फिल्म लाइन से जुड़े हैं.

पढल गेल रचना में वैसे तो श्रृंगार की बहुलता दिखी तथापि प्रेम आ सद्भावना पर आधारित गम्भीर रचनाओं को भी पढ़ा गया.. झलक देखी जाय-
  
फगुआ के निकट आते ही पूरा वातावरण श्रृंगार सँ सराबोर हो जाता है. प्रो. कृष्ण कु. झा 'अन्वेषक' एक नवयौवना परिणीता की  प्रेम की पिपासा पर एक नजर डाल रहे हैं -
 जग दुर्लभ नारिक आकर्षण
अधर-सुधा रस पान कराएब।
लाजक बात कहू की साजन!
आएब अंग सँ अंग लगाएब।
काजर धोरल नोरक स्याही
कंत एहेन निर्दय नञ बनियौ।
अन्वेषक आएब फागुनमे
एहि फगुआमे आश पुरबियौ।
     
चाहे फगुआ आए या कोई और त्योहार / आजकल सबको चढ़ा एक ही खुमार" और वह है फेसबुक-ट्वीटर-इंस्टाग्राम.. कवि कुणाल ठाकुर नेे इस स्थिति का बड़ा सुंदर वर्णन किया है -
*फेसबुक के फूस्टिक मे जिनगी भेल जियान 
  स्कूल कालेज गेल निखत्तर, ह्वाट्सएप परसै ज्ञान ।
 *रंग बिरंगक स्माइलीसँ जिनगी भेल बदरंग 
  ओनलाइन केर दुनियामे तैयौ मानव किए मतंग ।
*नवपीढ़ी केर नितदिन बदलय फेसबुक पर फेस 
  सभकिछु देखू फेसबुकियाअल रहल किछो नहि शेष ।
*एतबे नहि, कचर बचर करय ट्विटर इन्स्टाग्राम
  चाय पीबय के समय बचल नहि आराम भेल हराम ।
*चिट्ठी पतरीक कोनो काज नहि, सभ किछु भेल ईमेल ।
  घरक मेल बसथि भनसाघर, इंटरनेट पर फिमेल ।
*बदलि गेल गाम घर आ बदलल नगर आ देस।
  कहय कुणाल सुनू जनतागण चहुँ दिसि ठेसे ठेस ।

कवि राजेश राय ने सुनाया एक श्रृंगारमे सराबोर वियोग गीत -
सुनियो यौ सजना हमर कनि बात
बीतय अछि राति हम कोना कही
बुझियों यौ प्रीतम हमर जज्बात
बीतय ई राति हम कोना कही।

हेमन्त दास 'हिम' ने भी सब को मिलजुलकर रहने का आह्वाहन किया. 
बीज बंटैकेर कहियो भलमानुष रोपै नै छै
अलग चाहे हम भा जाई, धरा त होबै नै छै
किएक नहि जीवनक दिवस केँ
प्रेम सँ मिल कय बितायब
मुक्त मन ई मेघसम अछि
जेम्हर मन हम तेम्हर जायब.

जब बहने लगता है पवन तो पंकज झा को याद आ जाता है कुछ और-
सन सन बसात बहय
धक धक करेजा में 
लागई पिरितिया के बाण 
हाय राम
मोन पड़ल आई हमरा गाम.....

इस तरह भविष्य में भी समय समय पर मुम्बई के अलग अलग सार्वजनिक स्थल पर यह गोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया.. एक व्हाट्सएप्प ग्रुप भी बनाया गया है इस समूह के लिए.

अंत मे धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात अध्यक्ष की अनुमति से सभा समाप्त हुई.

रपट निर्माण एवं प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम' / भास्कर झा
छायाचित्र - बेजोड़ इंडिया ब्लॉग
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
पाठक के लिए - यहाँ कमेंट कीजिए 
 





  










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