Thursday 20 February 2020

देश के विलक्षण रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर के कुछ पोस्टर

सिद्धेश्वर आधुनिक कला के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर

(हर 12 घंटों के बाद देखिए- FB+  Bejod  / मैथिली रपट - मुम्बई साहित्यिक बैसाड़)






कविता, लघुकथा, सम्पादन आदि में लगभग चालीस वर्षों से सक्रिय श्री सिद्धेश्वर न सिर्फ एक सजग, संवेदनशील साहित्यकार के रूप में अपनी पहचान रखते हैं बल्कि एक राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध रेखाचित्रकार भी हैं जिनके रेखाचित्रों के शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं जैसे - हंस, वागर्थ, आजकल, कथादेश आदि में प्रकाशन की झड़ी लगी रहती है। इनके रेखाचित्र स्वयं एक कहानी कहते प्रतीत होते हैं जहाँ शब्दों की बजाय भावाभिव्यक्ति का इस्तेमाल होता है। यह भावाभिव्यक्ति न सिर्फ मुख-भंगिमाओं से बल्कि सम्पूर्ण शरीर विशेषरूप से हथेलियों और बाहों की मुद्रा-भाषा से होती है। स्त्री की भींगी आंखें, आँखों में ख्वाबों का एक पूरा संसार, केशराशि का बिखराव तो मात्र कुछ एक झलकियाँ हैं। वस्तुत: परिवेश के वृहद उपादानों की उपस्थिति बड़े ही कलात्मक ढंग से होती है मानो वे निर्जीव वस्तु नहीं बल्कि अपने आप में एक किरदार हों।  एक दर्शक जितने गौर से इनके चित्रों को देखता है उतनी ही गहराई में डूबता चला जाता है। यह गहराई दर्द की है, अहसास की है और करुणाजन्य भावनाओं की। बड़े ही संक्षेप में यह कह देना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इनके रेखाचित्र पत्थरदिल इंसान को भी मोम सा पिघला डालने की सामर्थ्य रखते हैं। हालांकि इन्होंने रंगों का भी अच्छा प्रयोग किया है किन्तु सफेद-काले स्केच में गहरे भाव और जीवन की जटिलताओं को जीवंतता के साथ उकेरने में ये अनन्य हैं।  (- हेमन्त दास 'हिम')

नीचे प्रस्तुत है कुछ अरसे पहले हुई उनके पोस्टर-प्रदर्शनी पर एक रपट जिसके बाद उनके कुछ विशिष्ट रेखाचित्र और पोस्टर प्रदर्शनी के चित्र दिये गए हैं -


"इंद्रधनुषी कविता मेला" के अवसर पर कालिदास रंगालय (पटना) के प्रांगण में जब सिद्धेश्वर की कविता पोस्टर प्रदर्शनी को भी स्थान मिला तो नगर के कई साहित्यकार और कवियों ने इसकी भरपूर सराहना की ।
          
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि -" सिद्धेश्वर ने अपने  पोस्टर में ,अपनी कलाकृति के माध्यम  से कविता और लघुकथा को, अत्यंत प्रभावकारी और जीवंत बना रखा  है। समकालीन कविताओं के साथ-साथ समकालीन हिंदी गीत और गजलों को भी अपनी रंगीन कलाकृतयों के साथ सामंजस्य कर  अद्भुत और  अनोखा कार्य किया है।"

समारोह के अध्यक्ष समालोचक डॉ. शिवनारायण ने वरिष्ठ कवि और चित्रकार  सिद्धेश्वर की इस कविता पोस्टर प्रदर्शनी को बहुआयामी उपयोगी बतलाते हुए कहा कि- "वे लगातार इस तरह की कविता पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन कर, कविता से आम जन को जोड़ने का  अद्वितीय कार्य करते रहे हैं ।"

इस कविता - लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी को ,अपनी कविता मेला की विशेष उपलब्धि बतलाते हुए साहित्य कला संसद के अध्यक्ष डॉ पंकज प्रियम ने कहा कि- "देश भर की पत्र-पत्रिका में कविता कहानी लघुकथा के साथ चित्रकार सिद्धेश्वर की कलाकृति प्रकाशित होती रही है।"

इसे आयोजन का मुख्य आकर्षण बतलाते हुए कवि राजकिशोर राजन में कहा कि - "सिद्धेश्वर ने कविता पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है कि वे सिर्फ एक अच्छे साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक जीवंत चित्रकार भी हैं। ऐसे प्रयोग को समुचित स्थान मिलना ही चाहिए।"

कवि  शहंशाह आलम ने इस प्रदर्शनी को महत्वपूर्ण बतलाते  हुए कहा कि - "सिद्धेश्वर आधुनिक कला के  महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं और उनकी सोच और कलात्मक सूझ -बूझ एक नई दिशा देती है।"

इस कविता पोस्टर प्रदर्शनी के संदर्भ में कवयित्री भावना शेखर ने कहा कि - सुंदर चित्रकला का ऐसा रचनात्मक प्रयोग सचमुच अद्भुत है।"

इस कविता पोस्टर प्रदर्शनी में कन्हैयालाल नंदन, रामधारी सिंह दिवाकर, सत्यनारायण, विंध्यवासिनी दत्त त्रिपाठी, हरिवंश राय बच्चन ,राधेश्याम तिवारी, महादेवी वर्मा,  निविड़  शिवपुत्र, आ पी  घायल, उपमा मिश्र ,काशीनाथ पांडे, पल्लवी विश्वास, भगवती प्रसाद द्विवेदी ,शरद रंजन शरद ,प्रेम रंजन अनिमेष, राजेश शुक्ल आदि की कविताओं को, अपने ग्राफिक्स आर्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया।

और अंत कवि निविड़ शिवपुत्र की वह विस्तृत प्रतिक्रिया भी यहाँ दी जा रही है जिसे उन्होंने अपने सोशल साइट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया है। उसे  हूबहू उसी रूप में ,प्रस्तुत किया जा रहा है-
-"ये तस्वीरें ,कवि सिद्धेश्वर ने उतारी हैं। सिद्धेश्वर मेरे किशोर वय के साथी हैं। चालीस साल होने को आए ,हमारी मित्रता के।  उन दिनों पटना में हमारी एक साहित्यिक मंडली हुआ करती थी। सिद्धेश्वर इस मंडली के मेठ हुआ करते थे। हमलोग साप्ताहिक गोष्ठियाँ सालों भर किया करते थे और साल के अंत में भव्य वार्षिक समारोह।"

"उस वक्त पटना के तमाम बड़े साहित्यकार हमें खूब स्नेह करते थे और हमें प्रोत्साहित करने के लिए हमारे वार्षिक समारोह में शामिल भी होते थे। हमने "भारतीय युवा साहित्यकार परिषद" नाम से एक संस्था भी बना रखी थी और 'अवसर' मासिक पत्रिका भी निकालते थे। उन दिनों पटना की पूरी साहित्यिक बिरादरी हमारे लिए एक परिवार की तरह थी। लेकिन सिद्धेश्वर जी ने जिस तरह पुराने रिश्तों, यादों और संवेदनाओं को संजोकर रखा है वह वाकई हैरान भी करता है और भावविभोर भी। उन्होंने तमाम नामचीन कवियों की कविताओं को अपनी चित्रकला से सजाकर खूबसूरत कविता-पोस्टर्स तैयार किये और इस विशिष्ट सूची में मुझे (निविड़ शिवपुत्र) को भी शामिल किया।"
.......

रपट का आलेख - हेमन्त दास 'हिम'/ सिद्धेश्वर
छायाचित्र -सिद्धेश्वर
 रेखाचित्रकार का मोबाइल -9234 760 365
रेखाचित्रकार का ईमेल - sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल-editorbejodindia@gmail.com 
इस पोस्ट पर - यहाँ कमेंट कीजिए)

देश के प्रख्यात रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर






































(ऊपर) हेमन्त दास 'हिम' की कविता के साथ प्रसिद्ध रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर का रेखाचित्र

(ऊपर)  हेमन्त दास 'हिम' के कविता संग्रह "तुम आओ चहकते हुए" में प्रसिद्ध रेखाचित्रकार सिद्धेश्वर के अनेक रेखाचित्र लगे हैं.


No comments:

Post a Comment

Now, anyone can comment here having google account. // Please enter your profile name on blogger.com so that your name can be shown automatically with your comment. Otherwise you should write email ID also with your comment for identification.