Thursday 3 October 2019

चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान द्वारा पटना सीटी में सुरेंद्र स्मृति काव्य संध्या का आयोजन 2.10.2019 को सम्पन्न

जो जोड़ा था गांधी ने जतन से/ वो रिश्ता प्रेम से विच्छिन्न क्यों है  
बिहार के दिग्गज कवियों के साथ अन्य ने भी किया काव्य पाठ

(हर 12 घंटों के बाद जरूर देख लीजिए- FB+ Watch Bejod India)


पटना सीटी शुरु से ही साहित्य साधना का गढ़ रहा है. यहाँ से अनेक साहित्यकारों ने देश भर में अपनी छाप छोड़ी है. लगभग आधी शताब्दी से वहाँ अत्यंत सक्रिय संस्था चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान में लगभग पचास वर्षों से कमलनयन श्रीवास्तव सक्रिय रहे हैं और अभी भी अपना पूरा योगदान कर रहे हैं. इसी संस्था के द्वारा एक कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें जाति और सम्प्रदाय का कोई बंधन नहीं था. हाल ही में इस संस्था द्वारा एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया.

18 वर्ष की आयु से निरन्तर साहित्य सृजन की एकान्त साधना में रत एवं 11 ग्रंथों के रचयिता स्व. सुरेन्द्र नाथ सक्सेना की स्मृति में एक काव्य संध्या का आयोजन चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान के तत्वावधान में 02.10.2019 को उनके नौजर कटरा, दीवान मुहल्ला, पटना सिटी स्थित आवास पर, हिन्दी प्रगति समिति, बिहार के अध्यक्ष और सुप्रतिष्ठित गीतकार सत्यनारायण की अध्यक्षता उनके सुपुत्र द्वय तुषार कांति सक्सेना के संयोजन एवं पीयूष कांति सक्सेना के कुशल संचालन में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ.

इस अवसर पर तुषार कांति सक्सेना, पीयूष कांति सक्सेना तथा उनके परिजनों द्वारा मंच पर विराजमान मशहूर ग़ज़लकार प्रेमकिरण, समीर परिमल, घनश्याम, मो. नसीम अख़्तर, साहित्यकार-कवि कमलनयन श्रीवास्तव, प्रभात कुमार धवन तथा उपस्थित कवयित्री मासूमा ख़ातून, कुमारी स्मृति आदि के साथ अन्य कवियों का यथोचित सम्मान किया गया.


आयोजन के आरंभ में पीयूष कांति सक्सेना ने अपने पिता स्मृति शेष कविवर सुरेन्द्र नाथ सक्सेना के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की और उपस्थित कवियों और श्रोताओं ने उनकी स्मृति को नमन किया.

नवोदित कवयित्री प्राची सक्सेना तथा कवि सार्थक सक्सेना ने अपनी कविताओं से गोष्ठी का शुभारंभ किया.इस काव्य गोष्ठी में विभिन्न विषयों पर प्रस्तुत गीत,ग़ज़ल और कविताओं का उपस्थित श्रोताओं ने लगभग तीन घंटे तक रसास्वादन किया.

अब देखते हैं पढ़ी गई रचनाओं की झलकी.
प्रभात कुमार धवन ने कविता के अमरत्व पर प्रकाश डाला -
ओ कवि / जब तुम नहीं रहोगे
फिर भी तुम्हेंं जीवन देगी तुम्हारी कविता

पीयूष कांति ने निशा में अपनी नियति देखी -
निशा में नियति है मेरी / आँखों से ओझल रहा हूँ
रात है, चंदा दिखे हैं, पर मैं सूरज जल रहा हूँ

समीर परिमल ने पटना में आई बाढ़ की विभीषिका का बिम्ब रचकर गहरी सामाजिक यथार्थ को रखा -
जो न करना था कर गया पानी / आज हद से उतर गया पानी
जब जगह मिल सकी न आँखों में / हर गली, घर में भर गया पानी

कमल नयन श्रीवास्तव ने गाँव के शहरीकरण पर चिंता जताई-
भय से आतंकित गाँव की / ऊँचाई बढ़ रही है
कद छोटा हो रहा है / लगता है
गाँव शहर हो रहा है

घनश्याम ने अहिंसा गढ़ रहे इस देश में हिंसा के पनपने पर दु:ख जताया-
तम तले रौंदी गई है रौशनी / आज के बदले हुए परिवेश में
खून, पानी की तरह बहने लगा / राम, गांधी, बुद्ध के इस देश में

उन्होंने हिंदी ग़ज़ल केआ अनोखा प्रतिमान रखा जो पूरी की पूरी प्रस्तुत है -
हमारा मन सुबह से खिन्न क्यों है
निगोड़ी धारणा भी  भिन्न क्यों है
अलाउद्दीन ! ये  क्या  हो  रहा है
मेरे आगे खड़ा  यह जिन्न क्यों है
मेरे   घर   में  ढनकते  हैं   पतीले
तुम्हारे  घर में ता-ता धिन्न क्यों है
जिसे जोड़ा था गांधी ने जतन से
वो रिश्ता प्रेम का विच्छिन्न क्यों है
 ज़रा "घनश्याम "से पूछो तो आखिर
बुढ़ापे  में  वो  चक्कर घिन्न क्यों है?

प्रेम किरण आम आदमी की पराजय को कुछ यूँ रखा-
हमेशा उसे मुँह की खानी पड़ी
कई बार तूफान आया गया

कुमारी स्मृति ने देशभक्ति का जोश भरा -
कि मरते हैं जो धरती पर उन्हीं का भाग्य जीता है
वतन पे मरने वालों का सदा सौभाग्य जीता है

मासूमा खातून जो वक्त के बाजार में गईं तो क्या हुआ देखिए जरा -
अभी जो वक़्त के बाज़ार से मैं आई हूँ / गुलों के धोके में काँटें खरीद लाई हूँ
हुआ है समन्दर से जब भी सामना मेरा / मैं अपनी प्यास लिए घर को लौट आई हूँ

मो. नसीम अख़्तर ने जब उल्फत की शमा जलाई तभी आंधी आ गई, ओह -
इधर शम्मे-उल्फ़त जलाई गई है / उधर कोई आंधी उठाई गई है
अजब है तमाशा तुम्हारे जहाँ का / अज़ल में भी दुनिया सजाई गई है

एक शायर ने अपनी पीड़ा को इन लफ़्ज़ों में फरमाया -
शायद के तेरे दिल में मुहब्बत नहीं रही
हम पर तेरी वो चश्मे- इनायत नहीं रही

अंत में तुषार कांति सक्सेना ने आगत अतिथियों के प्रति आभार तथा कमलनयन श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
......

मूल आलेख - घनश्याम
प्रस्तुति - बेजोड‌‌ इंडिया ब्यूरो
छायाचित्र सौजन्य - घनश्याम, समीर परिमल
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
नोट - प्रतिभागियों से आग्रह है कि पढ़ी गई पंक्तियाँ ऊपर दिये गए ईमेल पर शीघ्र भेजें. धन्यवाद.








 
 



 












5 comments:

  1. सुन्दर,सम्यक् और सचित्र रिपोर्टिंग के लिये बहुत बहुत बधाई और आभार.

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    1. आपके सहयोग हेतु आदरणीय।

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  2. बहुत सुंदर रिपोर्टिंग. बहुत-बहुत बधाई

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    1. धन्यवाद महोदय।।

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