भारतीय कला का कुम्भ
दिल्ली में पिछले चार दिनों से आयोजित भारत का सबसे चर्चित कला मेला आज संपन्न हुआ l इसे सचमुच भारतीय कला का कुम्भ कहा जा सकता है क्योंकि इस मेले के लिए दूरस्थ राज्यों के कलाकार तीन-चार महीने पहले से ही दिल्ली का टिकट ले लेते हैं l 2008 में इंडिया आर्ट सम्मिट नाम से शुरू हुए इस मेले की शुरुआती डाइरेक्टर नेहा कृपाल थी l 2017 से जगदीप जगपाल इसकी डाइरेक्टर बनी और इस बार इसका ग्यारहवां संस्करण है l जब से राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित त्रिनाले बंद हुआ तब से यही कला मेला और कोच्चि बिनाले युवा कलाकारों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है l इस बार इस मेले का मुख्य आकर्षण विश्व के सबसे मंहगे जीवित कलाकार डेविड हाकनी द्वारा चित्रित बी एम् डब्लू कार थी l यह कार कम्पनी अब तक जेफ्फ कून्स ,एंडी वारहोल तथा सांद्रो चिया जैसे कलाकारों द्वारा चित्रित आर्ट कारो को प्रदर्शित कर चुकी है l इससे पहले अब्सोल्युट कंपनी भी अपने उत्पादों पर आधारित कलात्मक प्रोजेक्ट करती रही है l
मेले में पिछले दो वर्षों से किसी चर्चित भारतीय कलाकार का बड़ा प्रोजेक्ट वर्क नहीं दिख रहा है न ही किसी विदेशी कलाकार का कोई महत्वपूर्ण काम l सल्वाडोर डाली और जॉन मीरो के कुछ प्रिंट अवश्य लोग गौर से देख रहे थे l भारतीय मूल के कलाकारों में स्कोडा पुरस्कार से सम्मानित कलाकार एल एन ताल्लुर की कलाकृतियां मेले में दर्शकों का ध्यान जरूर खींच रही थी l ताल्लुर के मूर्तिशिल्पों में भारतीय परंपरागत शिल्प और समकालीन कला को खूबसूरती से पिरोया गया था l इस मेले में अमृता शेरगिल की कलाकृति को सबसे खास ढंग की प्रस्तुति दी गयी थी l इसके अलावा फ्रांसिस न्यूटन सुजा की इरोटिक कलाकृति, धुव मिस्त्री का मूर्तिशिल्प, सुरेंद्रन नायर, रेखा रोदवित्य, अतुल डोडिया, अंजू डोडिया की पेंटिंग, हिम्मत शाह के रेखांकन, छापाकलाकार सोनल वार्ष्णेय ओझा की कलाकृति एवं बिहार के कलाकार धनञ्जय सिंह और राजेश राम का मूर्तिशिल्प सभी दर्शको को अपनी ओर खींच रहे थे l
मेला देखकर ऐसा लगता है मानो नवीनतम प्रयोग ही आज की कला है l जिस तरह सभी बिनाले मात्र वैचारिक (कॉन्सेप्चुअल) काम को ही तरजीह देती हैं उसी तरह इस मेले में भड़कीले (ग्लैमरस) प्रयोग और अतिसय मेहनत को जगह मिली है क्योंकि कला मेले में बाजार हावी रहता है l हालाँकि गंभीर कलाकृतियों की अपेक्षा नए नए माध्यमों में चौंकानेवाले काम ज्यादा दिखे l
अत्याधुनिक मोबाइल से सज्जित खूबसूरत महिलायें कलाकारों और कलाकृतियों के साथ सेल्फी लेकर सोसल मिडिया में इस मेले का खूब प्रचार कर रही थीं l इस मेले की एक खासियत यह थी कि बुजुर्ग कलाकारों की अपेक्षा युवा कलाकारों के चेहरे पर ज्यादा उत्साह दिख रहा था l कई राज्यों के कलाकार अपने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विशेष रूप से मेला घूमने आये थे ताकि उनके राज्य में भी ऐसा कुछ आयोजन सोचा जा सके l यहाँ तक की केंद्रीय ललित कला अकादमी के भी कुछ अधिकारी कलाकारों में इस मेले के आकर्षण की तारीफ कर रहे थे l कई कला दीर्घाओं ने अपने संग्रह से जुडी कलाकृतियों को आधार बनाकर लिखी गयी पुस्तकों का विमोचन कार्यक्रम भी रखा l
यह प्रदर्शनी एनएसआईसी एक्जहीबिशन ग्राउंड, ओखला इंडस्ट्रीयल स्टेट, नई दिल्ली- 20 में सम्पन्न हुई1
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आलेख- रवीन्द्र द्रास
छायाचित्र - रवीन्द्र दास
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
लेखक रवीन्द्र दास महान कलाकार श्याम शर्मा एवं अपनी पत्नी व कलाकार संजू दास के साथ |
अद्भुत कलाकृतियों से सुसज्जित इस कला मेला की उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिये बहुत बहुत बधाई.
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