हास्य, व्यंग्य और मधुर स्वरों से बिखरी लोकभाषा गढ़वाली की छ्टा
रिंग रोड, देहरादून स्थित होटल कैलाश के सभागार में इंजीनिअर मनीष नैथानी एंव उनकी धर्मपत्नी प्रतिभा नैथानी ने होलिकोत्सव पर काव्य संध्या का आयोजन किया। देहरादून की वरिष्ठ कवयित्री डा० नीलम प्रभा वर्मा ने सरस्वती वंदना कर कवि गोष्ठी का विधिवत शुभारम्भ किया। देहरादून की ही प्रतिष्ठित कवयित्री दीप शिखा गुंसाई ने सस्वर काव्य पाठ कर उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया।
हरिद्वार से पधारे गिरीश चंद बंधूनी ने जब कुकुर समुदाय के माध्यम से प्रभावशाली व्यंग्य सुनाया तो सभागार श्रोताओं की तालियों से गूँज उठा। जनपद रुद्रप्रयाग के लोकप्रिय युवा कवि मोहन वशिष्ठ ने गढ़वाली लोक भाषा में मधुर रचना पाठ कर सभी का मन मोह लिया। देहरादून के प्रतिष्ठित पत्रकार व कवि वीरेन्द्र डंगवाल ने घनाक्षरी, दोहे, गीत व श्रृंगार की रचनाओं को गेय शैली में प्रस्तुत करते हुये परिवेश में मधुर स्वर घोल दिये।
शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत राकेश चंद्र जुगराण ने हास्य व्यंग्य की चटपटी रचनाएं प्रस्तुत कर होली की हास्य फुहारों से सभी को सराबोर कर दिया। हरिद्वार से पधारे गढ़वाली लोक भाषा के रचनाकार श्री हरीष बधोला ने लोक भाषा गढ़वाली में प्रेम गीत व अपनी बालिका की प्रकृति के विभिन्न अवयवों से तुलना करती रचना प्रस्तुत की तो समस्त श्रोता भाव विभोर हो गये।
प्रतिभा नैथानी ने फाग पर केन्द्रित संस्मरणयुक्त आलेख का रोचक वाचन कर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।इंजीनिअर मनीष नैथानी ने राष्ट्र वंदना के स्वरों को गुंजित किया तो सभागार श्रोताओं की करतल ध्वनि से गूंज उठा। कांता घिल्डियाल अपनी संवेदनशील काव्य प्रस्तुति से विशिष्ट छाप छोड़ने में सफल रहीं। आभा सक्सेना के काव्य पाठ को भी खूब सराहा गया। पल्लवी रस्तोगी ने होली पर रचित गीत का मधुर स्वर से गायन किया तो शाम और भी सुरीली हो गई।
देहरादून के नाम को उर्दू अदब शायरी के मंच पर प्रतिष्ठित करने वाले नामचीन हरदिल अज़ीज़ शायर अम्बर खरबंदा ने अपने अलहदा अंदाज में चुनिंदा शेर पढ़कर कर महफिल लूट ली। रुड़की से इस काव्य संध्या में प्रतिभाग करने आये नीरज नैथानी को मंच संचालन का उत्तरदायित्व सौंपा गया । इस गोष्ठी की अध्यक्षता सेवा निवृत्त शिक्षिका चित्रा नैथानी ने की। कार्यक्रम के पश्चात विस्तृत अल्पाहार का भी प्रबंध था।
अंत में पुलवामा के शहीदों व स्वच्छ छवि के राजनीतिज्ञ दिवंगत मनोहर परिकर के निधन का अपूरणीय क्षति बताते हुये श्रृद्धांजलि प्रदान की गयी।
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आलेख- नीरज नैथानी
छायाचित्र सौजन्य - प्रतिभा नैथानी
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