बिगुल बजा अब फिर
चुनाव का
गीतिका
बिगुल बजा अब फिर
चुनाव का, फिर से तिकड़म
जारी है
जनता को जो काट
बांट दे, यह चुनाव वह आरी
है
Election date announced, and the manoeuvres began
For dividing the people, is many a super brain
जातिवाद का
अंकगणित यह, संप्रदाय का लिटरेचर
सत्ता का संगीत
लुभावन, सुनने की लाचारी
है
The caste calculations, communally coloured narrative
Fed up of the melody in slogans now and then
चैनल सारे
चिल्ला-चिल्ला करें जागरुक जनता को
नहीं लड़े थे जो
आपस में, उनकी आयी बारी है
Channels of TV making people aware or they
Trying to make them fight, by charges and arraign
कहां गये
सिद्धांत, टिकट जब कटा, छिटकर दूर हुए
सत्ता की खातिर
ही केवल इसमें मारामारी है
Where gone the ideals, you left just for a ticket
Clearly the whole game is power, how to gain
नये वंश अवतरित
हुए हैं सत्ता के गलियारे में
जाति -गोत्र को
ढाल बनाकर उनकी छापेमारी है।
New lineage has cropped up in lanes of politics
Raiding on the citizens with help of caste and clan.
.....
मूल हिन्दी कविता /Original Poet in Hindi - हरिनारायण सिंह 'हरि / Harinarayan Singh Hari
अंग्रेजी छान्दानुवाद / Rhythmic translation into English - हेमन्त दास 'हिम' / Hemant Das 'Him'
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समसामयिक लयबद्ध मनभावन कविता उतना ही सुन्दर अंग्रेजी छंदानुवाद। कविद्वय को साधुवाद।
ReplyDeleteपसंद करने के लिए ह्रदय से आभार, महोदय.
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद विजय जी.
Deleteसुंदर प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteश्री विजेंद्र जेमनी के व्हाट्सएप्प पर भी दे देने का कष्ट करें