Sunday 10 March 2019

नेपाल डायरी- 2 / नेपाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार के कवि-कवयित्रियों ने पढ़ी रचनाएँ

कैसे कहें कि बाजार हो गये हैं हम / नफरतों के खरीददार हो गये हैं हम
     (नेपाल डायरी -1 और 3 के लिंक के लिए टेक्स्ट के नीचे देखिये .)


नेपाल भारत मैत्री वीरांगना फाउण्डेशन काठमांडो, रौतहट,राम दुलारी शिव समाज केन्द्र रौतहट और भारतीय राज दूतावास, काठमांडो के 109 वाँ विश्व नारी दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय महाकुम्भ, कवि महोत्सव एवम् 7 वाँ सोशल मीडिया सम्मान समारोह ,सास्कृतिक कार्यक्रम दिनांक 6,7,8 मार्च 2019 के दूसरे दिन का आयोजन संजय कौशिक विज्ञात की अध्यक्षता में फिरोज खान फतेहपुरी की सरस्वती वन्दना से आरम्भ हुआ-

शुभ्र वस्त्र धारिणी तुम,वीणा की झनकारिणी 
ज्ञान की ज्योति जलाने,का हमें वरदान दें

डा0 अनिता रानी भारद्वाज (राजस्थान) -
नेपाल भारत हैं सारे जग से न्यारे
ये वीर सहोदर हैं,हमको जान से प्यारे

राम प्रसाद भारत ,पानीपत ने वीर रस की एक कविता पढ़ी

डा0 नीला दीवान (राजस्थान) ने मीडिया पर कटाक्ष किया अख़बार में छपती हैं झूठी ख़बरें/ख़बरों में होते हैं घोटाले 
पूर्णिमा (राजस्थान) ने अपनी कविता में कहा-गंगा माता,नेपाल भ्राता

अभिषेक जोगी (राजस्थान)-
दोस्ती दोस्ती दोस्ती की नदियाँ देखी होंगी
पर ये कैसा समन्दर है तू मेरे अन्दर है मैं तेरे अन्दर हूँ।

हास्य- व्यंग्य की कवयित्री बसंती पँवार राजस्थान के बाद किरण काशीनाथ,महाराष्ट्र ने फरमाया-
कैसे कहें कि बाजार हो गये हैं हम
नफरतों के खरीददार हो गये हैं हम ।
अब हमें किताबों में पढ़ा जाता है
कहानियों के किरदार हो गये हैं हम।

नरेन्द्र दग्गा,राजस्थान-
सुने थे नेपाल बहुत खुशहाल है
उसी से मिलाने हिन्दुस्तान लाया हूँ।

चन्द्रशेखर राय (नेपाल)-
बेटी,बहन और भार्या भी तुम हो
काली,सरस्वती और दुर्गा भी तुम हो

लता सिन्हा ज्योतिर्मय, मुजफ्फरपुर(बिहार)
वह लुम्बिनी वन का क्षेत्र यहाँ,थे जन्म लिए बुद्ध हुए जवां
पर बोधिसत्व का ज्ञान मिला,वह अद्भुत देश था हिन्दुस्तान, है बोधिवृक्ष की छाँव जहाँ।

ज्योति राय ज्वाला (मध्यप्रदेश)-
अग्नि की उठती ज्वाला सी,ढलते सूरज की लाली है
ममता मयी माँ दुर्गा सी,कभी रद्र वो चंडी काली है
जैबा राशिद (राजस्थान) के बाद अध्यक्षता कर रहे 

संजय कौशिक विज्ञात (हरियाणा) ने घनाक्षरी छन्द में सुनाया-
लाल यही भारती के,तेज-ओज दीखता है
कहें यूँ गंभीर बात आम बोल चाल ये।
ये शब्दों के देते अर्थ ,कविता की माला गूँथ
भेट करे भारती को,पुत्र हैं निहाल ये ।।
कलम के ऐसे धनी,गूढ़ता निपुण लिखें
पढ़े सुने वाह कहे,देखता नेपाल ये ।
धन्य-धन्य भारती है,धन्य-धन्य भारतीय
विश्व में जो ऊँचा रखे,भारती का भाल ये।।

संजय कौशिक विज्ञात ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया और भोजनावकाश के लिए सत्रांत की घोषणा की
सफल मंच संचालन ज्योति राय ज्वाला ने किया ।

भोजनोपरांत चौथे सत्र का आग़ाज़ हुआ।नेहा भंडारकर की अध्यक्षता में और विनोद कुमार हँसौड़ा के मंच संचालन में यह सत्र शुरू हुआ।मुख्य अतिथि गिरीश नन्दन सिंह,कार्यपालिका सदस्य,गौर,नेपाल और विशिष्ट अतिथि सुधीर कुमार सुधाकर,बाबा बैद्यनाथ झा और कैलाश झा किंकर मंचस्थ थे।

कैलाश झा किंकर ने सरस्वती वन्दना से सत्र का आग़ाज़ किया।कविता पाठ करने वालों में लता सिन्हा ज्योतिर्मय, नरेन्द्र कुमार पाल और रंजना सिंह के बाद फिरोज खान फतेहपुरी ने फरमाया-
मुझको कुछ भी नही लेना है माँ तेरे घर से
टूटे फूटे खिलौने से जी बहला लेंगे।

रंजना सिंह अंगवाणी के बाद नेपाल की छात्राओं ने बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ,सामा चकेवा, छठ,होली,दीवाली, ईद,आदि गीत पर लाजवाब नृत्य प्रस्तुति दी।

भीम प्रजापति देवरिया ने बेटी शीर्षक से कतिपय दोहे सुनाए-
भ्रूण भ्रंस जो भी करे,करता है वो पाप 
नारी यदि होती नहीं, ना होते हम आप ।

शकुन्तला शिन्दे,दाँतेबाड़ा,छत्तीसगढ़-
की है जो दोस्ती तो निभाए हुए रखना
इस प्रीत के गुलशन को खिलाए हुए रखना।

कैलाश झा किंकर ने भारत-नेपाल मैत्री पर केन्द्रित रचनाओं में कहा-
सम्बन्ध है पुराना नेपाल से हमारा ।
जब से खड़ा हिमालय,तब से जुड़े हैं यारा।
सदियों से मिल के रहते नेपाल के निवासी
सीमा खुली हुई है,बाँहों का है सहारा।
कर्मेश सिन्हा,औरंगाबाद ने कहा-
जुबां,निगाहें,दीदार और मुलाकात
ये सब अब हैं गुजरे ज़माने की बात ।

बाबा बैद्यनाथ झा ,पूर्णियाँ ,बिहार ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
अनुज नेपाल करता है सदा सम्मान भारत का
निभाता प्रेम वह दिल से,करे गुणगान भारत का ।

कमलेश चौरसिया ,नागपुर ने व्यथा कथा शीर्षक कविता सुनाकर व्यंग्य किया-
बिखरे बाल/चुटके गाल और/ पिताम्बरी वर्ण से विभूषित चौरसिया जी ने/ 
ज्यों ही साहस के केबिन में प्रवेश किया/केबिन ने प्रश्नों के गोले दागे!
और चौरसिया जी चारों खाने चित्त हो गये।

डा0 अनिता रानी भारद्वाज (हरियाणा)ने गाया-
रंग विरंगे पुष्प खिले हैं 
आज गौर के उपवन में
शीतल मन्द समीर प्रवाहित
हर्षित मन के आँगन में।

सुधीर कुमार सुधाकर (वाराणसी)
शब्द सुख देते हैं/शब्द दु:ख देते हैं/शब्द रुलाते भी हैं
/शब्दों को साधना जरूरी है।

विनोद कुमार हँसौड़ा, दरभंगा, बिहार-
साष्टांग केर गेल जमाना,के लागै आब गोर
लाज लगै गरदन झुकबै में,आयल कलयुग घोर!

हीरामन पासवान, मोतिहारी,बिहार 
आँसू तेरे निकले तो आँखें मेरी हो
दिल तेरा धड़के तो धड़कन मेरी हो
हमसब की दोस्ती इतनी गहरी हो
साँस तेरी निकले तो मौत मेरी हो

नन्दलाल त्रिपाठी -गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
कहीं यारी है कहीं याराना
कहीं है जोश पैमाना ।

सुमन अग्निहोत्री (छत्तीसगढ़)-
प्रश्न पूछती है धरा,
सब उत्तर दो ज़रा-ज़रा

अध्यक्षता कर रही नेहा भंडार कर के कविता पाठ के बाद सत्रांत हो गया।

संध्या में पुन: कविसम्मेलन शुरू हुआ।

अध्यक्षता कर रही थी नेपाल की कवयित्री निर्मला दहाड़।

जिलाधिकारी किरण थापा और अभिनय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक अनन्त अधिकारी, अधिवक्ता अनन्त अधिकारी, कुँवर प्रभा सिंह, लता सिन्हा ज्योतिर्मय , अनिता रानी भारद्वाज आदि मंचस्थ थे। कुँवर प्रभा सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन विनोद कुमार हँसौड़ा कर रहे थे।

इस सत्र की शुरुआत भी कैलाश झा किंकर ने अपनी सरस्वती वन्दना से की। फिर नेपाल और भारत के राष्ट्रगान को गाया गया और अधिकारियों ने दीप प्रज्वलन करके पंचम सत्र का उद्घाटन किया। बाबा बैद्यनाथ झा ने नेपाल-भारत की मैत्री पर केन्द्रित रचना का सस्वर पाठ किया। अनिता रानी भारद्वाज ,फिरोज खान फतेहपुरी, लता सिन्हा भारद्वाज, शकुन्तला शिन्दे, सुधीर सिंह सुधाकर, संजय कौशिक विज्ञात, अभिषेक योगी, विनोद कुमार हँसौड़ा, नरेन्द्र पाल जैन, नरेन्द्र डग्गा ने अपनी कविताओं का पाठ किया। अनन्त अधिकारी और किरण थापा ने नेपाली भाषा में सम्बोधित करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। अध्यक्ष की अनुमति से दूसरे दिन के कार्यक्रम के समापन की घोषणा हुई।
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आलेख - कैलाश झा किंकर
छायाचित्र सौजन्य - कैलाश झा किंकर 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
नेपाल डायरी-1 का लिंक- https://biharidhamaka.blogspot.com/2019/03/1.html?m=
नेपाल डायरी-3 का लिंक- https://biharidhamaka.blogspot.com/2019/03/3-832019.html




2 comments:

  1. बेजोड़ इंडिया का शुक्रगुज़ार हूँ।

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    Replies
    1. बेहतरीन गोष्ठी हेतु बधाई!

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