Thursday 17 September 2020

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद द्वारा दि. 16.9.2020 को ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न

 भाषाई विविधता बहुत प्यारी होती है / पर सदस्यों से भरे  परिवार का /  एक मुखिया तो होता है? 

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हिन्दी की पैठ भारत के हर एक घर में है l शहर की तो बात छोड़िए शायद ही कोई गाँव हो देश में जहाँ हिंदी समझनेवाला कोई न हो l यह प्रसार कोई सरकारी नीतियों के बल पर ही नहीं बल्कि स्वत:स्फूर्त भी कहीं ज्यादा हैl आखिर कौन है देश में जो अमिताभ बच्चन के फिल्म नहीं देखना चाहे और कौन है जो लता मंगेशकर के सुरीले हिंदी नगमे के अलौकिक श्रवण सुख को न पाना चाहे l साथ ही कौन नौजवान है जो जानबूझकर अपनेआप को देश के सत्तर प्रतिशत भाग में नौकरी   या धंधा न करना चाहे? यह सब बिना हिंदी जाने सम्भव नहीं है l टीवी भी किसी न किसी रूप में हिंदी का प्रचार तो कर ही रहा है l लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि हिंदी कोई दूसरी भाषाओं के विकास को रोककर आगे बढ़नेवाली भाषा नहीं है l इसकी प्रतिद्वंदी मूलत: अंग्रेजी है जो आज भी हिंदी की जगह न्यायालयों और सरकारी आदेशों में प्रयुक्त होती है हिंदी में अनुवाद की नाममात्र की औपचारिकता के साथ l  जिस भारतीय का भारतीय भाषाओं में अनुराग होगा उसे हिंदि से तो अपनेआप प्यार होगा क्योंकि हिंदी भारत के अधिकाधिक क्षेत्र में बोली-समझी जानेवाली भारतीय भाषा है l इसलिए कोई बंगला, तमिल, कन्नड़ , गुजराती, मराठी किसी भारतीय भाषा के पक्ष में बोले तो उसका भरपूर समर्थन करना चाहिए l  हिंदी का सम्बंध सबसे है और यह इन सभी भाषाओं की बहन है l पटना में श्री सिद्धेश्वर ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए अभियान छेड़ा हुआ है और अपने संयोजन में हर माह अनेकानेक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं l  अभी हिंदी पखवाड़े के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम की रपट देखिए l (- हेमन्त दास 'हिम')

पटना .16/09/2020 l"ऑनलाइन देश भर से जुटे लगभग 40 नए पुराने कवियों ने राजभाषा हिंदी पर केंद्रित एवं जीवन से जुड़ी हुई एक से बढ़कर एक गीत,  गजल, दोहा और समकालीन कविताओं का पाठ कर इस आयोजन को स्मरणीय बना दिया व पूरे कार्यक्रम का सफल संयोजन और संचालन किया संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने। अवसर था, राजभाषा हिंदिवस व  पखवाड़ा का,  भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आयोजित तथा "अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका" के फेसबुक पेज पर आयोजित लाइव "हेलो फेसबुक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का l


पढ़ी गई कविताओं की बानगी देखिए - 

अरविंद अंशुमान (झारखंड)  -
"स्वाधीन भारत के लिए उपहार है हिंदी,
  अब तो हमारे राष्ट्र का श्रृंगार है हिंदी !", 

डॉ पुरुषोत्तम दुबे (इंदौर)\ -
"ना सही ज्यादा मगर तुझ पर हक जरा सा है,
  मेरी आंखों में दर्द का खुलासा है !"

भगवती प्रसाद द्विवेदी -
"भाषा बेहतरीन हमारी हिंदी है,  
तहजीब तासीर हमारी हिंदी है, 
इसमें गंगा जमुनी संस्कृतियों का लय, 
जन मन की आशा अभिलाषा का संचय  !"

सिद्धेश्वर -
 आज भी राष्ट्रभाषा नहीं,  राजभाषा है हिंदी, 
 अपने आप से, बहुत शर्मिंदा है हिंदी

अचार्य विजय गुंजन 
-"अपने ही घर में देखो रानी पड़ी उदास रे, 
 शायद कोई सौतन घर में बन बैठी है खास रे!"

आरती कुमारी (मुजफ्फरपुर)  -"
घेरा हमको मौत ने, कैसे कटे दिन जी, 
 रहे डर-डर के हम,  सांसो को गिन-गिन !"

अनुजा मनु (लखनऊ)  -
" हिंदी हिंद का अनमोल उपहार है, 
हिंदी प्यारा शब्द संसार है !"

डॉक्टर अनिता राकेश  -
"आजादी की एक लड़ाई और चाहिए, 
शासन करता सब अच्छा अच्छा है, स
च जानता सब बच्चा बच्चा है!"

 चैतन्य  चंदन (नई दिल्ली  -
"आसमान में जब छिटकती  चांदनी रह जाएगी, 
तम घेरे का जग में, केवल रोशनी रह जाएगी !
 है नहीं दुनिया में कोई जिसको मैं अपना कहूं, 
 मेरी हमदम एक हमारी शायरी रह जाएगी !"

हरि नारायण हरि( समस्तीपर )  -
" हिंदी हिंदुस्तान देश की यह परिभाषा है, 
वाणी यह तो जन गण की हर मन की आशा है !"

 मधुरेश नारायण  -"
हिंदी का मान बढ़ाना है, जग में स्थान दिलाना है,  
देश के कोने- कोने पर, पैगाम ये  पहुंचाना है !" 

तथा अजय (झारखंड) -
"दोपहर की धूप में साया नजर आता नहीं, 
 पांव में छाले हुए थक कर चला जाता नहीं!"

इस ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में पाठ करने वाले अन्य कवियों की कविताएं इस प्रकार है :-
ऋचा  वर्मा -:
"हिंदी है विज्ञान की भाषा, 
     हिंदी है अभिमान की भाषा ll"

नरेंद्र कौर छाबड़ा (महाराष्ट्र ):
"फिर उनके नन्हें-नन्हें पर 
   निकल आएंगे? उड़ना सीखेंगे
   एक दिन यहां से रुखसत हो जाएंगे !"

संजीव प्रभाकर ( गुजरात):
 "हमारी आन हिंदी है /हमारी शान हिंदी है!
    हमारे देश का गौरव  तथा सम्मान हिंदी है !"

रमेश कँवल :
 " गम छुपाने में वक्त लगता है !
    मुस्कुराने में वक्त लगता है !!"
 
सांगरिका रॉय :
" अनेकता में एकता बहुत प्यारी होती है !
   भाषाई विविधता बहुत प्यारी होती है !!
       पर सदस्यों से भरे  परिवार का
        एक मुखिया तो होता है? "

 डॉक्टर सविता मिश्रा माधवी( बेंगलूर) :
"  कर्कश कंठ को कोकिल  कर दूँ,  
ऐसी हूं मैं मृदभाषा हिंदी भाषा !""

राजकांता राज:
" हिंद देश की हिंदी प्यारी !
    यह भाषा है कितनी न्यारी !!
     हिंदी से अपनापन लगता !
       हिंदी बोलो मधु रस टपकता !!"

 प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र ::
"बदलते मौसम में बहुत कुछ देखा 
  कहीं बनते, कहीं बिगड़ते देखा !
     कहीं मशीन पर आदमी देखा!
      कहीं मशीनी आदमी देखा!!"
मनीष राय :
" खुद में बंधा रहता हूं अक्सर !
     मैं भरी महफिल में तन्हा रहता हूं अक्सर !!"

श्रीकांत (झांसी):
"  फहराते है जंग  में जो परचम नए-नए !
  आस्तीन के सांपों  से अक्सर डंसे गए !!"

रामनारायण यादव( सुपौल ):
" पुरस्कार और सम्मान के जाल में
     फंस गया है आज हिंदी !
   हिंदुस्तान की जान है हिंदी 
    सुरमई रंगों में भीगा हिंदुस्तान है हिंदी !!"

दुर्गेश मोहन :
"हिंदी जन की भाषा है !
 हम सब की अभिलाषा है!!"

,प्रणय सिन्हा :
, शब्द - शब्द चंदन है !
ऐसी हिंदी भाषा को 
कोटि-कोटि अभिनंदन है !!"

अजय :
"दोपहर की धूप में साया नजर आता नहीं!
   पांव में छाले हुए  थक कर  चला जाता नहीं !!"

इसके अतिरिक्त मीना कुमारी परिहार,  विनोद प्रसाद, डॉ नूतन सिंह,  कीर्ति  अवस्थी,  दिवाकर भट्ट, अनीता सिंह,  डॉ अनीता राकेश, शरद रंजन शरद ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया 
...
रपट के लेखक - सिद्धेश्वर
रपट लेखक का परिचय - इस कर्यक्रम के संयोजक और अध्यक्ष :भारतीय युवा साहित्यकार परिषद 'पटना 
रपट के लेखक का मो :9234760365
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com


















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