Wednesday 30 September 2020

वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच की बिहार इकाई द्वारा ऑनलाइन मासिक गोष्ठी 29.9.2020 को सम्पन्न

फिर क्यों  इसकी राह में है इतना अवरोध 

FB+ Bejod  -हर 12 घंटे पर देखिए )




राजभाषा की मान्यता प्राप्त हिन्दी को हमें राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाना हैl इस हेतु यह आवश्यक है कि इस मधुर, शिष्ट, सरल, सौम्य और सर्वग्राही भाषा को हम क्षेत्रीयता, जाति, सम्प्रदाय और अन्य बंधनों से मुक्त करेंl  हिंदी का मानकीकृत रूप तो आवश्यक है ही औपचारिक और शासकीय संचार हेतु किन्तु विभिन्न रूपों में यानी बोलियों के नाम से बोली जानेवाली हिंदी के प्रति भी हम सम्मान व्यक्त करें और उसकी खिल्ली न उड़ाएँl  इसमें यदि दक्षिण भारतीय भाषाओं में से कुछ अतिप्रचलित शब्दों को यत्नपूर्वक जोड़ दिया जाय और उसका सबके द्वारा व्यवहार हो तो हिन्दी की दक्षिण भारत में सुग्राह्यता में वृद्धि हो सकती हैl  हिंदी  के प्रचार-प्रसार हेतु प्रतिबद्ध संस्था वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच ने हाल ही में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया जिसकी रपट नीचे प्रस्तुत हैl (हेमन्त दास 'हिम')

अवसर था, वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच की बिहार इकाई द्वारा ऑनलाइन मासिक गोष्ठी का जो राजभाषा हिंदी पखवाड़ा के समापन एवं राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती  के अवसर पर आयोजित की गई थी! इस आयोजन के  अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा मुख्य अतिथि  डॉक्टर गोरखनाथ मस्ताना और घनश्याम थे l
इस पूरी गोष्ठी का सफलतापूर्वक संचालन किया मनीबेन द्विवेदी ने l

भगवती प्रसाद द्विवेदी ने धैर्य रखने को कहा -
 जहां  धैर्य है, सृजन है, कहां टिकेगी रात 
विजयी  होगी मनुष्यता, होगा शुभ प्रभात!"

कवि घनश्याम ने सभी को सम्मान देते हुए हिन्दी के प्रसार की बात की -
 हर भाषा का हम करें यथायोग्य सम्मान,
 लेकिन हिंदी से बने भारत की पहचान !
हिंदी हिंदुस्तान की भाषा सरल सुबोध, 
फिर क्यों  इसकी राह में है इतना अवरोध ?"

संस्था के अध्यक्ष मधुरेश नारायण  ने देशभर में इसे फैलाने की प्रतिबद्धता दिखाई-
"हिंदी का मान बढाना है,जग में स्थान दिलाना है!
/देश के कोने-कोने तक पैगाम ये पहुचाना है।"

सिद्धेश्वर ने सौतेले व्यवहार पर चिता जताई-
"हिंदी की यह दुर्दशा अब देखी नहीं जाती, 
सौतेली बनी हमारी भाषा अब देखी नहीं जाती !"

मनोज कुमार अम्बस्ठ  ने हिंदी का गुणगान यूँ किया-
"सरल सुहावन मीठी बोली, माथे पर लाल बिंदी है!/ 
हम सब है भारत के निवासी, अपनी भाषा हिंदी है!"

विजयकांत द्विवेदी ने भीतरघात करनेवालों को लपेटा-
" सत्तासीन है अंग्रेजी साहित्य में उर्दू भरमार, 
हिंदी हार रही निजगृह, अपनो से खाकर मार!"

हम जिस समाज में रह रहे हैं वहाँ स्त्री को पूजनीय माना गया है फिर भी रोज किसी निर्भया का बलात्कार और हत्या हो रही हैl आज हाथरस गैंगरेप की पीड़िता की मौत की खबर से पूरा देश स्तब्ध हैl
रजनी पाठक ने नारी के प्रति समाज के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश किया-
" मैं हूं  कन्या भारत की, देवी का स्थान पाती हूं, 
पर पता नहीं क्यों मैं बलि मैं  चढ़ाई जाती हूं !"

 एम के मधु ने बताया कि सभ्यता में प्रवाह होता है और वह सबको मिलानेवाली होती है-
"वह भाव है, वह सभ्यता है, जो नदी-सी  बहती है, 
और समंदर  बन जाती है !"

देवी नागरानी ने अपनी जुबान की मांग की -
"हमें अपनी  हिंदी जुबान चाहिए, 
सुनाएं जो लोरी, वह माँ चाहिए!/

नूतन सिंह ने अंग्रेजी में ग्लैमर और  हिंदी में शर्मिंदगी की कड़वी सच्चाई को रखा -
"हिंदी कुछ कहती है, अंग्रेजी ठाट- बाट देख कर, 
शर्म से लोग मुझे अपनाने से कतराते हैं !"

 मणिबेन अपने धार्मिक अंदाज़ में दिखे-
"आज गजानन आना!/ तेरी राह निहारु!"

डॉ सुधा सिन्हा ने हिंदी को कालजयी करार दियाl
यह  कालजयी,  यह कालजयी,  
देखो है हिंदी कालजयी !"

इसके अतिरिक्त मीना कुमारी परिहार, संजय शुक्ला, अलका वर्मा, रजनी पाठक, सत्येंद्रनाथ वर्मा,  डॉ सुधा सिन्हा,  मनोज कुमार, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, डॉ सुधा सिन्हा, विजकांत द्विवेदी आदि दो दर्जन से अधिक देश भर के कवि-कवयित्रियों ने भी अपनी  समय संदर्भित कविता से, इस कवि गोष्ठी को यादगार बनाया l 

 गोष्ठी के अंत में संस्था के अध्यक्ष मधुरेश नारायण ने सभी कवियों के प्रति आभार प्रकट कियाl
.......

रपट का मूल आलेख - सिद्धेश्वर 
प्रस्तुति - बेजोड़  इंडिया ब्लॉग
मूल रपट लेखक का ईमेल आईडी - idheshwarpoet.art@gmail.com
मूल रपट लेखक का मोबाइल - 92347 60365
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com

No comments:

Post a Comment

Now, anyone can comment here having google account. // Please enter your profile name on blogger.com so that your name can be shown automatically with your comment. Otherwise you should write email ID also with your comment for identification.