Wednesday, 23 September 2020

भा. युवा साहित्यकार परिषद के द्वारा 21.9.2020 को ऑनलाइन (आभासी) लघुकथा सम्मेलन सम्पन्न

असम्भ्य से सभ्य हुए और अब सभ्य से असभ्य होंगे?
अमेरिका, महाराष्ट्र, नई दिल्ली, उ.प्र.,म.प्र., बिहार, कर्णाटक, राजस्थान आदि के लघुकथाकारों द्वारा पाठ 

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पटना: 21.9.2020. "राजभाषा हिंदी की प्रासंगिकता के संदर्भ में,  हम कह सकते हैं, कि हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने में, हिंदी फिल्में कामयाब रही है तो दूसरी तरफ हिंदी को श्रेष्ठ भाषा के आसन पर बैठाने में हिंदी साहित्य का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सिद्धेश्वर ने आगे कहा कि - "आज कविता के बाद सबसे अधिक लोकप्रिय विधा लघुकथा है." 

भारतीय युवा  साहित्यकार  परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के "अवसर साहित्यधर्मी  पत्रिका" पेज पर ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन में देश के नए-पुराने लगभग 25 से अधिक लघुकथाकारों ने अपनी समकालीन लघुकथाओं का पाठ कियाl 

आन लाइन आयोजित हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन के मुख्य अतिथि  वरिष्ठ लघुकथा लेखिका पुष्पा जमुआर ने कहा कि- "हिंदी दिवस के झरोखे से झांकती हुई लघुकथा  शीर्ष पर पहुंच गई है । यह  अक्षरशः सत्य है कि कथा साहित्य को पढ़ने हेतु ही तत्कालीन लोगों ने हिंदी सीखी थी। और फिर  कथा साहित्य में लघुकथा का विकास भी  शनैः-शनै हुआ । लघुकथा लेखन में दैनंदिन बढ़ोतरी हुई है ।मानें तो हिन्दी  राजभाषा के विकास में भी लघुकथा अपना मुख्य योगदान दे रही है । 

उन्होंने हिंदी लघुकथा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि - "लघु पत्र-पत्रिकाओं में,  कम जगहों में लघुकथा अपना स्थान बना लेती है। साथ ही पाठक वर्ग भी   लघुकथा  को कम समय में पढ़ कर   संपूर्ण कथा का आनंद लेते हैं। लघुकथा में अनावश्यक शब्दों की  विस्तार से  रचनाकार  को बचने से  पाठक  भी लघुकथा  पढ़ने का आनंद लेते हैं।"

कथा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, विजयानंद विजय (मुजफ्फरपुर) ने ऑनलाइन पठित लघुकथा पर विस्तार से समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए कहा कि- "ऑनलाइन मासिक लघुकथा कार्यक्रम में आज वरिष्ठ व नवोदितों द्वारा अच्छी-अच्छी लघुकथाएँ प्रस्तुत की गयीं। हिंदी दिवस पर हिंदी का नकली आवरण ओढ़े नेताजी को अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करने पर करारा तमाचा लगाती है पुष्पा जमुआर की लघुकथा छद्मवेशी। गुदड़ी का लाल वह होता है जो व्यक्तिगत स्वार्थ से उपर उठकर देशहित में कुर्बान होता है, यह संदेश देती है राज प्रिया रानी की लघुकथा "गुदड़ी के लाल"।

सिद्धेश्वर की लघुकथा "बेटे की कीमत" हमारी घृृृणित सोच और मानसिकता पर प्रहार करते हुए बेेेटे के  होने न होने का सही अर्थ बताती है। रशीद गौरी जी की लघुकथा "बाबू जी हैं ना" उस मानसिकता पर चोट करती है जहाँ बुजुर्गों को सम्मान देने की बजाय उनका अपमान और तिरस्कार किया जाता है। नरेन्द्र कौर छावड़ा की लघुकथा "अप्रत्याशित" भी इसी मानसिकता पर प्रहार करते हुए बेटे-बहू को जीवन का सही सबक सिखाती है। ईमानदारी, सच्चाई और वफादारी अभी भी जिंदा है समाज में। गलत प्रवृत्तियों की ओर उन्मुख न होकर हमेें सही राह पर चलना चाहिए। 

डॉ. शरद नारायण खरे की लघुकथा पढ़कर लगेगा कि उम्मीद अभी जिंंदा है। हम असभ्य से सभ्य हुए और अब सभ्य से कैसे असभ्य होते जा रहे हैं, यह बताती-दिखाती है पुष्प रंजन जी की लघुकथा।

स्वतंत्रता सेनानी की वास्तविकता बताती है ऋचा वर्मा की लघुकथा। हरिनारायण हरि की लघुकथा "अंतर्धर्म" सर्व धर्म समभाव की महत्ता स्थापित करती है। समाज सेवा दिखावे के लिए नहीं की जाती, मानव हितार्थ की जाती है, यह संदेश देती है मीना परिहार की लघुकथा। पुलिस के मानवीय स्वरूप का बेहतरीन चित्रण है सेवा सदन प्रसाद की लघुकथा "क्या ये वही पुलिस है?" में। सही गुरू वह होता है जो ज्ञान को पीढ़ियों में हस्तांतरित करता है, यही समझाने की कोशिश करती है कल्पना भट्ट की लघुकथा "दृष्टिभ्रम"।

अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ऑनलाइन आयोजित इस अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में अमेरिका से विभा रानी श्रीवास्तव ने (वृद्धा आश्रम), भोपाल से कल्पना भट्ट ने ('दृष्टि),  मुंबई से सेवा सदन प्रसाद ने (क्या यही पुलिस है?), मंडला मध्य प्रदेश से डॉक्टर शरद नारायण खड़े ने (उम्मीद अभी जिंदा है), सांगरिका रॉय ने (मुस्कान),  बरेली से डॉक्टर सतीशराज पुष्करणा ने (चूक), सिद्धेश्वर ने (एक बेटे की कीमत ), बेंगलुरु से सविता मिश्रा मागधी  ने (कतरन),  पुष्पा जमुआर ने (हिंदी दिवस),  मीना कुमारी परिहार ने (समाज सेवा),  मुजफ्फरपुर से विजयानंद विजय ने (तीन बंदर ), समस्तीपुर से हरि नारायण हरि ने (अंतरधर्म), ऋचा  वर्मा ने (स्वतंत्रता सेनानी), अरवल से  पुष्परंजन कुमार ने (बौद्धिक विकास ), महाराष्ट्र से नरेंद्र कौर छाबड़ा ने (अप्रत्याशित), सोजत सिटी (राजस्थान) से रसीद गौरी ने (बाबूजी हैं न !), राजप्रिया रानी ने (गुदड़ी के लाल),  नई दिल्ली से डॉ. कमल चोपड़ा ने (खिलौना) आदि लघुकथाओं की सशक्त प्रस्तुति दी गई 

इस सार्थक ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन में प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र,  श्रीकांत गुप्ता,  आलोक चोपड़ा, संजय रॉय,  घनश्याम राम, विनोद प्रसाद आदि 100 से अधिक श्रोताओं और दर्शकों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की l
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रपट की प्रस्तुति - सिद्धेश्वर
प्रस्तोता का परिचय -  (अध्यक्ष) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद,  पटना
प्रस्तोता का चलभाष - 92347 60365,
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - :Sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com


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