अब तो कविता में करो, भूख-प्यास की बात
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वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच बिहार इकाई सृजनात्मकता को अभिनव आयाम देने के लिए जो अभियान चला रखा है वह स्वागत योग्य है। आज पढ़ी गई अधिकांश कविताएँ सामाजिक विसंगतियों, विदूपताओं और सामाजिक मूल्यों की क्षरणशीलता को लेकर गहरी संवेदना जगाती है। मानवीय करुणा के माध्यम से श्रोताओं के दिलों को झकझोरना और उन्हें मूल्यवत्ता से जोड़ना इस गोष्ठी की ख़ासियत रही। समाज का तीखा सच भी कविताओं में अभिव्यक्त हुआ। आभासी मंच पर कवि-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि और लेखक भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपने विचार रखे। उन्होंने सार्थक आयोजन हेतु बिहार इकाई के अध्यक्ष मधुरेश नारायण को बधाई दी।
श्री द्विवेदी ने कहा कि आज मंचों पर जो कविताएँ पढ़ी जा रही हैं उनमें कविता के तत्व लेशमात्र ही होते हैं. काव्यमंचों का स्तर ऊँचा उठे वह भी ऐसे आयोजनों का लक्ष्य होना चाहिए।
वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच बिहार की आनलाइन गोष्ठी 30 अगस्त 2020 को दोपहर 3 बजे भगवती प्रसाद द्विवेदी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। नरेश नाज एवं हरेंद्र सिन्हा संरक्षक इसके संरक्षक हैं। बिहार इकाई के अध्यक्ष मधुरेश नारायण ने विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया । अनिता मिश्रा सिद्धी ने स्वस्थ मंच संचालन किया।
अनिता मिश्रा सिद्धी द्वारा सरस्वती बंदना मधुर कंठ से प्रस्तुत हुई। कवि प्रभात तथा शायर घनश्याम मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे । आमन्त्रित कवि गण थे - सिद्धेश्वर, सुनील उपाध्याय , अलका वर्मा , घनश्याम, मनोज कुमार अम्बष्ट, डा पुष्पा जमुआर. रंजू सिन्हा, सुरेश वर्मा , अंजू भारती, सरिता गुप्ता, अरुण भारतीय, संगीता सागर, देवी नागरानी जी नयू जर्सी, प्रमोद कुमार सिंह, मीना कुमारी परिहार, नूतन सिन्हा, डा किरण कुमारी, विजय दिवेदी, हरेंद्र सिंह सोहल, हरेंद्र सिन्हा, अन्नपूर्णा, अनीता, मधुरेश नारायण, भगवती प्रसाद दविवेदी, एवं डा सुधा सिन्हा सावी (महासचिव)।
इन तमाम हस्तियों ने अपनी रचनाओं से सुन्दर सी शब्दों की रंगोली बनायी, काव्यात्मक गुलदस्ते को सुन्दर ढंग से सजाया। अपने सुर से महफिल को स्पंदित किया तथा यादगार बनाया।
पढ़ी गई रचनाओं की झलक देखिए -
हरेंद्र सिन्हा के कंठ से प्रेम की अविरल धार बहती दिखी -
बसाये इक नया संसार
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार
वरिष्ठ शायर घनश्याम ने अपनी ग़ज़ल सुनाई -
तेरी आंखों की नादानी न होती
मुझे इतनी परेशानी न होती
हमारी ज़िन्दगी में तुम न होते
तो जीने में भी आसानी न होती
तेरा किरदार जो होता सियासी
तेरे वादे पे हैरानी न होती
अगर बेटी नहीं होती सयानी
पिता की तंग पेशानी न होती
न तू होता अगर " घनश्याम" जैसा
तो वो मीरा-सी दीवानी न होती
डॉ. सुधा सिन्हा सावी ने श्रृंगार में भोजपुरी का तड़का लगाया -
ए गोरिया वर्षा के बदरिया बडा नीक लागे ला
ओमे चमकत बिजुरिया बडा ठीक लागे ला
मनोज कुमार अम्बष्ठा कविता को लेकर संजीदा नजर आए-
मैं कविता नहीं, अपना दर्द लिखता हूं
उन्हें सोंच कर हाल ए दिल लिखता हूं
रह गई हमारी मोहब्बत अधूरी यारों
चलो उन्हें याद कर , आज फिर लिखता हूं ।
मैं कविता नहीं, अपना दर्द लिखता हूं
अध्यक्षीय उद्बोधन में अपने विचार रखने के बाद भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपनी रचना पढ़ी -
"मंचीय दोष" शीर्षक से अपनी रचना पढ़ी -
जो करते हैं मस्खरी, उनकी कद्र विशेष
मंच लूटते मस्खरे, वही लूटते देश.
काव्यमंच सिरमौर जो, वो कविता से दूर
खोटे सिक्के ही यहाँ, चलते हैं भरपूर.
हो पैरोडी शिल्प की, हास्यास्पद बकवास
लटके झटके हों तभी, कहलाते कवि ख़ास.
राई को पर्वत कहे, पर्वत राई जान
शेखी खूब बघारिये संचालक श्रीमान.
छंद-व्याकरण क्या भला, हम हैं सिरजनहार
खाट खड़ी कर काव्य की फैलाएँ व्यापार
कुछ भौंडी हरकत करें, फिकरे कसें हुजूर
नंगापन अश्लीलता नवयुग का दस्तूर
तिकड़मबाजी पैंतरे, विदूषकीय प्रपंच
गंगा, पर्यावरण-से, हुए प्रदूषित मंच
बहुत रचे बाँके नयन, विरह-मिलन अहिवात
अब तो कविता में करो, भूख-प्यास की बात
कविता सुनने के लिए, हो संवेदन भाव
रचना जीवन का सृजन, छोड़े अमिट प्रभाव
अपनी आवो-हवा में रच माटी के गीत
कविता को दो आवरण, कुछ अनछुए प्रतीक
अब मत नोचो गिद्ध से, कविता के धृतराष्ट्र
दो गहरी संवेदना, मनुष्यता का शास्त्र.
...
रपट का मूल आलेख - डॉ. सुधा सिन्हा 'सावी'
रपट की प्रस्तुति - हेमन्त दास 'हिम'
मूल रपट लेखिका का ईमेल आईडी -
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
सुन्दर
ReplyDeleteblogger.com ke profile me apna naam aur photo daalne se yahan dikhega.
DeleteWah.. very nice..
ReplyDeleteManish mukund
धनयवाद इंजीनियर
Deleteजवाब नहीं
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Deleteसुधा
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Deleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद.
Deleteबहुत बढ़िया।जय जय जय।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद.
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