Sunday, 31 March 2019

नवी मुम्बई में आईटीएम काव्योत्सव और खारघर चौपाल की स्व. खन्ना मुजफ्फरपुरी और मधुकर गौड़ को समर्पित गोष्ठी 30.3.2019 को सम्पन्न

मेरा प्यार सभी के हक में / मेरा ईश्वर है इंसान




दूर हो जाए तीरगी दिल की
हम को ऐसा दीया जलाना है
नफ़रतों के दयार में खन्ना
प्यार के सिलसिला बढ़ाना है (1)
तीर सब के चले अंधेरे में
कौन जाने कहाँ निशाना है
मुझसे नफरत की मत रखो उम्मीद
दिल मेरा अब भी आशिकाना है
रास्ते हैं तो चल रहा हूँ मैं
जाने क्या कहाँ ठिकाना है
(- खन्ना मुज़फ्फरपुरी)

जीते रहे अब तलक दिलदार की तरह
पढ़ते रहे लोग हमें अखबार की तरह (1)
मेरा प्यार सभी के हक में
मेरा ईश्वर है इंसान (2)
गाते गाते गीत मरूँ मैं , मरते मरते गाऊँ
तन को छोड़ूँ भले धरा पर, साथ गीत ले जाऊँ (3)
(- मधुकर गौड़)

सुननेवालों के दिल पर अपना पुरजोर असर डालनेवाली उपर्युक्त पंक्तियों जैसी रचनाएं करनेवाले दो महान हिंदी गीतकार और गज़लकार हाल ही में इस मर्त्यलोक को छोड़कर अमरत्व को प्राप्त कर गए.  उनके दैहिक निधन पर शोकाकुल साहित्यकारगण ने उन दोनों की स्मृति में एक गोष्ठी आयोजित की. आईटीएम काव्योदय और खारघर चौपाल द्वारा 30.3.2019 को  खारघर (नवी मुम्बई) के सेक्टर 12 में पीआईएमएस  संस्थान में संयुक्त रूप से आयोजित इस गोष्ठी में बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने भाग लिया. अध्यक्षता साहित्यकार अनिल पूर्वा ने की और मुख्य अतिथि थे गज़लकार किशन तिवारी. संचालन डॉ. सतीश शुक्ला ने किया.

आये हुए रचनाकारों और विशिष्ट अतिथियों का स्वागत सेवा सदन प्रसाद ने किया. तत्पश्चात वंदना श्रीवास्तव ने अपने सुरीले कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. 

मीनू मदान ने मुजफ्फराबादी जी से अपना रिश्ता पिता-पुत्री का बताया और कहा कि सभी कवयित्रियों से वह पिता की तरह ही व्यवहार करते थे.

वंदना श्रीवास्तव ने खन्ना मुजफ्फरपुरी के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किये और उनकी एक ग़ज़ल सुनाई.

मनोहर अभय ने मधुकर गौड के साथ अपने संस्मरणों को साझा किया और बताया कि बिना उम्र का भेद-भाव किये वो सभी गुणी साहित्यकारों का आदर किया करते थे. उनकी कमी का अहसास हमेशा होता रहेगा. कई बार उन्होंने फोन करके मेरी गज़लों और दोहों को सराहा था.

विजय भटनागर ने भी नम आँखों से उन दोनों को याद किया और खन्ना मुजफ्फरपुरी का ये शेर सुनाया जो आज भी प्रासंगिक है-
मुल्क में ये कैसा मंजर देखते हैं 
सब के हाथ में खंजर देखते हैं

डॉ. सुरेश कुमार ने भी दिवंगत कवियों के बारे में अपनी संवेदना प्रकट की. कार्यक्रम में पढ़ी गई आगंतुक कवि/ कवयित्रियों की रचनाओं में से कुछ के अंश नीचे दिये जा रहे हैं-

अर्चना चं. शुक्ल ने मराठी भाषा में एक कविता पढ़ी जो सराही गई.

भारत भूषण शारदा -
आज धरा की आँखें नम हैं आसमान जी भर रोया है
शब्दों का एक कुशल चितेरा वीणावादिनी ने खोया है

राम प्रकाश विश्वकर्मा -
बाबूजी तुम गए तो मानो युग बीत गया
सब कुछ है , अब भी पर जीवन घट रीत गया (1)
फिर आया चुनाव का मौसम बौराये वो कुछ तो हैं
जनता सोचे, दिन बहुरेंगे, पगले सपने कुछ तो हैं (2)

अशोक प्रतिमानी -
समझे न जो लाज़मी है क्या
फिर वो भला आदमी है क्या ?
छोड़ा उसने शिकायत करना
उसे गलतफहमी है क्या ?
अगर जीना है खुशमिजाजी से
वजहों की कुछ कमी है क्या ?

विश्वम्भर दयाल तिवारी -
चित उदात्त तन वृक्ष सा,  सुमन सुगन्धित छाँव
पतझड़-मन ऋतु नेह तप, पथ वसन्त के पाँव

हेमन्त दास 'हिम' -
चुप रहना है गर राजनीति
चुप रहने का जी नहीं करता
'हिम' को मान लो समर्थक ही
उसे लड़ने का जी नहीं करता

मंजू गुप्ता -
गुजरते हुए रास्तों पर
पैरों के निशान गहरे हैं

अशोक पाण्डेय-
सत्य है जीवन अब सरल नहीं
फिर भी यह उतना कठिन नहीं
सीधा साधा सोच चाहिए
जीवन में कुछ स्वाद चाहिए

लता तेजेश्वर रेणुका -
चाँदनी रात में भींगते हुए / शब्दों के दरख्तों से
कुछ अनमोल नगीने तोड़कर / चाँदी के धागे से पिरोये
सोने की परत से गढ़ लिया तूने वह जेवर
जिसे धारण कर मैं धन्य हो गई

किशन तिवारी-
किसके वादे पे ऐतबार करें
कोई वादा अमल कहाँ होगा
आग भीतर की और बाहर की
जो बुझा दे वो जल कहाँ होगा.

सेवा सदन प्रसाद ने एक लघुकथा पढ़ी जिसमें एक कार्यक्रम में सभी रचनाकारों को पुरस्कार में एक-एक पुस्तक मिलती है. जब अलग-अलग धर्मों के रचनाकार पैकेट खोलते हैं तो किसी दूसरे धर्म की पुस्तक को पाते हैं परंतु आदरपूर्वक उसे घर में संभाल कर रखने का निर्णय लेते हैं.

सत्य प्रकाश श्रीवास्तव ने 'मोक्षषटकम' नामक छपा हुआ पत्र बाँटा.

अध्यक्ष अनिल पुर्वा ने एक लघुकथा पढ़ी जिसमें विमल और नियाजी दो मित्र हैं. नियाजी पर कुछ लोग  फब्तियाँ कसते हैं और उसके देशप्रेम पर संदेह करते हैं. इस पर नियाजी बोलते हैं  कि वो देश के बँटवारे के समय पाकिस्तान जाने की बजाय हिंदुस्तान में रहने का निर्णय लिए क्योंकि उन्हें अपने वतन हिंदुस्तान से प्यार था और है.

अंत में धन्यवाद ज्ञापन के बाद अध्यक्ष की अनुमति से गोष्ठी के समापन की घोषणा हुई.
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र- बेजोड़ इंडिया ब्लॉग
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com
नोट - जिन प्रतिभागियों के काव्यांश या चित्र सम्मिलित नहीं हैं वे ऊपर दिये गए ईमेल पर भेजें.































Thursday, 28 March 2019

"Drama Dhamaal" presented by NCPA and Rage in Mumbai on 27.3.2019

The show other way around
Captivating motley of drama and micro-interviews

(Other new posts in Snall Bites page : Dr. Rama Das - Click here / Artist Kalpna MadhukarClick here)


Two actors came on the stage and sat on two of the chairs kept in rows. Then, the light on stage was turned off and the focus of the light was made on the audience. The two actors watched continuously the audience as if the audience themselves were presenting some drama. Moreover they were murmuring "the play seems to be highly experimental as there is no dialogue at all". The audience kept on laughing loudly throughout this ten minute item. Some twenty interesting pieces were presented. Some were skits, some drama and some comics mixed beautifully with micro interviews of veteran artists.

The program presented on World Theatre Day (27 March) at Tata Thatare, NCPA, Mumbai was anchored by Rajit Kapoor who kept the audience amused during three and half hours duration of this event. They way he asked questions with the living legends of theatre was respectful, appealing and affectionate. Though most of the part was presented in English still the items in Hindi, Marathi, Gujarati etc. being the blood in the veins of Indian theatre were also applauded by the audience with full pride. The actors didn't forget as always to pass their witty remarks on contemporary political scenario though without an offending insinuations. 

In the beginning of the program before and after the interval two pieces of husband-wife bickering were presented. In one moment it looked like they will wage a full fledged war more terrific than even an atomic war. They startled. petrified and kept the whole audience on the hook seemingly on an endless fight. Though they suddenly transformed themselves into an irresistible fervent lovers to such a level that they forgot that people were watching them taking their clothes off  and all that they were doing. The viewers were astounded whether the couple was going to show their wild love in full steam that too in a broad focus light and that before the thousands of viewers. Ultimately the anchor had to intervene to control the extreme sort of the lover couple. The actors in this item included Anahita Uberoi.

In a Marathi item, two actors presented a very interesting skit that was full of message.

In another piece, a singer sang a Gujarati love song earlier sung some 65 years back by Motibai. The audience were immersed in the melody that had been performed with dancing steps by that veteran.

Nancy said that theatre is the biggest lie that takes you nearer to the eternal truth.

Ruby Patel repeatedly took the name of her husband and said that  all credit of what she could do in drama goes to him. 

Rohini Huttongadi of 'Gandhi' fame also shared her experience about how she faced various challenges throughout her acting career.

Nadira Babbar said that it always so happened that whenever she was supposed to perform on stage her children were becoming unwell because of some minor health problems. In jest, she told that the cook to a female actor is more important than her husband because it is he who lets her act. She further said that there is a big scarcity of scripts in Hindi theatre so she has done many translations and also written some eight or nine original scripts in Hindi.

A lady veteran said that she came first time on stage at 22 and till then she had become mother of three children. 

Dolly Thakore, Sabira Merchant, Saraita Joshi, Shanta Gokhale, Sulabha Arya and Dr. Vijaya Mehata were also among those veteran females who were honoured on this occasion.

Set designer Paresh Bhai who has set stage for 850 plays and some 50 films was also honoured. Krishna , light designer and Ayaz Ansari , production manager were also honoured. 

A group of young singers presented a sonorous song  "Somewhere off the rainbow the skies are blue".

The special feature of this program was that all proceeds were meant to be spent in the benefit of the unsung heroes of theatre who never come in limelight.

For one night only the theatrewallahs of Mumbai took centre stage with plays and songs that celebrated the lives  of artists in the theatre – on stage and off. A long list of renowned guest artists participated including Ajitesh Gupta, Akarsh Khurana, Anahita Uberoi, Anuvab Pal, Bomi Dotiwala, Bhavna Pani, Burjor Patel, Danesh Irani, Danesh Khambata,  Deepal Doshi, Drama School Mumbai (DSM), Faezeh Jalali, Gagan Dev Riar, Gerson DaCunha, Geetanjali Kulkarni, Jim Sarbh, Kunaal Roy Kapur, Kathryn Doshi, Mallika Singh, Mansi Multani, Meher Mistry, Meherzad Patel, Mohit Takalkar,  Nadira Babbar, Quasar Padamsee, RaghavDutt, Rahul DaCunha, Rajit Kapur, Ruby Patel, Rytasha Rathore, Sandesh Kulkarni, Sarah Hashmi, Shantanu Ghatak, Sheena Khalid, Shernaz Patel, Sonali Kulkarni, Sukant Goel,  Utkarsh Mazumdar and Zafar Karachiwala.

This event will be remembered for paying respect to the older generation of theatre community in Mumbai that included not only on-stage artists but from off-stage. NCPA and Rage should get applause for the purposeful manner they celebrated World theatre Day in 2019.
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Report by - Hemant Das 'Him'
Photographs by - Bejod India blog
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