दर्द से बेखौफ मनवा हो गया है
(हर 12 घंटों पर एक बार जरूर देख लें - FB+ Watch Bejod India)

अग्निँशिखा मंच की 31 वी गोष्ठी सम्पन्न अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से लखनऊ से पधारे वरिष्ठ कवि रवि मोहन अवस्थी और उज्जैन नगरी से पधारे गीतकार सूरज नागर उज्जैनी के सम्मान में देविका रो हाउस, सेक्टर - 1, कोपर खैरने, नवी मुंबई में आयोजित विशेष काव्य गोंष्ठी में पुरे मुम्बई व नई मुम्बई से पच्चीस लोग पधारे।
मुख्य अतिथि थे रवि मोहन अवस्थी, अतिथी सूरज नागर उज्जैनी, समरोह अध्यक्ष बने विजय भटनागर और
संचालन किया पवन तिवारी ने।
शुरुआत में माँ सरस्वती की वंदना , वंदना श्रीवास्तव ने की। दीप प्रज्ज्वलित कर मां शारदे को पुष्प हार अर्पित कर कार्यक्रम शुरु हुआ।
अलका पाण्डेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अथितियों के स्वागत में दो शब्द कहें . फिर अपनी रचना सुनाई -
जबसे मेरा दिल ये सच्चा हो गया है
यूं लगा कि कोई सजदा हो गया है
रंज अब होता नहीं तन्हाइयों का
हर क़दम पे साथ साया हो गया है
जब से सोचा भूल जाएं हम तुझे
हर तरफ़ तेरा ही चेहरा हो गया है
क्या डराएंगे मुझे रंज-ओ-अलम
दर्द से बेख़ौफ़ मनवा हो गया है
जब किसी ने ज़िक्र तेरा कर दिया
यूं लगा कि कोई जलवा हो गया है ।
रोशनी में साथ थी परछाइयां
यह बदन ज़ुल्मत में तन्हा हो गया है।
भारत भूषण शारदा ने देश की महिमा का गुणगान किया-
एक समय था मेरा भारत
सोने की चिड़िया कह लाता था
विश्व गुरू बन कर जग को
जीने की राह दिखाता था।
भारत भूषण शारदा ने देश की महिमा का गुणगान किया-
एक समय था मेरा भारत
सोने की चिड़िया कह लाता था
विश्व गुरू बन कर जग को
जीने की राह दिखाता था।
उसके बाद डा. दिलशाद सिद्दीक़ी, विश्वम्भर दयाल तिवारी, डा. हरिदत्त गौतम 'अमर', रामप्रकाश विश्वकर्मा, सौरभ दत्ता, अश्विन पाण्डेय, सेवासदन प्रसाद, कविता राजपूत, नजर हयातपुरी, सिराज गौरी, दिलीप ठक्कर, शोभना ठक्कर, अरुण मिश्र 'अनुरागी' विक्रम सिंह. पवन तिवारी, इकबाल कुँवारे, वंदना श्रीवास्तव और सुशीला शर्मा ने अपनी कविता पढ़ी व बालक आहन पाण्डेय ने भी सुदंर प्रस्तुति दी।
प्रज्ज्वल वागदरी ने हिंदी दिवस पर हिंदी का अपमान न देख सका और कालेज में अपने शिक्षक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया, उनका सबने मिलकर स्वागत किया फिर आज के मेहमान रवि मोहन अवस्थी जी की रचनाओ का ऐसा समा बधा की श्रोताओं की फ़रमाई पर उन्होने हर विधा की रचना सुनाई -. गीत, गजल, छं , हास्य और भी।
फिर समारोह के अध्यक्ष विजय भटनागर ने अपना व्यक्तव्य दिया और अपनी एक ग़ज़ल सुनाई -
आखिरी वक्त तुम्हे नाराज कर दूंगा
तुम भूल जाओगी मेरी भी कोई हस्ती है
मेरी मय्यत को पीछे से आवाज न देना
रूह निकलने के बाद कभी ना ठहरती है।
अंत में आभार व्यक्त अलका पाण्डेय ने किया और तत्पश्चात अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।
.....
आखिरी वक्त तुम्हे नाराज कर दूंगा
तुम भूल जाओगी मेरी भी कोई हस्ती है
मेरी मय्यत को पीछे से आवाज न देना
रूह निकलने के बाद कभी ना ठहरती है।
अंत में आभार व्यक्त अलका पाण्डेय ने किया और तत्पश्चात अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।
.....
आलेख - अलका पाण्डेय
छायाचित्र सौजन्य - अखिल भा. अग्निशिखा मंच
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
नोट - प्रतिभागी कविगण कृपया अपने दवारा इस कार्यक्रम में पढ़ी गई रचना की पंक्तियाँ और कार्यक्रम का साफ फोटो ऊपर दिये गए ईमेल पर भेजें।


Look for new games on online auction sites. If you feel like you spend way too much on your gaming hobby, find out about getting things more cheaply on an auction site. Do a bit of research to ensure you get the fairest price. Bid, win and enjoy!play bazaar satta king
ReplyDelete