राजस्थान के लोकसंगीत पर आधारित नाटक का भव्य मंचन
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युगों से माता-पिता अपने व्यस्क पुत्र-पुत्रियों के अपने जीवनसाथी के बारे में लिये गए निर्णय को नकारते आये हैं. हद तो तब हो जाती है जब यह इनकार शील-स्वभाव या गुण-दोषों पर नहीं होकर मात्र आर्थिक हैसियत के आधार पर होता है. इसी संदर्भ में कोलकाता में मंचित एक नाटक में जहां पुत्री का एक निर्णय पूरे परिदृश्य को तनावपूर्ण और दु:खद बनाता दिखता है वहीं पिता के द्वारा अपने अहं का त्याग कर पुत्री की पसंद का आदर करने का निर्णय सम्पूर्ण पीड़ा को आनंद में परिणत करते भी।
कोलकाता की चर्चित नाट्य-संस्था लिटिल थेस्पियन 20 सितंबर 2019 को अपने 25 वर्ष पूरे कर लिये। रजत जयंती वर्ष के अवसर पर कोलकाता के एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स, कोलकाता में "हज़ारां ख़्वाहिशां" नाटक का मंचन किया गया।
कहानी एक गरीब लड़की चारुधरा की है जो किस्मत से नगर सेठ की दत्तक पुत्री बन जाती है। फिर उस लड़की को शहजादी के तौर-तरीके सिखाये जाते हैं। लड़की अपने गाँव के लोकगायक किशन से प्रेम करती है। नगरसेठ उसे भुला देने को कहता है। लड़की तैयार नहीं होती।
प्रेमी के कारण गांव वापस आ जाती है। पर जल्द ही अहसास होता है कि ऐशो आराम की जिंदगी नहीं छोड़ सकती, भले ही प्रेमी को छोड़ना पड़े। नगरसेठ गांव आकर चारुधरा और किसन को स्वीकार कर लेते हैं। और इस तरह नाटक को सुखांत बना दिया जाता है।
आइये अब हम नाटक के नेपथ्य और मंच पर काम करनेवाले कलाकारों की बात करें। पहले पर्दे के पीछे के कलाकारों की बात करें। पटकथा और निर्देशन उमा झुनझुनवाला का था।
राजस्थान के लोकसंगीत पर आधारित इस नाटक का संगीत वरिष्ठ संगीतकार मुरारी राय चौधरी ने दिया। संगीत संचालन अनिंद्य नंदी का था। संगीत में साथ दिया प्रबीर सेनगुप्ता, अब्लू चक्रवर्ती, सुभाशीष डे और झोटन मानिक। स्वर आनंदवर्द्धन और अवंति भट्टाचार्य का था। कोरस में साथ दिया शुभंकर्पिता शीत, नीलांजन चटर्जी और नाज़ आलम। कोरस गानेवाले कलाकारों के नृत्य और अभिनय में एक लय थी मानों कठपुतलियां नृत्य कर रही हों। संगीत और नृत्य ने दर्शकों को बांधकर कर रखा।
प्रकाश संचालन (जयदीप रॉय ) और मंच सज्जा (मदन गोपाल हलधर) नाटक को प्रभावी बनाने में सफल रहे।
प्रेमी के कारण गांव वापस आ जाती है। पर जल्द ही अहसास होता है कि ऐशो आराम की जिंदगी नहीं छोड़ सकती, भले ही प्रेमी को छोड़ना पड़े। नगरसेठ गांव आकर चारुधरा और किसन को स्वीकार कर लेते हैं। और इस तरह नाटक को सुखांत बना दिया जाता है।
आइये अब हम नाटक के नेपथ्य और मंच पर काम करनेवाले कलाकारों की बात करें। पहले पर्दे के पीछे के कलाकारों की बात करें। पटकथा और निर्देशन उमा झुनझुनवाला का था।
राजस्थान के लोकसंगीत पर आधारित इस नाटक का संगीत वरिष्ठ संगीतकार मुरारी राय चौधरी ने दिया। संगीत संचालन अनिंद्य नंदी का था। संगीत में साथ दिया प्रबीर सेनगुप्ता, अब्लू चक्रवर्ती, सुभाशीष डे और झोटन मानिक। स्वर आनंदवर्द्धन और अवंति भट्टाचार्य का था। कोरस में साथ दिया शुभंकर्पिता शीत, नीलांजन चटर्जी और नाज़ आलम। कोरस गानेवाले कलाकारों के नृत्य और अभिनय में एक लय थी मानों कठपुतलियां नृत्य कर रही हों। संगीत और नृत्य ने दर्शकों को बांधकर कर रखा।
प्रकाश संचालन (जयदीप रॉय ) और मंच सज्जा (मदन गोपाल हलधर) नाटक को प्रभावी बनाने में सफल रहे।
नाटक की प्रस्तुति में अदाकारों का काम तो और भी महत्वपूर्ण होता है। "चारुधरा" की भूमिका में कुसुम वर्मा और "भैरवी" की भूमिका में पार्वती शॉ का अभिनय सराहनीय था। अभिनय करनेवाले अन्य कलाकारों का प्रदर्शन भी सराहनीय था जिनके नाम हैं - मो. आतिफ अंसारी, सुमित गोस्वमी, मो. अरशद शादिक़, प्रोनय साहा, मो.मारूफ, नाज़ आलम, तन्मय सिंह, आलम इम्तियाज, शुभांकरप्रिता शीत, नीलांजन चटर्जी, सागर सेनगुप्ता, अवीक महतो, हीना परवेज, सबरीन खातून और सारा एसके।
नाटक के नृत्य और संगीत में राजस्थान के लोकशैली का सुंदर उपयोग किया गया। उमा झुनझुनवाला, अज़हर आलम समेत लिटिल थेस्पियन के सभी सदस्यों को रजत जयंती वर्ष की शुभकामनाएं।
उम्दा नाट्य प्रस्तुतियां जारी रहनी चाहिए।
उम्दा नाट्य प्रस्तुतियां जारी रहनी चाहिए।
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समीक्षक - राज्यवर्द्धन
समीक्षक का ईमेल - rajyabardhan123@gmail.com
समीक्षक का ईमेल - rajyabardhan123@gmail.com
छायाचित्र सौजन्य - राज्यवर्द्धन
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
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