समकालीन साहित्य का प्रमाणिक दस्तावेज - भगवती प्रसाद द्विवेदी
प्रख्यात साहित्यकार चित्र मुद्गल का सन्देश भी मिला
पटना: 14/04/2020 एवं15/04/2020 को फेसबुक पर भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष और अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के सम्पादक सिद्धेश्वर की पहल पर हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन" के बाद यह "दो दिवसीय लघुकथा सम्मेलन" भी सफलता पूर्वक सम्पन हुआ। संभवतः: लघुकथा के क्षेत्र में ऑनलाइन यह हमारे देश का पहला आयोजन है।
देश भर के अनेक लघुकथाकारों ने अपनी कोरोना से सन्दर्भ में लघुकथाएं आभासी सोशल साइट फेसबुक पर प्रस्तुत की।.मुख्य अतिथि के रूप में सुविख्यात कथा लेखिका चित्रा मुद्गल की उपस्थिति उनके संदेश के माध्यम से रही।
फेसबुक पर लंबी रचनाओं की उपस्थिति संभव नहीं दिख रही। पत्रिकाओं और पुस्तकों में भी लम्बी रचनाएं, अधिकांशतःकम पढी जाती है लेकिन, इस मायने से लघुकथाएं, कविताएं, छोटी - छोटी भेंटवार्ता और साहित्यिक जानकारियां तो दी ही जा सकती है और इन विधाओं की रचनाएं फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर अधिक पढ़ी भी जा रही है।इस कारण भी ने लेखकों में सृजनात्मक विकास पहले से अधिक सुगमतापूर्वक हो रहा है।
केवल आपस में एक- दूसरे की पीठ थपथपाकर हम थोडी देर के लिए मान सम्मान और यश तो पा सकते हैं अपनी आत्मा से भी इस हेतु हमें छल करना होगा। ऐसे सम्मान आगे चलकर उपहास का ही कारण बनते हैं। और रोज - रोज एक छपे=छपाए सम्मानपत्र, छद्म पुरस्कार और राबड़ी बांटने की तरह शिल्ड बांटने से साहित्य से इतर अनेक उद्देश्य तो पूरे हो जाते हैं पर साहित्य और साहित्यकारों का विकास उससे कुछ नहीं हो पाता।
अर्हता से अधिक प्रशंसा के प्रलोभन से भी साहित्यकारों को बचना चाहिए! गुट बनाकर तालियां बटोरने से बेहतर है, चुपचाप साहित्य सृजन और साहित्य का अध्यन करना। या फिर इस तरह का ही आन लाइन कविता और लघुकथा गोष्ठी की इस नई परंपरा को गति देना।
कोरोना की इस बंदी ने यह सार्थक और सकारात्मक दिशा हमें दिखला दी है। बेहतर होगा की इस बंदी की समाप्ति के बाद भी इंटरनेट के मंचों कर आनलाइन गोष्ठियों का आयोजन कीजिए और पैसे देकर ओपेन माइक जैसी प्रलोभनवाली मंचों से परहेज कर, ऑनलाइन मंच पर साहित्य का अलख जगाइए। धनलोलुप संस्थाओं या व्यावसायिक प्रकाशकों के चंगुल में फंसने से बचिए। और आर्थिक दोहन से खुद को बचाइए। इन्हीं उद्देश्यों के तहत हमारा यह आयोजन था और आगे भी ऐसे आयोजन का हमारा प्रयास और प्रयोग जारी रहेगा।
आन लाइन अपना मत व्यक्त करती हुई चर्चित कवयित्री ऋचा वर्मा ने कहा कि,-"बहुत ही सीमित संसाधनों में पटना के जाने माने साहित्यकर्मी कवि सिद्धेश्वर जी अपने हाथ की बनी बहुत ही कलात्मक रेखाचित्रों के माध्यम से न केवल मंच को सजाया था बल्कि पूरे देश के हिंदी लघुकथाकारों की रचनाओं के वाचन के दौरान रेखाचित्रों के माध्यम से उन रचनाओं को अत्यंत ही जीवंत बनाने का प्रयास भी किया। सिद्धेश्वर जी द्वारा संचालित यह एक ऐसा मंच है जिसमें रचनाकारों की नहीं, बल्कि रचनाओं को महत्व दिया जाता है।"
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में लघुकथा पर विस्तार से चर्चा करते हुए वरिष्ठ कथाकार कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि- "हिंदी साहित्य की रचनात्मक प्रवृत्तियों के अंतर्गत विगत वर्षों में लघुकथा विधा ने मात्र संपन्नता ही नहीं पाई, बल्कि अपने वर्चस्व को भी प्रतिष्ठा के साथ बढ़ाया है। आज स्थिति यह है कि जहां एक ओर विविध पत्र- पत्रिकाएं अनिवार्य रूप से लघुकथा को स्थान दे रही है वहीं यह विधा समकालीन साहित्य का प्रमाणिक दस्तावेज सिद्ध हो रही है । इस कारण भी सिद्धेश्वर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संयोजित यह "हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन" अपना ऐतिहासिक महत्व रखता है और लघुकथा को आम जन से जोड़ने में सार्थक भूमिका निभा रहा है।"
उन्होंने कहा कि - "आजकल साहित्य में गंदी राजनीति और खेमेबाजी का वर्चस्व देखने को मिल रहा है जो सार्थक साहित्य की तरह समकालीन लघुकथा के लिए भी घातक है। इस दो दिवसीय आन लाईन लघुकथा सम्मेलन में सिद्धेश्वर द्वारा पढ़ी और प्रस्तुत की गयी लगभग सभी लघुकथाओं को मैंनें गंभीरता से देखा और सुना है। आज की नई पीढ़ी की लघुकथाओं का भी दमदार हस्तक्षेप देख लघुकथा के भविष्य के प्रति आश्वस्त हूं। , सचमुच "कोरोना वायरस भगाओ अभियान" में, अपने- अपने घरों में कैद साहित्यकारों की अद्भुत प्रस्तुति हुई है!"
ऑनलाइन " लघुकथा सम्मेलन की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथा लेखिका चित्रा मुदगल ने अपने संदेश में कहा कि - "प्रकृति की नाराजगी के बावजूद आप सपरिवार स्वस्थ रहते हुए, अपनी अपनी सृजनात्मकता को नई ऊंचाई दीजिए। शुभकामनाएं सभी लघुकथाकारों को जिन्होंने ऐसे समय में ऐसी प्रस्तुति दी।
सम्मेलन में लगभग बाइस लघुकथाकारों की लघुकथाएं प्रस्तुत की गई^ जिनमें प्रमुख हैं मधुरेश नारायण (गलतफहमी), तपेश भौमिक (और थोड़ी देर सही), डा सतीशराज पुष्करणा (सहानुभूति), आलोक चोपड़ा, पूनम श्रेयसी, मीना कुमारी परिहार (संस्कार), मीरा सिंहा, ऋचा वर्मा ( निर्णय), संगीता गोविल ( बदलती जिंदगी), प्रियंका श्रीवास्तव (सिर्फ इंतजार), सम्राट समीर (मां की बधाई) मार्टिन जॉन (लाइक), डॉ अमरनाथ चौधरी अब्ज ( दलाल), पुष्पा जमुआर (वजूद), राजेंद्र वर्मा (गांधी जी का चौथा बंदर) प्रताप सिंह सोढ़ी (स्वाभिमान), भगवती प्रसाद द्विवेदी (अंतर), सिद्धेश्वर (रिश्तो का वायरस), पूनम आनंद (कोरोना), कीर्ति अवस्थी (काली कलूटी), डा ध्रुव कुमार (अग्नि परीक्षा), ट्विंकल कर्मकार (परमेश्वर), रामयतन यादव (सुनहरा अवसर), कमल चोपड़ा (सांसों का विक्रेता) और विकेश निझावन (फर्क)। इस रपट की प्रस्तुति में सहयोग देनेवाले बेजोड़ इंडिया ब्लॉग के हेमन्त दास 'हिम' की अप्रत्यक्ष रूप से सहभागिता रही जिनकी लघुकथा का शीर्षक है - "क्रिटिकल फीगर"।
इस ऑनलाइन "हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन" का समापन कथाकार रामयतन यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उन्होंने अपने धन्यवाद ज्ञापन के दौरान यह भी कहा कि - देश भर के प्रतिष्ठित एवं नए रचनाकारों को इस मंच पर खुली अभिव्यक्ति मिली है।
इस तरह से इस लम्बे कोरोना लॉकडाउन के लम्बे काल में आयोजित यह आभासी लघुकथा सम्मलेन अपने-आप में साहित्यधार्मिता का एक नया अध्याय रचता हुआ संपन्न हुआ।
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मूल आलेख - सिद्धेश्वर
प्रस्तुति सहयोग - हेमन्त दास 'हिम'
लेखक का ईमेल - sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग का ईमेल - editorbejodindia@gmail.com
प्रस्तुति सहयोग - हेमन्त दास 'हिम'
लेखक का ईमेल - sidheshwarpoet.art@gmail.com
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