Monday, 11 May 2020

विन्यास साहित्य मंच द्वारा मातृ दिवस पर 10.5.2020 को आभासी कवयित्री सम्मेलन सम्पन्न

थकी आँखें, बुझी सूरत मगर इक हौसला लेकर

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मां हर व्यक्ति के जीवन में सबसे अहम स्थान रखती हैं. जब पूरी दुनिया में मातृ दिवस पर लोग अलग-अलग प्रकार से मां के संघर्षों के प्रति आभार व्यक्त कर रहे थे, उसी समय साहित्यिक संस्था विन्यास साहित्य मंच के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन काव्य संध्या में बिहार की कवयित्रियाँ दुनियाभर की माँओं को काव्य सुमन अर्पित कर रही थीं. रविवार दिनांक 10 मई 2020 को आयोजित इस काव्य संध्या में बिहार के अलग अलग जिलों से कुल 14 वरिष्ठ और युवा कवयित्रियों ने शिरकत की. बिहार की जानी-मानी नृत्यांगना और टेलीविजन एंकर डॉ पल्लवी विश्वास के संचालन और विन्यास साहित्य मंच के संयोजक चैतन्य चन्दन के संयोजन में करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कवयित्रियों ने अपने काव्य रस की ऐसी धारा बहायी कि ऑनलाइन जुड़े श्रोता उसमे डूबते-उतराते रहे. 

आयोजन में पटना से डॉ. नीलम श्रीवास्तव, आराधना प्रसाद, पूनम सिन्हा श्रेयसी, नेहा नारायण सिंह, बीनाश्री हेम्ब्रम, कुमारी स्मृति ‘कुमकुम’ और डॉ. किरण सिंह, वैशाली से रेणु शर्मा, मुजफ्फरपुर से डॉ. भावना, डॉ. आरती कुमारी एवं आस्था दीपाली, जमुई से डॉ. नूतन सिंह ने अपनी कविताएँ सुनें. इस दौरान श्रोता के तौर पर कई वरिष्ठ और युवा कवि उपस्थित थे. गौरतलब है कि कोरोना संकट की इस घड़ी में कवि सम्मेलनों का भौतिक आयोजन संभव नहीं हो पाने की वजह से ऐसे आयोजन ऑनलाइन करवाना ही विकल्प रह गया है. ऐसे में विन्यास साहित्य मंच इस तरह के आयोजन करवा कर देश-दुनिया के युवा और वरिष्ठ साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करने का निरंतर प्रयास कर रहा है.

कार्यक्रम में पटना से डॉ. नीलम श्रीवास्तव ने अपनी ज़िन्दगी से शिकायत को ग़ज़ल में पिरोते हुए कहा 
जिन्दगी इतना बता दे ,क्यूँ  मैं ठुकराई गई
बेबसी   के  ख़ार  में सौ बार उलझाई गई 
खेल होता बस सियासी नाम पर मेरे ,यहाँ 
दास्तान-ए- द्रौपदी  हर  बार दुहराई  गई

पटना से युवा कवयित्री नेहा नारायण सिंह ने मां को एक ख़त के जरिये याद करते हुए कहा -
खत  माँ  का..., आज नाम तुम्हारे, 
कुछ दबे एहसास..., मैं  खोल रही, 
चुप्पी  को  आज...,  मैं  तोड़  रही,  
मुस्कुराना छोड़.. हँसना सीख रही|

मुजफ्फरपुर से कवयित्री डॉ. आरती कुमारी ने मां को दया और करुणा की मूरत के तौर पर परिभाषित किया -
प्यार दया औ' करुणा की, मूरत लगती मेरी माँ
सारे दुख सह लेती है, उफ़्फ़ नही करती मेरी माँ
प्रेम सुधा सबको देती है ,गरल पान, करे खुद माँ
उसके कदमों में जन्नत है , रब के जैसी  मेरी माँ

मुजफ्फरपुर से डॉ. भावना ने मुहब्बत की चर्चा चलने पर उनकी याद आने की बात अपने ग़ज़ल के माध्यम से बताई -
चलेगी जब मुहब्बत की कभी चर्चा मेरे पीछे 
तुम्हें भी याद आयेगा मेरा चेहरा मेरे पीछे 
थकी आँखें, बुझी सूरत मगर इक हौसला लेकर
कोई है दूर से चलता हुआ आया मेरे पीछे

पटना से वीणाश्री हेम्ब्रम ने घर से दूर रहने पर मां की ममता को मिस करने की बात करते हुए कहा -
घर से दूर एक घर
तेरे आँचल की छाँव
झरती तुम्हारी ममता
मिलता एक गाँव

पटना से ही अपनी सुरीली आवाज़ के लिए पहचानी जाने वाली कवयित्री आराधन प्रसाद ने मां की तुलना सूरज से करते हुए कहा -
जैसे हो आफ़ताब मेरी माँ
शबनमी माहताब मेरी माँ
प्यार की खुशबुएँ लुटाती है
शोख़ ,चंचल गुलाब मेरी माँ

पटना से कार्यक्रम में शिरकट कर रही कवयित्री कुमारी स्मृति ‘कुमकुम’ ने मां की बेबसी को कुछ इस प्रकार बयां की
ये माँ ही है,जो बच्चों से शरारत कर नहीं सकती,
बुराई भी हज़ारों हों,शिकायत कर नहीं सकती,
तेरा झोला ये खाली है,भले दौलत कमाई है,
रहे भूखी रहे प्यासी ,ख़िलाफ़त कर नहीं सकती।

 कार्यक्रम का संचालन कर रहीं प्रख्यात एंकर डॉ. पल्लवी विश्वास ने अपनी कविता आसन्न-प्रसवा मैं, मेरा काव्य मेरा शिशु सुनाई -

वैशाली से इस काव्य संध्या में शिरकत कर रहीं पेशे से प्राध्यापक रेणु शर्मा ने अपने दोहों से मां को काव्य सुमन अप्र्पित करते हुए कहा -
जिसने अपनी कोख में,करी काया निर्माण,
अपनी सांसों से भरा,मेरे तन में प्राण।
अंतर्मन के भावों से,कोटि जताऊं नेह,
पद पंकज उस जननी के, समर्पित सुमन स्नेह।

पटना से ही वरिष्ठ कवयित्री डॉ. किरण सिंह ने मां के आँचल को संसार में सबसे सुन्दर बताते हुए कहा -
माँ तेरा आँचल लगे, सुंदरतम् संसार। 
तू ही मेरी गुरु प्रथम, तू ही पहला प्यार।। 
माँ सुन्दरतम् शब्द है , उर्जा से भरपूर। 
जिस उच्चारण मात्र से, लगीं बरसने नूर ।। 

पटना से ही इस कार्यक्रम में शिरकत कर रही कवयित्री पूनम सिन्हा श्रेयसी ने मां को याद करते हुए कहा -
माई माई माई री
तू याद बहुत आई री
ढूढ रहे तुझको निशदिन
जाने कहाँ समाई री

जमुई से कार्यक्रम में शिरकत कर रहीं वरिष्ठ कवयित्री डॉ नूतन सिंह ने मां को दुनिया में सर्वेष्ठ जीव बताते हुए कहा -
दुनिया में कोई चीज नहीं माँ से भी बढ़कर
ऊपर खुदा है तो नीचे मां है खुदा से भी बढ़कर

नई दिल्ली से युवा कवयित्री आस्था दीपाली ने स्त्री की तुलना वसंत से करते हुए अपनी कविता सुनाई: 
स्त्री होती है वसंत सी
फूटती रहती है उनमें
नई उम्मीदों के मोजर,
शीत सा मौन सहते हुए भी
देती है हमेशा
अपनी ममता और करुणा की गरमाहट

कार्यक्रम के अंत में विन्यास साहित्य मंच के संयोजक चैतन्य चन्दन ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया और जल्द ही ऑनलाइन काव्य संध्या का अगला आयोजन करवाने की घोषणा की. 
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रपट की प्रस्तुति - चैतन्य चन्दन 
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - 
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com



 















7 comments:

  1. बहुत ही सुंदर आयोजन और सुंदर कवरेज। धन्यवाद

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  2. आभासी काव्य गोष्ठी का अनूठा आयोजन.विन्यास साहित्य मंच की ओर से लॉक डॉउन की अवधि में आयोजन को विविध रूपों में प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास है.
    बेजोड़ इंडिया को इसकी सम्यक रिपोर्टिंग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  3. आभासी काव्य गोष्ठी का अनूठा आयोजन.विन्यास साहित्य मंच की ओर से लॉक डॉउन की अवधि में आयोजन को विविध रूपों में प्रस्तुत करने का सराहनीय प्रयास है.
    बेजोड़ इंडिया को इसकी सम्यक रिपोर्टिंग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. लॉक डाउन में इस आभासी काव्यसंध्या को सलाम। उम्दा कार्यक्रम।

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  5. इतना अच्छा रिपोर्ट तैयार करने के लिए बहुत बहुत धन्यावाद आपको ।

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  6. बेहतरीन आयोजन के लिए साधुवाद

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  7. बेहतरीन आयोजन!💐💐

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