लघुकथा समय संदर्भित और नैतिक मूल्यों के प्रति निष्ठावान हो!"
इंटरनेट के मंच पर, देश भर से चुने हुए, एक दर्जन नए पुराने लघुकथाकारों ने अपनी नई लघुकथाओं का पाठ किया। साप्ताहिक साहित्य संगोष्ठी के अंतर्गत 24.5.2020 को हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन का आयोजन भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में फेसबुक के "अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका" पेज पर आयोजित लघुकथा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए लघुकथा समीक्षक डॉ अनिता राकेश ने कहा कि - "अवसर साहित्य धर्मी पत्रिका का मंच अपनी लघुकथा गोष्ठी में देश ही नहीं विदेश से भी प्रतिभागिता सुनिश्चित करवाने वाला अत्यंत सफल एवं सुव्यवस्थित मंच है| आज की प्रस्तुतियों ने यह सिद्ध कर दिया कि साहित्य समाज का सच्चा दर्पण होता है"|
लघुकथाओं में वर्तमान कोरोना समस्या से उत्पन्न विविध सामाजिक परिस्थितियों के प्रति रचनाकारों की संवेदनशीलता स्पष्टत: परिलक्षित हुई |अत्यंत प्रशंसा एवं प्रसन्नता का विषय है कि लघुकथेतर विधाओं के रचनाकारों के अतिरिक्त साहित्येतर व्यक्तियों को भी लघुकथा विधा ने आकृष्ट किया है |कतिपय युवा लेखनियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी | लघुकथा के संदर्भ में नवलेखन को यही ध्यान रखना है कि वह शीर्षक पर पहला ध्यान केंद्रित करें| क्षण से उपजी हुई भाव धारा को कथ्य में समेट कर भाषा के आवरण में प्रस्तुत करें| शीर्षक एक द्वार होता है जहां से प्रवेश कर लघुकथा अनुभूत होती है तथा समापन इतना सशक्त कि जब पाठक वहां से निकले तो मानो वह एक ऐसे खुले मैदान में है -जहां प्रश्नों और तथ्यों का समूह सोचने समझने को बाध्य करता हो, झकझोरता हो|
मुख्य अतिथि युवा लघुकथा लेखिका पूनम आनंद ने कहा कि -" इच्छा मनुष्य को जिंदगी सुख चैन सब जीने नहीं देता है--और मनुष्य इच्छाएं को मरने नही देता है। किसी भी रचनाकार की सफलता का आधार उसकी सकारात्मक सोच और लगातार प्रयास है। परिपक्वता, धैर्य, पढने की जोश, लेखन क्षमता को बखूबी आगे ले जाने में सहायक होती है। पाठक और लेखक के बीच संवाद-- कि जीवंतता कालजयी लघुकथा को जन्म दे सकती है। कथानक पर पकड़ बनाने के लिए हमें संवेदना को भी जोड़े रखना जरूरी है। शीर्षक लघुकथा की शीर्ष तक पहुंचने की पायदान है।
संचालन करते हुए कवि कथाकार सिद्धेश्वर ने कहा कि -"लघुकथा समय संदर्भित और नैतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान हो, तभी पाठकों के हृदय में नई संवेदना का संचार कर सकता है।"
लघुकथा सम्मेलन में लघुकथा सम्मेलन में देश-विदेश के एक दर्जन से अधिक लघुकथाकारों ने भाग लिया पूनम आनंद ने कशिश, अनिता राकेश ने वजूद, पूजा गुप्ता (चुनार) ने रविवार, विभा रानी श्रीवास्तव (अमेरिका) ने 'चीनी कानाफूसी", प्रियंका श्रीवास्तव ने "बदलाव, रंजन वर्मा उन्मुक्त ने "निर्णय", मीना कुमारी परिहार ने "नई दिशा", जयंत ने" समझदार", सिद्धेश्वर ने "आत्महत्या", सुधांशु चक्रवर्ती ने "बंधुआ मजदूर", प्रियंका त्रिवेदी ने, जुनून, डॉ नूतन सिंह (जमुई) ने"बेवफा", अनिता मिश्रा सिद्धि (नई दिल्ली) ने" भय", ऋचा वर्मा ने" घोड़ा ", सतीश चंद (दरभंगा) ने"रोटी की कीमत", विनोद प्रसाद ने, ससुराल ", विजयानंद विजय ने "जड़ों तक", ओर मीना कुमारी परिहार ने" नई दिशा" लघुकथा का पाठ किया।
इस तरह से यह कार्यक्रम लघुकथा विधा पर सघन चर्चा के साथ अनेक सार्थक लघुकथाओं के पाठ के साथ संपन्न हुआ
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रपट की प्रस्तुति - सिद्धेश्वर
पता - अवसर प्रकाशन हनुमान नगर, कंकड़बाग, पटना800026
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - sidheshwarpoet.art@gmail.com
इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
बेजोड़ इंडिया के सतत प्रकाशन हेतु संपादक महोदय एवं पत्रिका परिवार को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं
ReplyDeleteभारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन हेलो फेसबुक लघुकथा गोष्ठी का रपट प्रकाशित करने के लिए सभी रचनाकारों की ओर से आभार....