Wednesday, 13 May 2020

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध समालोचक प्रो. नंदकिशोर नवल का जाना

12 मई 2020 को प्रो. नन्दकिशोर नवल ने इस भौतिक लोक का त्याग कर दिया

(नोट - आदरणीय साहित्यकारगण से अनुरोध है कि दिवंगत प्रो. नवल जी पर अपने विचार इसमें शामिल करने के लिए हमें दें या उनकी सामग्री लेने हेतु अनुमति भेजें ईमेल से - editorbejodindia@gmail.com)

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जितेंद्र कुमार (आरा) के उद्गार -

प्रो. नन्दकिशोर नवल नहीं रहे। 

नवल जी का जन्म 2 सितंबर, 1937को वैशाली (बिहार)के चाँदपुरा गाँव में हुआ था।उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से एम. ए.(हिंदी)और पी-एच. डी. किया था।वे पटना विश्वविद्यालय में युनिवर्सिटी प्रोफेसर थे।हिंदी आलोचना में उनका अविस्मरणीय अवदान है।वे प्रभावशाली वक्ता थे।उनकी कुछ उल्लेखनीय कृतियाँ हैं--

1.कविता की मुक्ति 2.हिंदी आलोचना का विकास 3.प्रेमचंद का सौंदर्यशास्त्र, 4.महावीर प्रसाद द्विवेदी, 5.शब्द जहाँ सक्रिय हैं, 6.मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना, 7.समकालीन काव्य यात्रा,8.यथाप्रसंग(निबंध-संग्रह),9.निराला और मुक्तिबोध:चार लम्बी कविताएँ,10.उधेड़बुन(निबंध-संग्रह),11.दृश्यालेख

उन्होंने'निराला रचनावली'का संपादन आठ खंडों में किया है।इसके अतिरिक्त'निराला की असंकलित कविताएँ'और'रुद्र समग्र'का भी उन्होंने संपादन किया।

पाँच वर्षों तक वे त्रैमासिक'आलोचना'के सह-संपादक रहे।बाद में उन्होंने'कसौटी'के15अंकों का संपादन किया।

जब हिंदी साहित्य परिषद्, पटना कॉलेज, रज़ा फाउंडेशन, दिल्ली एवं हिंदी संस्थान, आगरा का संयुक्त आयोजन'नलिन विलोचन शर्मा दो-दिवसीय राष्ट्रीय जन्मशती संगोष्ठी'पटना कॉलेज सभागार में25-26नवंबर,2016सम्पन्न हुआ तो नवल जी से मुलाकात हुई थी।कवि संतोष चतुर्वेदी के साथ उनके नये आवास पर गया था, वे अस्वस्थ थे।

उनके निधन से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
विनम्र श्रद्धांजलि
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हरिनरायण सिंह 'हरि' (मोहनपुर,समस्तीपुर) के उद्गार -
प्रसिद्ध समालोचक नंदकिशोर नवल नहीं रहे।मेरा यह दुर्भाग्य रहा कि मैं उनका दर्शन नहीं कर पाया।किन्तु, उनकी कई कृतियों को अध्ययन-मनन करने का सुयोग मिला।उनका उठ जाना, हिन्दी साहित्य के आलोचना पक्ष के लिए तो अपूरणीय क्षति है ही, वैसे सारे साहित्यकारों के लिए भी अपूरणीय क्षति है,जिनके लेखन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनकी कोई-न-कोई भूमिका रही थी ।नवल जी को विनम्र श्रद्धांजलि और उनके परिजनों व चाहनेवालों के लिए इस वियोग-दुख को सहने की शक्ति प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना!
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आलेख - जितेन्द्र कुमार और अन्य
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हरिनारायण सिंह 'हरि'

1 comment:

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