Wednesday 20 May 2020

भा. युवा साहित्यकार परिषद द्वारा 18.5.2020 को "साहित्य प्रभात" के तहत अंतरजालिक (इंटरनेट) कवि गोष्ठी सम्पन्न

सबसे बड़ा विषाणु / सियासत का खेला

FB+ Bejod  -हर 12 घंटे पर देखिए / ब्लॉग में शामिल हों- यहाँ क्लिक कीजिए  / यहाँ कमेंट कीजिए )





हर दिन साहित्य चर्चा को लेकर भारतीय युवा साहित्यकार परिषद द्वारा आयोजित "हेलो फेसबुक साहित्य प्रभात" के तहत 18.5.2020 को युवा कवियों की कविता पर  केंद्रित कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए  भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि- इस वैश्विक आपदा काल में युवा प्रतिभाओं को अभिप्रेरित कर मंच प्रदान करना और उनकी कविताओं को निखारते हुए  सकारात्मक सोच भरने की कोशिश स्तुत्य है । उनकी बहुआयामी रचनाएँ संभावना जगाती हैं और अपेक्षित मूल्यांकन की मांग करती हैं। वरिष्ठ कवियों के साथ उनकी प्रस्तुति से उनका मनोबल तो बढ़ेगा ही अभिप्रेरणा भी मिलेगी । भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् की यह रचनात्मक पहल स्वागत-योग्य है।"

सिद्धेश्वर के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमलेंदु आस्थाना और मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार गोरखनाथ मस्ताना थे। 

कवि गोष्ठी में नए, पुराने एक दर्जन कवियों की आन लाइन हिस्सेदारी रही। कुछ प्रमुख कवियों  के काव्यांश, इस प्रकार है :

गोरखनाथ मस्ताना-
मन के उदास अंगना में
भोर बन के आईं।

अमलेंदु अस्थाना - 
 इरादा चांद पर सूरज को छूने का हौसला रखा हूं।
 मौत आ कर दिखाओ, हमने दरवाजे खुला रखा है!

भगवती प्रसाद द्विवेदी -
नये प्रश्न नित कर रहा
कालचक्र प्रति कूल,
अपनी रचनाशीलता
है उत्तर माकूल ।
**बनजारे
हम विपदा के मारे हैं
बनजारे हैं।
पीढ़ी दर पीढ़ी विषाणुओं को झेला
सबसे बड़ा विषाणु
सियासत का खेला ।
मर-मर जीते
होते वारे-न्यारे हैं।

सिद्धेश्वर -
"मंजिल तो थी मगर रास्ता न था!
जिंदगी को मुझसे कोई वास्ता न था।
 जीने की दुआएं किन से मांगता  मैं
 मेरे लिए तो कोई भी खुदा न था।

कुंदन आनंद-
"क़दम दर क़दम ख़ार देगी ये दुनिया
बचाओ मुझे मार देगी ये दुनिया
फ़रेबी, फ़क़ीरी, थकन , दर्द,ठोकर
हमें और क्या यार देगी ये दुनिया
हमें जीत की रौशनी भी मिलेगी
कि ताउम्र बस हार देगी ये दुनिया
न जीते-जी हमको यहां जो मिलेगा
वो मरने पे बेकार देगी ये दुनिया
यही सोचकर ख़ूब लिखते रहे हम
कभी तो हमें प्यार देगी ये दुनिया "

पूजा गुप्ता ( चुनार) -
 "यह लॉकडाउन भी हमें बहुत कुछ सिखला जाएगा
जाते - जाते यह जीने का सही मतलब बतला जाएगा। "

पुष्प रंजन कुमार -
" प्रेमियों का हश्र हजारों,
छुपा राज बतलाता है!
जिस्म का रिश्ता हुआ शुरू
कि प्यार खत्म हो जाता है। "

महादेव कुमार मंडल -
"बीज महापुरुषों ने सींचा 
 देकर जिसको अपना रक्त
ऋषि मुनि की गौरव गाथा 
जिसमें त्याग तपस्या रत"

रवि कुमार गुप्ता - 
"तू मुझे समझ ले
  ये तेरे वश की बात नहीं।
जो मेरी जज्बे को समझ ले
तुम में वह जज्बात नहीं।

ओमप्रकाश बिन्जवे " राजसागर "
 याद आती हैं
अपने गांव की वो तंग गलियां याद आती है
बचपन की सारी अठखेलियां याद आती है।
आपस में मिल बैठ  गुजारे थे कितने दिन
हल की थी कितनी पहेलियाँ याद आती है।
हरियाली  की  चादर, ऊँचे  पेड  देवदार के
वो जन्नत वो नजारे वो वादियां याद आती है।
रोजगार  के  फेर  में  छोड  आये  अपना  गांव
बाप की लाचारी मां की सिसकियाँ याद आती है।
यहां है रिश्ते  गरज  की चाशनी  में डूबे हुए
वो खुलुश वो प्यार की बस्तियां याद आती है।
कैसे भुलाये वो मेले, रामलीला के शामियाने
वो  रतजगे  वो  कव्वालियां  याद  आती है।
अपने  हाथों  से रौंपे थे  कुछ  पौधे  जमीन में
वो अमराई वो कदंब की डालियाँ याद आती है।

नूतन सिंह -
"गुजर जाती है जिसकी जिंदगी कैद में ही
हुआ न जुर्म साबित
फिर अदालत क्या वो समझे। "

रामनारायण यादव -
"कोरोना तू सच सच बतलाना।
चीन के वुहान शहर से तेरा कैसे हुआ आना?
बस से, ट्रक से, ट्रेन से, पैदल या हवा में?"

ऋचा वर्मा-
"जिंदगी ठहर सी गई है 
सोचा ईश्वर को बुलाऊं
और करूं शिकायत 
दुनिया क्यों ठहर- सी गई है!"

 आरपी घायल-
"हमारे दिल की बस्ती में बसा है जो जमाने से
गैर के फूल खिलते हैं उसी के मुस्कुराने से।
मोहब्बत का दिया जला कर दिल में देखिए घायल
कभी भी बुझा ना पाएगा उसे बुझाने से। "

आस्था दीपाली, नई दिल्ली
अब वक्त आ गया हे मानव, कुछ अपना भी मूल्यांकन कर
जिस अहंकार में चूर है तू , कुछ उसका भी निवारण कर

संगीता -
"फिर लौट आया /  जीवन का वह दौड़ 
जिसमें ना थी  / आवागमन की सुविधा!"

इस कार्यक्रम में हृदय नारायण झा ने भी अपनी कविता का पाठ किया।
.....

प्रस्तुति:- सिद्धेश्वर
प्रस्तोता का पता - अवसर प्रकाशन सिद्धेश सदन द्वारका पुरी रोड नंबर 2 हनुमान नगर पटना 800026
प्रस्तोता का मोबाइल - 92347 60365
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
नोट - जिन प्रतिभागियों के फोटो या पंक्तियाँ छूट गई हो इसमें, वे ऊपर दिये गए ईमेल आईडी पर कार्यक्रम की तारीख का उल्लेख करते हुए भेजें.












No comments:

Post a Comment

Now, anyone can comment here having google account. // Please enter your profile name on blogger.com so that your name can be shown automatically with your comment. Otherwise you should write email ID also with your comment for identification.