Thursday 18 June 2020

चल पड़े बाँध कर अपने सर पे कफन / भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि

कविताएँ 

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1. देश पे कुर्बान हो गया ये अमन है! / हरिनारायण सिंह 'हरि'

कवि - हरिनारायण सिंह 'हरि'


देश पे कुर्बान हो गया ये अमन है!
भारती के पुत्र सौ-सौ बार नमन है!

सरहद मुफीद हो कि बचे आन देश की,
इस वास्ते अमन ने लिया ओढ़ कफन है!

यह चीन दुष्ट है कि बड़ा धोखेबाज है,
फूल को मसला, किया वीरान चमन है!

मार कई दुश्मनों को सो गया आखिर,
ये लाश नहीं देश का अनमोल रतन है!

ये धन्य धराधाम, पुत्ररत्न अमन है,
इसको सलामी दे रहा ये पूर्ण वतन है!
(अमन मोहीउद्दीन नगर के गांव सुलतानपुर पूर्व के सुधीर सिंह का सुपुत्र था।)

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शहीदों को नमन / अर्जुन प्रभात  
                    
भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ हुए झड़प में शहीद हुए हमारे देश के वीर जवानों को भाव भीनी श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित रचना ।
     
कवि - अर्जुन प्रभात 

हमवतन , हमवतन, ऐ मेरे हमवतन 

उन शहीदों को आओ करें हम नमन।


अपने सरहद पे आया है तूफान जब

देश ने लाड़लोंं को किया याद जब 

चल पड़े बाँध कर अपने सर पे कफन

उन शहीदों को आओ करें हम नमन ।



मोह ममता में बंध के रुके वो नहीं 

मौत के खौफ से भी झुके वो नहीं 

छोड़ कर चल पड़े अपना प्यार भवन।

उन शहीदों को आओ करें हम नमन ।



दुश्मनों के वो छक्के छुड़ाते रहे 

पर्वतों में भी राहें बनाते रहे 

रुक न पाए कभी उनके बढ़ते कदम

उन शहीदों को आओ करें हम नमन।



खेलते ही रहे खून की होलियां 

हँस के सीने पे झेले कई गोलियां

खुद मिटे, पर बचाया वतन का अमन

 उन शहीदों को आओ करें हम नमन।



उनके बलिदान का गीत गाते हैं हम

उनके चरणों में सर को झुकाते हैं हम

हम चढ़ाते उन्हें नित्य श्रद्धा सुमन 
उन शहीदों को आओ करें हम नमन।


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मेरा भारत महान, बहादुर बलवान/ जगदीप सिंह मान 'दीप 


कवि - जगदीप सिंह 'मान'


मेरा भारत महान, बहादुर बलवान


नजरें मत लगा तू इस पर चीन

है हमारा गलवान

घाटी में टकराई हैं लाठियों से लाठी

भारत की माटी भारत की ही रहेगी, गलवान घाटी

भारत ने बनाई हैं अपनी भूमि पर सड़क

इस विवृत विकास को देखकर वो गया है भड़क

उसकी तो कभी से रही है विस्तार नीति भावना

अब भारत पूरी नहीं होने देगा उसकी ये कामना

वो तो करता ही रहा है सदैव ही विश्वासघात

है उसकी पुरानी आदत

मुंँह पर कुछ और पीछे से करता है आघात

 अब यथोचित होगा जवाब

भारत नहीं झेलेगा शरारत


गलवान घाटी की तरफ देखने की तू मत कर हिमाकत

बलिष्ठ भारत अब दिखा देगा अपनी आज की ताकत

अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा चालू तेरा नाटक

भारत सक्षम है तोड़ देगा अब तेरे सारे फैलावी फाटक
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कविगण -  हरिनारायण सिंघव 'हरि' / अर्जुन प्रभात / जगदीप सिंह 'मान
कविगण का ईमेल आईडी -hindustanmohanpur@gmail.com / arjunprabhat1960@gmail.com /  jagdeepmaan1044@gmail.com 
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com

चित्र हरेराम प्रसाद के पटल से साभार



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