जीवन की प्रभुता की संवेदनक्षम अभिव्यक्ति - डॉ. शिव नारायण
लघुकथा मानवीय संवेदना को झाकझोरनेवाले क्षणांशों की अभिव्यक्ति -भगवती प्र. द्विवेदी
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(पद्य में ग़ज़ल और गद्य में लघुकथा पिछले कुछ दशकों से काफी ज्यादा लोकप्रिय हुईं हैं और दिन-प्रतिदिन और भी अधिक लोकप्रिय होती जा रहीं हैं इसका कारण सिर्फ उनके आकार का छोटा होना ही नहीं बल्कि उनकी मारक क्षमता का अधिक होना भी है। लघुकथा में कोई भूमिका की जरूरत नहीं होती और लेखक सीधा अपने कथ्य को सम्प्रेषित करता है बिना किसी ताम-झाम के। सिर्फ पात्रों और कथानक का ताना-बुना रचकर लघुकथाकार पाठक को उस बिंदु पर लाकर छोड़ देता है जहाँ पाठक सन्न रह जाता है अथवा गहरे सोच में पड़ जाता है। ये सब तो हमारे पाठकीय विचार रहे इस विधा पर पटना के अत्यधिक सक्रिय साहित्यकार श्री सिद्धेश्वर ने पुन: अपनी संस्था के माध्यम से एक आभासी गोष्ठी आयोजित कर विद्वानों के विचार लेकर वृहद जनसमुदाय तक पहुँचाने का अत्यंत सराहनीय काम किया है। आप भी विद्वानों के विचारों से आप्यायित होइये। - हेमन्त दास 'हिम')
पटना:21/06/2020! भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, फेसबुक के" अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " के पेज पर," हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन" के सप्ताहिक लाइव कार्यक्रम में, देश-विदेश के दो दर्जन से अधिक लघुकथाकारों ने अपनी नवीनतम लघु कथाओं की लाइव प्रस्तुति दी।
संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि - " लघुकथाओं में घटनाओं और स्थितियों का चित्रण सांकेतिक रूप में उभरता है, तब वह अधिक प्रभावकारी बन पड़ती है। धार्मिक आडंबर से लेकर सारी सामाजिक विसंगतियों तक समकालीन लघुकथाओं को देखी जा सकती है।.
लघुकथा सम्मेलन के मुख्य अतिथि विकेश निझावन(हरियाणा) ने कहा कि-" ऑनलाइन लघुकथा गोष्ठी का आयोजन बहुत ही सार्थक प्रयास है, जो खासकर लघुकथा के विकास में दोहरी भूमिका निभा रही है और इसे व्यापक फलक पर ला खड़ा किया है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि - "लघुकथा हालांकि क्षणांशों की अभिव्यक्ति होती है, पर यह क्षण विशेष में ही मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख देती है। आज की अधिकांश लघुकथाएं इस कसौटी पर खरी उतरती हैं ।प्रतिष्ठित एवं नवोदित रचनाकारों ने एक साथ गहरा प्रभाव छोड़ा और चोट व कचोट से लबरेज़लघुकथाओं की मार्फत श्रोताओं को उद्वेलित-आह्लादित किया ।इस अभिनव पेशकश के लिए संयोजक-संचालक सिद्धेश्वर को साधुवाद!
लघुकथा सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि, नई धारा के संपादक, डाॅ शिवनारायण ने कहा कि - "समकालीन हिंदी लघुकथा का वर्तमान अपने समय और संस्कृति की सार्थक चिंताओं की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति के कारण उज्ज्वल है। देखा जाए तो लघुकथा लघुता में जीवन की प्रभुता की संवेदनक्षम अभिव्यक्ति ही तो है।एक विधा के रूप में लघुकथा ने न केवल अपनी स्थिति मजबूत कर ली है,बल्कि अपने समय और समाज के यथार्थ को अधिक से अधिक व्यक्त करने के कारण सर्वाधिक लोकप्रिय भी है।लघुकथा को अपनी वेब संगोष्ठी में केन्द्रीयता देकर आप भी इसके विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
लगभग दो घंटे तक ऑनलाइन चली इस लघुकथा सम्मेलन में, विभा रानी श्रीवास्तव (अमेरिका) ने" वृद्धाश्रम", प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र' ने'जागरूक इंसान", डाॅअनिता राकेश ने "मैं हूं लघुकथा", पूजा गुप्ता (चुनार) ने "पापा", सिद्धेश्वर ने "बूढ़ा होना पाप तो नही! ", भगवती प्रसाद द्विवेदी ने" प्रणय ", डाॅ शिवनारायण ने" आजकल", मधुरेश नारायण ने "दरियादिली", विकेश निझावन ने" आचारसंहिता", ", और जयंत ने " परिचय", तपेश भौमिक ने " (पश्चिम बंगाल) ने" बेदर्दी" डाॅ कमल चोपड़ा (नई दिल्ली) में" खेलने दो!",विजयानंद विजय (मुजफ्फरपुर) ने "झूठा सच", डाॅ सतीश राज पुष्करणा ने 'इक्कीसवीं सदी", डाॅ संतोष गर्ग (चंडीगढ) ने" विचार बदल गया, डाॅ ध्रुव कुमार ने -" कलंक धुल गया", ", मीना कुमारी परिहार ने' जख्म", प्रियंका त्रिवेदी (बक्सर) ने 'परिणाम', पुष्परंजन कुमार ने 'पढी-लिखी नहीं हो! ",गीता' चौबे (रांची) ने" नारी", ऋचा वर्मा ने"पापा आप सही हैं! "राजप्रिया रानी( रांची) ने पिताजी", नीतू सुदीप्ति नित्या' (भोजपुर) ने" 'मछली " और विनोद प्रसाद (खगौल) ने" रिश्ते " लघुकथाओं का पाठ किया!
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.प्रस्तुति: सिद्धेश्वर
पता - अवसर प्रकाशन / हनुमान नगर/ कंकड़बाग, पटना 800026 (बिहार)
मोबाइल - 92347 60365
ईमेल:sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
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