Tuesday, 13 August 2019

देशभर से सौ युवा साहित्यकारों को बि.हि.साहित्य सम्मेलन द्वारा 11.8.2019 को पटना में सम्मानित किया गया

हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में, हिन्दी फिल्मी गीतों का बहुत योगदा

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बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 11.8.2019 को कदमकुआँ स्थित इसके भवन में एक समारोह में सौ साहित्यकारों को एक साथ सम्मानित किया गया। यद्यपि इस अवसर पर कोई नकद राशि नहीं दी गई और सिर्फ प्रमाणपत्र तथा अंग-वस्त्रम दिये गए किंतु फिर भी इस सम्मान का बड़ा महत्व माना जा सकता है। 

कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू  द्वारा होना निर्धारित था और इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर के अलावे अनेक अन्य साहित्यकार और विद्वान उपस्थित थे।

शताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने  सकारात्मक विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि-"हिंदी के प्रति उदारनीति अपनाने की जरूरत है। हिन्दी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है। हिन्दी आत्मा है। हिन्दी स्वभाव से मजबूत है। यह भाषा जितनी समृद्ध होगी, हमारी संस्कृति भी उतनी ही समृद्ध होगी।

उन्होंने हिन्दी के व्यापक हो रहे उपयोग के प्रति, संतोष प्रकट करते हुए कहा कि- "हिन्दी में सृजनात्मक शक्ति का प्रयोग कर 'हिन्दी' को बढ़ावा देना चाहिए।"

रपट के लेखक का मानना है कि हिन्दी साहित्य सिर्फ़ आलोचकों, समीक्षकों या विद्वानों के लिए नहीं लिखी जाती, समाज के हर तबके के लोगों के लिए सृजित होती है। ये बातें प्रेमचंद, निराला,मैथिलीशरण गुप्त, हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, विमल मित्र, नागार्जुन, नीरज, दुस्यंत कुमार, रेणु सरीखें साहित्यकार खूब समझते थे.। इसकारण ही उनका साहित्य आज भी लोकप्रिय और सर्वाधिक पठनीय है। लेकिन ठीक इसके विपरीत हमारे कई समकालीन साहित्यकार कठिन और दुरूह, पेचीदा और पहेलीनुमा क्लिष्ट हिन्दी शब्दों वाली रचना को ही श्रेष्ठ साहित्य समझने की भूल कर रहे हैं। आज हिंदी साहित्य से दूर भाग रहे पाठकों का एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है - ऐसा मेरा मानना है।

कुछ ऐसी ही  बात केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने कहा कि - "हिन्दी जितनी सहज और सरल होगी, उतनी लोकप्रिय होगी। हिन्दी फिल्मों के गानें बहुत सरल होते हैं। सच पूछा जाए तो, हिन्दी को इतना अधिक लोकप्रिय बनाने में, हिन्दी फिल्मी गीतों का बहुत योगदान है। मैं फिल्मी गीतकारों को हृदय से नमन करता हूं।

उन्होंने यह भी कहा कि युवा साहित्यकार हिन्दी को नई टेक्नोलॉजी से जोड़ने का काम करें। टेक्नोलॉजी का फायदा उठाएं। उन्होंने अपने फेसबुक और ट्विटर पेज का जिक्र करते हुए कहा कि - "मेरी माँ के साथ भजन संध्या वाला वीडियो, चालीस लाख लोगों ने देखा है। अब तक के फेसबुक का यह रिकार्ड है।"

"इसी तरह हिन्दी को भी डिजीटल तौर पर जोड़ने का काम करना चाहिए। हिन्दी को अब किसी के सहारे की जरूरत नहीं है।देश के आजाद होने के बाद ही, हिन्दी का प्रचलन भी बढ़ा। जैसे लोक सभा, राज्य सभा, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के साथ अन्य शब्द खुद ब खुद लोकप्रिय हो गए हैं।

उन्होंने भी यही कहा कि-" हिन्दी में सरल और साधारण शब्दों का प्रयोग होना चाहिए। हिन्दी को इंटरनेट और मोबाइल जैसे शब्दों को अपना लेना चाहिए। इससे हिन्दी और समृद्ध होगी। गांव-गान से हर कस्बे तक इंटर्नेट और मोबाइल पहुंच चुका है। इसका सही उपयोग कर, हम अपने जीवन शैली को और सुव्यवस्थित और बेहतर बना सकते हैं। आप सभी हिन्दी के सिपाही, सेनानी और सेनापति हैं। युवा साहित्यकारों को यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दी साहित्य से ही हमारी भाषा समृद्ध होगी।

विशिष्ट अतिथि मृदुला मिश्र ने कहा कि "साहित्य समाज का आईना होता है। इसलिए जैसा साहित्य होगा,वैसा ही समाज होगा। 

सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने कहा कि -" हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला तो है, लेकिन आज भी इसका उपयोग राजभाषा की तरह नहीं हो रहा है। सरकारी कार्यालयों में आज भी, जरूरत से अधिक अंग्रेजी में कामकाज हो रहे हैं।"

यह भी सच है कि  देश में गणतंत्र को स्थापित करने में, हिन्दी की अहम भूमिका रही है। इसके बावजूद हिन्दी को आज भी क्यों, अपने ही देश में हेय दृष्टि से देखा जाता रहा है। क्यूं, आखिर क्यूं?

खचाखच भरे सभागार में प्रो शेखर तिवारी, कुमार अरुणोदय, शिववंश पांडेय, डां शंकर प्रसाद, भूपेंद्र कलसी जैसे अतिथियों के अतिरिक्त सिद्धेश्वर के साथ कवि घनश्याम, मधुरेश नारायण, डा मेहता नागेन्द्र, पुष्पा जमुआर, हरिनारायण सिंह हरि आदि ढेर सारे नए-पुराने साहित्यकार उपस्थित थे।  सम्मान पानेवालों की संख्या सौ यानी  इतनी बड़ी थी कि सब का नाम देना संभव नहीं है ।  सम्मान पानेवाले साहित्यकारों  मुकेश कुमार मृदुल, कुंदन आनंद, नंदिनी प्रनय, लता प्रासर, जैसे कई युवा साहित्यकार थे। 
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आलेख - सिद्धेश्वर 
छायाचित्र - सिद्धेश्वर
लेखक का ईमेल - sidheshwarpoet.art@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
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