दो कवयित्रियों की हाइकु कविताएँ
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दोस्त है मेरा - बिन कहे समझे- दिल का दर्द / अलका पाण्डेय
दोस्त है वह
आफताब सा आता
उजाला लाता
मित्र है मेरा
मुश्किलों का साथी
पथ दिखाये
सखा है ख़ास
दर्पण बनकर
निकाले कमी
दोस्त तू मेरा
ज्योत सा जलकर
हरता तम
मित्र हो प्यारा
खुशबू बन आता
मोगरे जैसा
दोस्त है मेरा
बिन कहे समझे
दिल का दर्द
सखा वो मेरा
कदम कदम पे
साथ निभाये
दोस्त है मेरा
प्रचंड गर्मी में दे
शीतल हवा
मित्र है ख़ास
सुख दुख का साथी
निस्वार्थ भाव
सच्चा है मित्र
वक्त बेवक्त देता
साथ हमेशा
मित्रों का साथ
भावो का गठजोड़
सदा निभाये ।
...
महका प्राण- बने हो संजीवनी - भर के जख्म / मंजु गुप्ता
मैत्री की डोर
जग से बाँध करूँ
गठबन्धन
मैत्री के बीज
बो के दूँ फलदार
सुख की छाँव
रिश्ता रक्त का
न हो के दोस्त बाँटे
खुशी का जग
महका प्राण
बने हो संजीवनी
भर के जख्म ।
......
कवयित्री - अलका पांडे / मंजु गुप्ता
पता - नवी मुम्बई (महाराष्ट्र)
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com
बिहार वित्तीय सेवा में चयनित देश के मशहूर शायर समीर परिमल अपने बैच के सहकर्मियों के साथ मित्रता निभाते हुए |
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