Monday, 26 August 2019

सखी बहिनपा समूह का सांस्कृतिक कार्यक्रम 25.8.2019 को नवी मुम्बई में सम्पन्न

"अपन जी जान सँ पाहुन / बहुत सम्मान सँ पाहुन"
बेजोड़ इंडिया ब्लॉग के 'हिम' भी मंच पर, विभा रानी का गायन,  फिल्म "प्रेमक बसात" के निर्देशक भी थे

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दिनांक 25.8.2019  को एकता विहार, बेलापुर सीबीडी (नवी मुम्बई) के सामुदायिक भवन में सखी बहिनपा मिथिलानी समूह की नवी मुम्बई इकाई द्वारा स्थापना का वार्षिकोत्सव मनाया गया. इस अवसर पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए और उनसे उपरान्त रूपक शरर निर्देशित मैथिली फीचर फिल्म "प्रेमक बसात" फिल्म का प्रदर्शन होना तय था जो इस रपट के लेखक के सामने शुरू नहीं हो पाया।

कार्यक्रम का संचालन समूह की प्रियंका मिश्रा और संध्या मिश्रा ने किया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे - विभारानी (साहित्यकार और लोक-कलाकार), हेमन्त दास 'हिम' (पत्रकार और साहित्यकार). मंचासीन अन्य गणमान्य अतिथि थे रूपक शरर ("प्रेमक बसात" फिल्म के निर्देशक) एवं सारिका कुमार (गीतकार). इस अवसर पर विभरानी और हेमन्त दास 'हिम' ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित भी किया. श्री 'हिम' ने कहा कि मैथिली भाषा के असली विद्वान उसमें पीएचडी करनेवाले नहीं बल्कि वे कम पढ़ी लिखी बूढ़ी महिलाएँ हैं जो हर वाक्य में दो सटीक 'फकरा' (विशिष्ट मैथिली मुहावरे) जोड़ देती हैं.  उन्होंने सम्मान हेतु समूह के प्रति आभार प्रकट किया और मैथिल संस्कृति को देशभर में बचाये रखने में इसके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

मिथिलाक्षरक प्रचार -प्रसारक महत्वपूर्ण कार्यमे योगदान के लिए प्रेमलता झा, माला झा, शैव्या मिश्रा  कंचन कंठ, रजनी रंजन, कल्पना मधुकर आदि को सम्मान दिया गया।

जानी मानी लोक-गायिका विभा रानी ने अपने विशेष अंदाज में पूरे हाव-भाव और अंग-संचालन के साथ सुरीले लोकगीत का गायन किया जिसे दर्शकों ने तालियों की ग़ड़गड़ाहट से सराहा. समूह की कलाकारों ने बारी बारी से अनेक लोकगीतों का गायन  किया.  अतिथियों में जहाँ विभा रानी, रूपक शरर, सारिका कुमार, अंधेरी (मुम्बई) में रहनेवाले हैं वहीं हेमन्त दास 'हिम' नवी मुम्बई में रहते हैं. 

सांस्कृतिक कार्यकमों में गणेश वंदना और भगवती गीत  शुचि, श्रुति एवं साथी द्वारा प्रस्तुत हुआ. फिर आये हुए सभी अतिथियों के लिए स्वागत गान हुआ-
अपन जी जान सँ पाहुन / बहुत सम्मान सँ पाहुन
अहाँके स्वागतम अछि  / स्वागत गान सँ पाहुन

दो बच्चों श्रुति और आलोक पाठक ने जट-जटिन का प्रसिद्ध लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया. प्रियंका मिश्रा ने मिथिलांचन के खांटी चरित्रों के संवादों पर आधारित हास्य-प्रसंग सुनाये जिसे सुनकर हँसी के फव्वारे छूट पड़े.
नेहा मिश्रा ने लोकगीत गाया - "पिरीय पराननाथ सादर परनाम".

संध्या मिश्रा और प्रियंका मिश्रा ने कविताएँ सुनाई. कंचन कंठ एवं प्रियंका मिश्रा ने भी लोकगीत गाए. रजनी रंजन के गाये गीत के बोल थे- "चोरी भेल चोरी".

नाटिका -दुलरी दिया के अंतर्गत मिथिला  में स्त्री जीवनक विभिन्न आयाम दिखे.  सोहर -चैतन्य और शुचि के द्वारा नाटिका भी प्रस्तुत हुई. लघुकथा का पाठ कंचन कंठ ने किया और स्व्यंवर तथा जयमाल गीत क्रमश: सुलेखा दास और मालती दास के द्वारा हुए. डहकन, गारि, कन्यादान, सिंदूरदान, समदौनक गीत आदि अनेक मिथिला के विधि-विधान के गीत गाये गए.

इनके साथ ही एक व्यंग्य - नीलम ने,  एकल गीत - रजनी रंजन ने, चौमासा -  प्रेमलता झा ने और फिर एक एकल गीत- आशा पाठक ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में मधु प्रकाश द्वारा बनाया गया अरिपन और शुचि मिश्रा द्वारा किया गया भरतनाट्यम भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया.

अंत में धन्यवाद ज्ञापन  का दायित्व निभाया प्रियंका मिश्रा ने एवं  चलचित्र - प्रेमक बसात का विश्लेषण - प्रस्तुत किया संध्या मिश्रा ने.

विशेष बात थी इस अवसर पर अनेक स्टॉल का बनाना जिनमें समूह की सदस्यों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों और शिल्पकला की सामग्रियाँ बिक्री हेतु रखी गईं थी. कोई भी कला-साधना बिना आर्थिक व्यय के सम्पन्न नहीं होती चाहे वह प्रत्यक्ष हो अथवा अप्रत्यक्ष. जैसे यदि कोई व्यक्ति कई दिनों में  एक कहानी रचता है तो वह उतने दिनों में कोई अन्य काम करके पैसे भी तो कमा सकता था. अत: अपनी साहित्य रचना हेतु उसने उस समय में अर्जित किये जाने योग्य मूल्य लगाया. अत: यह परमावश्यक है कि जिनकी आथिक स्थिति इस योग्य हो वे अवश्य कलाकारों के स्टॉल से कुछ न कुछ खरीदें ताकि वे और उत्साह के साथ और बेहतर कला-सामग्रियों का निर्माण कर पाएँ. 

कंचन कंठ का सिंधी एवं मिथिलाक्षर कढ़ाई वाले वस्त्रशिल्प की प्रदर्शनी थी तो रम्भा झा का एप्लिक कला की. जया रानी का स्टॉल महाकवि लाल दास की पुस्तकों का था. एक अन्य पुस्तकों के स्टॉल में डा नित्यानंद लाल दासक अनुदित कृतियााँ, चंदना दत्त की- गंगा-स्नान, विभारानी - खोह सौं निकसइत और प्रसिद्ध कृति-  "क्योंकि जिद है" और मिथिलाक्षर की पुस्तकें भी थीं.

हमें अफसोस इस बात का रहा कि मैथिली फिल्म "प्रेमक बसात" जिसका बहुत नाम सुना है वह रात में 8 बजे तक नहीं आरम्भ होने के कारण नहीं देख पाए. पर निर्देशक रूपक शरर की इस फिल्म को कभी देखेंगे भी और उस पर लिखेंगे भी. फिलहाल उनके साथ आप हमारे चित्र जरूर देख सकते हैं. एक विशेष बात और कि उस मैथिली फिल्म की गीतकार सारिका कुमार श्री शरर की पत्नी भी हैं. 

इस तरह के आयोजन एक स्वत:स्फूर्त आयोजन की तरह होता है जिसे आयोजित करनेवाली स्त्रियाँ मुख्यत: गृहिणियाँ होती हैं न कि कला-व्यवसाय में स्थापित महिलाएँ. अत: इस कार्यक्रम में ऐसा लगा मानो हमारे घर की बहनें, माताएँ और बच्चियों का आयोजन हो. प्रोफेसनलिज़्म के अभाव के बावजूद इस तरह के कार्यक्रम का अपना महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि समाज को स्वीकरना होगा कि घर को संवारनेवाली महिलाओं का भी अपना हृदय होता है, अपना कौशल होता है और विशिष्ट क्षमताएँ भी.
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आलेख - हेमन्त दास 'हिम'
छायाचित्र - बेजोड़ इंडिया ब्लॉग 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल - editorbejodindia@yahoo.com

































12 comments:

  1. बहुत सुंदर रिपोर्ट।धन्यवाद।

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    1. Bahut bahut dhanyawad. blogger.com me login karke comment karne se uska profile wala picture aur naam yahan dikhta hai.

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    2. बहुत सुंदर समीक्षा एवं रिपोर्ट , धन्यवाद हिमजी ।

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    3. हार्दिक धन्यवाद। blogger.com में गूगल पासवर्ड से login कर कमेन्ट करने से उसका प्रोफाइल पिक और नाम यहां दिखता है।

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Bahut bahut dhanyavad.par kichh program ke Naam chhut gel aichh pls okra add k diyo.

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    1. कृपया ईमेल सँ सुछित करी।

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. बेहतरीन लेखनी👌👌👌👌

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  6. धन्यवाद सीमा जी।

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  7. urgently in need of Kidney donors with the sum of $500,000.00,Email:healthc976@gmail.com

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  8. अब तो बस यादें ही हैं!उफ्फ कोरोना

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