Tuesday 21 July 2020

अजगैवीनाथ साहित्य मंच, सुलतानागंज (भागलपुर) द्वारा अंतरराष्ट्रीय आभासी कवि गोष्ठी 19.7.2020 को सम्पन्न

ये दरिया रूख बदलना चाहता है
ब्रह्मलीन कवि कैलाश झा किंकर को सभी कवियों  ने श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई

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(भावानंद सिंह प्रशांत एक ओजस्वी रचनाकार हैं जो अंगिका और हिंदी में रचनाकर्म करते हैं तथा सुल्तलनगंज में सक्रिय अपनी संस्था के माध्यम से नियमित रूप से कवि-गोष्ठी का आयोजन करते रहते हैं. लॉकडाउन के करणों से आजकल ये गोष्ठियाँ आभासी (ऑनलाइन) हो रही है तो इस अवसर का लाभ उठाते हुए उन्होंने अमेरिक, कनाडा, नेपाल के हिंदी साहित्यकारों को इकट्ठा करते हुए और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महराष्ट्र , बिहार के साहित्यकरों के साथ एक जोरदर कवि-गोष्ठी कर डाली. ऐसी ही एक गोष्ठी की रपट नीचे देखिए-  सम्पादक)

अजगैवीनाथ साहित्य मंच सुलतानागंज भागलपुर के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय आनलाइन कवि गोष्ठी का आयोजन मंच के संस्थापक सदस्य डॉक्टर श्यामसुंदर आर्या की अध्यक्षता में दिनांक 19.7.2020 को आयोजित की गई जिसका संयोजन खडगपुर के ख्यातिलब्ध शायर ब्रह्म देव बंधु ने किया और संचालन मंच के अध्यक्ष भावानंद सिंह प्रशांत ने किया। यह आयोजन देश-विदेश की शामिल कवियित्रियों के नाम रहा जिसमें सिअट्ल (अमेरिका) ,काठमांडू (नेपाल) ,टोरंटो (कनाडा) के अलावा पानीपत, सोनीपत (हरियाणा), गोरखपुर, खीरी, आगरा (उ/प्र.), मुंबई तथा बिहार के कवि-कवयित्रियों ने भाग लिया। सभी आमंत्रित कवयित्रियों को साहित्य रत्न सम्मान से मंच द्वारा सम्मानित किया गया।

सर्वप्रथम गोरखपुर से सुनीता सामन्त ने अपनी कविता से सबको सराबोर कर दिया. उन्होंने कहा -
 चलो मोहब्बत की कश्ती में बैठ, 
फरिस्तों के उस देश चलें ,
जहाँ चाँदी सी चमकती नदी बहती है...। 

वहीं टोरंटो (कनाडा) से कवियित्री रीनू शर्मा ने समां बाँधा - 
अब मेरी सहमी सी वो सूरत न रही 
चश्म नम करने की तो आदत न रही 
हम तलब में ही तेरी बेताब रहे
,पास तेरे ही कभी फुरसत न रही।

सिअट्ल (अमेरिका) से कविता माथुर ने कविता के माध्यम से कहा - 
लकीरबद्ध सभ्यता ओ संस्कृति की तरह 
सर्द मौसम में जमी हुई हिमनदी की तरह 
अब कतरा बन पिघलना चाहता है 
ये दरिया रूख बदलना चाहता है । 

अंजू डोकानिया ने काठमांडू (नेपाल) से एक सुरीला गीत सुनकर सबको झुमने पर मजबूर कर दिया - 
मास सुहावन रीतु मनभावन ,
मेघ बहार छाई सी ,
शीतल चंदन सी पवन बहे ,
बरखा बूंद अकुलाई सी । 

खीरी (उ.प्र.) से मोहिनी गुप्ता ने अपनी रूमानी गजल सुनाकर मन मोह लिया - 
कई जन्मों के पुण्यों का मिला उपहार ही हो तुम 
करू मैं गर्व जिसपर वो मेरा तो प्यार ही हो तुम ।

सोनीपत हरियाणा से राधिका राधा जयसवाल ने अपनी गजल से प्रेम का अंदाज बयां किया - 
दूर हमसे तो न यूं रहा कीजिए
कम से कम इतनी हमसे वफा कीजिए 
हम यहाँ तक चले आए हैं इश्क में 
आप भी तो जरा हौसला कीजिए। 

मुंबई से नीलिमा दूबे पांडे ने दोहा के माध्यम से कहा - 
दर्द सहे पीड़ा सहे,रहे व्यथा से चूर।
असली शालीग्राम है ,धरती का मजदूर ।।

पानीपत हरियाणा से सोनिया अक्स ने समकालीन व्यवस्था पल प्रहार करते हुए कहा -
कोई मासूम सा जब शजर देखिये ,
काटने वाले हैं किस कदर देखिये ,
मौन धारण किया है समंदर ने फिर, 
सहमी सी है नदी की लहर देखिये । 

वहीं आगरा से कवियित्री निभा चौधरी ने गजल कही  - 
रौशनी के घरों में अंधेरे मिले , 
धुंध का शाल ओढ़े सवेरे मिले ।

वहीं उषाकिरण साहा ने बेटी भ्रूण हत्या पर बेटी पर संताप करते हुए अपने शब्दों में कहा -
क्या गलती मेरी थी ओ माँ ,क्या मैने किया था गुनाह ।

मुंगेर से शायर विकास ने कहा - 
हर कदम साथ मुस्कुराहट है ,
दूर रहती अभी थकावट है ,
क्या किसी ने कोई शरारत की ,
आज गलियों में सुगबुगाहट है ।

ख्याति लब्ध शायर राजेंद्र राज ने कहा - 
ऐसी तन्हाई है तन्हाई नहीं ,
शौक फिर भी मिरा जुदाई नहीं।

मंच के अध्यक्ष भावानंद सिंह प्रशांत ने कहा - 
शहर के हर मोड़ पर गाँव जिन्दा है , 
है उदर में भूख मन में छाँव जिन्दा है ।
हम पसीने से नहाएं धूप की खातिर , 
हम चलेंगे मंजिल तक ,पाँव जिन्दा है । 

वहीं खड़गपुर के ख्याति लब्ध शायर व कार्यक्रम के संयोजक ब्रह्मदेव बंधु ने अपनी गजल म़े कहा -
इन पुराणों में पता भी ढ़ूंढ़ लेंगे, 
पर्वतों में हम सदा भी ढ़ूंढ़ लेंगे, 
दिल में लोगों ने दबा रख्खी है चिंगारी,
उसकी खातिर वो हवा भी ढ़ूंढ़ लेगें ।

बरियारपुर के गजल गो दिलीप कुमार सिंह दीपक ने कहा -
इश्क और शराब का गुलाम है दुनिया । 

वहीं मंच के संस्थापक सदस्य ने एक गीत गाकर मन मोह लिया - 
जिन्दगी अपना ठिकाना ढ़ूंढ़ ले 
जीने का कोई बहाना ढ़ूंढ़ ले 
हमसफर कोई नया मिलता नहीं 
यार ही कल का पुराना ढ़ूंढ़ ले । 

युवा कवि मनीष कुमार गूंज ने बच्चों को प्रेरित करती अंगिका कविता का पाठ किया - 
चुपा चुपा रे नूनू रे चुप रे ,
तोरा हटिया मे देबौ गुपचुप रे । 

अंत में ब्रह्मलीन कवि कैलाश झा किंकर को सभी कवियों  ने श्रद्धांजलि अर्पित की ।
......

रपट के लेखक - भावानंद सिंह 'प्रशांत'
रपट के लेखक का ईमेल आईडी -
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com

3 comments:

  1. सबने बहुत अच्छा पढ़ा
    शुभकामनाएं

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  2. हार्दिक आभार!

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  3. अच्छा लगा। आप सबों का हृदयतल से आभार

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