Saturday 4 July 2020

अजगैबीनाथ साहित्य मंच सुलतानगंज, भागलपुर द्वारा अंतरराष्ट्रीय आभासी कवि गोष्ठी 28.6.2020 को संपन्न

चीनी उत्पादों के मोह में फँसकर अपने ही सैनिकों के लिए कफन खरीद रहा हूँ

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(श्री भावानन्द सिंह प्रशांत सुल्तानगंज, भागलपुर में रहनेवाले एक अत्यंत सक्रिय साहित्यकार हैं जो लगातार अनेक साहित्यिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते रहते हैं. वो एक काव्य संस्था के अध्यक्ष भी हैं जिसके द्वारा हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी आयोजित की गई जिसकी रपट नीचे प्रस्तुत हैं. - समादक) 

दिनांक 28/6/2020 रविवार को अजगैबीनाथ साहित्य मंच सुलतानगंज ,भागलपुर के बैनर तले अंतरराष्ट्रीय आनलाईन कवि गोष्ठी का आयोजन मंच के संस्थापक सदस्य डा. श्यामसुंदर आर्य की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें विदेश के अंतर्गत अमेरिका के फ्लोरिडा, युरोप के बेल्जियम तथा भारत से राज्यों राजस्थान, उत्तरप्रदेश, नयी दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार के कवियों ने कविता पाठ किया जिसके अंतर्गत लखनऊ, जौनपुर, कोटा, जयपुर, शिवपुर, मुंगेर, भागलपुर, बांका, खड़गपुर, बरियारपुर, सुलतानगंज के कवियों ने काव्य धारा को वेब साहित्यिक आकाश में प्रवाहित किया ।

कार्यक्रम का संचालन मंच के अध्यक्ष भावानंद सिंह प्रशांत ने किया और संयोजन खड़गपुर के सिद्धहस्त शायर ब्रह्मदेव बंधु ने किया। बिहार से बाहर के सभी आमंत्रित कवियों को मंच की ओर से विशेष रूप से सम्मानित किया गया। 

सर्वप्रथम कविता पाठ जयपुर राजस्थान के कवि अरूण धर्मावत ने किया। उन्होंने कहा -
पलभर में निगाहों के मंजर बदल गये ,
हम अपने ही शहर में दरबदर हो गए।

शहीदों की याद में जौनपुर उत्तरप्रदेश के कवि रंगनाथ दूबे ने कहा - 
उफ ! उस लम्हे को उसने कैसे सहा था ? 
जब तिरंगे में लिपटे हुए ...अपने शौहर को उसकी बेवा ने लव यू कहा था ।

लखनऊ से क्रांतिकारी शायर कुमार अतुल ने देश के सैनिकों के सम्मान में कहा -
तिरंगे की हिफाजत में हम अपनी जान रखते हैं,
हम हर मजहब से पहले दिल में हिन्दुस्तान रखते हैं ।

बेल्जियम (युरोप) से शायर कपिल कुमार ने अपनी गजल में कहा - 
बात उसने कही नहीं होती, फिर कहा सुनी नहीं होती 
जला तो दें अपना घर , ऐसे तो रोशनी नहीं होती
सभी के बाजू में झूठ होते  हैं, बात हरेक सही नहीं होती ।

वहीं फ्लोरिडा अमेरिका से कवियित्री आशा मुखारया ने अपनी कविता हवा व जीवन के माध्यम से कहा -
 मैने मन में , लोगों के प्यार को कैद करना चाहा ,
पर मन को ठेस लगी, और अपनापन चला गया ।

नयी दिल्ली से कवि रामकृष्ण शर्मा ने कहा -
प्यार दिल में अब भी मचलता रहता है, 
ख्याल दिल में हर वक्त चलता रहता है । 

शिवपुर मध्यप्रदेश से कवि अनिल अनमोल ने कहा - 
मेरी आँखों से बरसाती बून्दों का खुशियों का सावन कर दो , 
खुशबू घोल दे जुल्फों की ,फिजाओं मे ये मौसम मनभावन कर दे ।

वहीं मोहन गार्डेन दिल्ली से शायर रईस सागर ने अपनी गजल में अपने देश को प्राथमिकता दी और कहा -
 हर कली गुल चमन में मेरा हिन्द है ,
 जिस्म -रूह औ जेहन में मेरा हिन्द है ।

कोटा से कवि -गीतकार नवीन गौतम ने अध्यात्मिक गीत सुनकर मन मोह लिया -
ये दुनिया तो इक मेला है ,है ये सबको ध्यान ,
नहीं भूलना ईश्वर को भी, यही मोक्ष का ज्ञान।

खड़गपुर से शतदल साहित्यिक पत्रिका के संपादक कवि प्रदीप पाल ने अपनी कविताओं में समकालीन विषयों को रखते हुए कहा -
गौछी घर का शगुन ,आँचल में बाँधकर जार ही है 
धनरोपनियाँ ,कादो -कीचड़ में सजाएगी ,
बिचड़े से धन क्यारियाँ, और गाऐंगी कजरी -बारहमासा। 

मुंगेर के जाने माने शायर विकास ने अपनी गजल में कहा -
जब रातों की बांहों में खो जाता हूँ ,
कुछ -कुछ उसके ख्वाबों में खो जाता हूँ ,
आंगन, दर्पण दामन ये सब देखूं तो ,
अपने घर की यादों में खो जाता हूँ।

वहीं कार्यक्रम के संयोजक खड़गपुर के ख्यातिलब्ध शायर  ब्रह्मदेव बंधु ने गरीबों की मुफलिसी पर कहा -
जो रखी सीने में कैसी आग है बाबा,
लव पे कोयल और दिल में आग है बाबा, 
भूख से बेसुध पड़ी आँतों  से पुछो तो, 
क्या दिवाली क्या फाग है बाबा। 

मंच के अध्यक्ष. भावानंद सिंह प्रशांत ने देश की सीमाओं पर दुश्मन देश के वर्तमान हालात पर देश के नागरिकों को अगाह कर  कहा - 
 चीनी उत्पादों के मोह में फँसकर, 
अपने ही सैनिकों के लिए कफन खरीद रहा हूँ 

वहीं लोहची बरियारपुर मुंगेर के गजलगो शायर ने कहा - 
पैमाने से छलकती मय, मयकशों की नादानी से, 
कश्मीर का टुकड़ा हुआ तो पुछेंगे हिन्दुस्तानी से ।

मंच के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामसुंदर आर्य ने कहा -
आप हमसे दूर क्यों होने लगे, कटे कटे से दूर क्यों रहने लगे ।

वहीं मनीष कुमार गूंज ने अंगिका में सेना के पुकार को सुनाया, कहा -
चुपचाप रहो हो भाय ,
लागै छै सीमा पर पुकारै छै ,हमरो भारत माय .।..

युवा कवि एम. सलमान बी. ने मजदूरों की व्यथा को अपनी कविता में रखकर कहा -
ऐ शहर ! कितनी उम्मीदें लेकर आया था तेरे पास ,
ऐ शहर ! आँखों में कितने सपने आया था तेरे पास ।

अंत मे मंच के  कवियों द्वारा  सीमा पर शहीद हुए जाँबाज सिपाहियों की शहादत पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर  कवि गोष्ठी की समाप्ति की घोषणा अध्यक्ष द्वारा की गई ।
.....

रपट की प्रस्तुति - भावानंद सिंह 'प्रशांत'
प्रस्तोता  का ईमेल आईडी - bhawanandsingh61162@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com

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