विश्व शीर्ष पर सदा भारत विराजमान रहेगा
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मुम्बई अग्निशिखा के जश्न-ए-आजादी पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम राष्ट्रभक्ति से रंगा हुआ रहा. मुख्य अतिथि श्रीराम राय, समारोह अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा, विशिष्ट अतिथि आशा जाकड और डॉ रश्मिनायर थीं.
संरस्वती वंदना पद्माक्षी शुक्ला व शोभारानी तिवारी ने की. मंच संचालन - डॉ अलका पाण्डेय, चंदेल साहिब, डॉ प्रतिभा परासर, विजेन्द्र मेव, सुरेश हेगड़े ने दो सत्रों में किया. ऑनलाइन इस कार्यक्रम के बारे में मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया की सबको तिंरगे के साथ रख कर काव्य पाठ व नृत्य या "74 वर्ष आजादी के बाद क्या खोया क्या पाया" पर मत देना था.
आठवीं क्लास की आद्रिका शर्मा ने सुदंर काव्यपाठ किया आबूदबी से शेखर तिवारी. मलेशिया से गुरविन्द्र गील यूएस से पूर्णिमा ने राष्ट्र ध्वाजा को सलामी दे देश को याद किया. ऐसा लग रहा था कि हम घर पर ही वास्तविक कार्यक्रम का आन्नद ले रहे थे. पाँच घंटे कार्यक्रम चला सबने बहुत आनंद लिया देश भर के 90 लोगों ने भाग लिया.
मीना पराशर व रश्मि शुक्ला रानी अग्रवाल, सुषमा शुक्ला, अलका पाण्डेय ने नृत्य प्रस्तुत किया तो ढोलक थाप पर गोवर्धन लाल बंघेल ने और गीत गया पूरी तरह तिंरगे की तरह बनकर शुभा शुक्ला, साधना तोमर और गीता पाडेंय ने.
जागृति वशिष्ठ देहरादून -
मगर न भूलो ये,
न जाने कितनी मां के लालो का लहू शामिल
शुभा शुक्ला निशा, रायपुर, छत्तीसगढ़ -
पंछी है बोल पाए कब
दर्द उसका है वहां ।
शेखर तिवारी -
ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू
मैं जहां रहूं जहां में याद रहे तू
स्मिता धीरसरिया, बरपेटा -
सफ़ेद शांति का धागा पहनूं
प्रेम का सुरमा लगाऊं
हरियाली की चादर ओढ़
अमन शांति सबको सिखाऊं
पद्माक्षी शुक्ल -
हर आहट पे मां राह देख रही
सूनी गलियां अश्रु से, भिगोती रही,
ज्योति भाष्कर 'ज्योतिर्गमय', सहरसा (बिहार) -
हे पूज्य जननी, हे जन्मभूमि भारत
पतित-पावन-पुष्पित तेरे चरण हैं!
अमर-अतुल-अमिट इति आलोकित
लक्ष-लक्ष, कोटि-कोटि तुझे नमन है!
मीरा भार्गव सुदर्शना -
याद करो उन बलिदानों को, वीरों को शीश नवाओ ।
विश्व शीर्ष पर सदा भारत विराजमान रहेगा
न जाएगा व्यर्थ अमर सपूतों का बलिदान
सदा अमर ये मेरा हिंदुस्तान रहेगा...
बात करें जो इतिहास के पन्नों की,
तो लहू से लिखे हुए दिखते हैं।
आजादी के संघर्ष को बयां करते,
अश्रु आँखों में नहीं टिकते हैं
सुनीता चौहान हिमाचल प्रदेश
जांबाज सिपाही बंदूक तान
देश की रक्षा कर रहे
भेज रही बहना रक्षा सूत्र
माथे चंदन टीका लगाया
भाई की सुरक्षा करे देश की रक्षा
डा अंजुल कंसल"कनुप्रिया" इंदौर मध्यप्रदेश -
तिरंगे में लिपट आए जो वीर
वह देश की शान है
सुरेश हेंगडे -
मै कारगिल पर लिख नही पाया कविता
नहीं दे सका जवानों को शाबशी!
डाॅ.पुष्पा गुप्ता, मुजफ्फरपुर बिहार -
हे भारत के वीर सपूतों, तेरे ही कारण
आजाद है वतन
भारत माँ के रणबांकुरे शत-शत तुम्हें नमन ...
रागिनी मित्तल, कटनी, मध्यप्रदेश -
1947 की वो आजादी याद है
भारत किन मूल्यों पर स्वतंत्र हुआ
हमको बर्बादी याद है।
डा. महताब आज़ाद -
मेरे दिल पूरा यह अरमान हो
प्यारा तिरंगा मेरे कफन की शान हो!
जहा देश प्रेम की भावना हो,
अपने झंडे के प्रति सम्मान हो,
अपने देश के नियम कायदे कानून का पालन हो
अपने नागरिकों,बुजुर्गो के प्रति सदभावना हो,
,शहादत देने वालों की,
खून पसीना बहाने वालो की,
आजादी का सच्चा सम्मान,
तभी होगा उनका सार्थक बलिदान
*जय हिंद , जय भारत , वन्देमातरम
......
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - alkapandey74@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com
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