Saturday, 29 August 2020

अ. भा. सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के पटल पर वाहिद अली वाहिद का काव्यपाठ 26.8.2020 को संपन्न

 जब पूजा अज़ान में भेद न हो..

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अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के हाथ लगता है आजकल जैकपाॅट लग गया है ! जिस कवि या शायर को बुलाओ..वही नायाब निकल कर आता है..एक नया अंदाज़ लेकर आता है..एक नयी ख़ुशबू की तरह हमारे ज़ेहन में छा जाता है..पटल को नयी ताज़गी से नवाज़ जाता है !

इसी कड़ी में 26.8.2020 को लखनऊ से पटल पर उपस्थित हुए मंचों के सिद्ध कवि-शायर वाहिद अली वाहिद। छंदों-बहरों पर समान अधिकार रखने वाले..तहत-तरन्नुम दोनों में समान असर पैदा करने वाले.. वाहिद साहब ने शुरू में ही अपना परिचय देते हुए कहा........
"संस्कारों से सजी शब्दावली हूं !"

फिर अपनी कविताओं का परिचय देते हुए कहते हैं........
" दास दासी में हूं, राजा रानी में हूं
मूढ़ मति में हूं, ग्यानी ध्यानी में हूं !"
" मैं कविता हूं जो है समय से परे
मैं अभी तक समय की कहानी में हूं !"

इनकी कविताओं और ग़ज़लों से गुज़रते हुए वाकई ऐसा लगा कि ये संस्कारों से सजी शब्दावली हैं -
" बुद्धिहीन लोग हैं ज़हीन पर चढ़े हुए
लेखनी में दम नहीं मशीन पर चढ़े हुए !"

" चुनावों में जो भी खड़े आदमी हैं
सुना है वो ही बड़े आदमी हैं !"

" कहां गये दिन ख़्वाबों वाले
तितली फूल किताबों वाले,
बंदूकों से अब कह दो जा कर
हम हैं क़लम किताबों वाले..!"

" दिन मेरे ख़राब हो गये, दोस्त मेरे ख़्वाब हो गये,
खादी का लिबास क्या मिला, चोर तक जनाब हो गये !"

" छंद गीत ग़ज़ल सुनाता रहूं.....!"
" वैसे तो हम चांद सितारे लिखते हैं....!"
" शूल लेकर तुम खड़े हो, पांखुड़ी के सामने....!"
" तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाये..!

बीच बीच में कभी युवाओं को प्रेरित करते हुए कहते हैं..कि उनको ऐसा बनना चाहिए.......
" सुबह बनारस ललाम की तरह
जगमग अवध की शाम की तरह !"

तो कभी बांसुरी को प्रतीक बनाकर.." नंद के लाला गोपाल सुनो"..कहते हुए यथार्थ से अध्यात्म तक पूरी दुनिया समेट लेते हैं कविता में !

 वहीं ईश्वर अल्लाह को एक मानते हुए कहते हैैं...
"जब पूजा अज़ान में भेद न हो.....!"

जनाब वाहिद अली वाहिद साहब की कविताओं, मुक्तकों, छंदों, ग़ज़लों से गुज़रते ऐसा लगा कि इन्हें पारंपरिक छंद और सामने बैठे श्रोताओं से भरा-पूरा मंच अधिक भाता है। तभी कहते हैं.. कि "मैं आंख में आंख डालकर पढ़ने वाला कवि हूं!"

ख़ैर, वाहिद साहब ने आज यथार्थ की व्याख्या से लेकर आदर्श और उपदेश तक की यात्रा करवा दी ! 

इस  तरह  से  प्रेम, सौहार्द से सराबोर इस आभासी कार्यक्रम का समापन हुआ. 
.......

रपट का आलेख - पुरुषोत्तम नारायण सिंह 
रपट के लेखक का ईमेल आईडी - hellopnsingh@gmail.com
रपट के लेखक का परिचय - (सेवानिवृत) केंद्र निदेशक, दूरदर्शन, पटना
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com


रपट के लेखक - पुरुषोत्तम नारायण सिंह 

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