Wednesday, 19 August 2020

"विन्यास साहित्य मंच" के तत्वावधान में ऑनलाइन गीत गोष्ठी 16.8.2020 को सम्पन्न

कृत्य से अपने सदा निज राष्ट्र का गौरव बढाएं
 चेन्नै, दिल्ली, ग़ाज़ियाबाद और बिहार के प्रखर गीतकार शामिल
गीतों में गहरी संवेदना और मनुष्यता के प्रति पक्षधरता - भगवती प्र. द्विवेदी 

FB+ Bejod  -हर 12 घंटे पर देखिए )

पटना। “गीत लोगों को न सिर्फ संवेदनशील बनाने में सहायक होता है बल्कि समय-समय पर यह लोगों में जोश भी भरता है. स्वाधीनता संग्राम के दौरान भी जो गीत रचे गए, उसने स्वतंत्रता संग्राम में नई जान फूंकी. वर्तमान समय में भी गीतकार ऐसे गीतों की रचना कर रहे हैं, जो सिर्फ प्रेम की अभिव्यक्ति ही नहीं, वरन लोगों को अपने अधिकारों और राष्ट्र के प्रति जागरूक भी करते हैं. ”कुछ यही भाव विन्यास साहित्य मंच के तत्वावधान में रविवार 16 अगस्त को आयोजित गीत गोष्ठी में गीतकारों ने अपने गीतों के माध्यम से अभिव्यक्त किया. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ गीतकार और सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि “कविता अगर देह है, तो गीत उसकी आत्मा है। कविता यदि जिंदगी है, तो गीत उसकी धड़कन है । आज पठित अधिकांश गीतों में गहरी संवेदना और मनुष्यता के प्रति पक्षधरता परिलक्षित होती है।” 

करीब तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम का शुभारम्भ भागलपुर के गीतकार राजकुमार ने वाणी वंदना से किया। कार्यक्रम में देशभर के कई राज्यों से शामिल चर्चित गीतकारों ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत और प्रेम गीतों की प्रस्तुति दी। गीत गोष्ठी में गाज़ियाबाद से पीयूष कांति सक्सेना, गजरौला (उप्र) से सुविख्यात गीतकार एवं वरिष्ठ कवियित्री मधु चतुर्वेदी, मुंगेर से शिवनंदन सलिल, दिल्ली से शैल भदावरी, कुसुमलता कुसुम, बिहारशरीफ से अल्पना आनंद, पटना से आचार्य विजय गुंजन, मधुरेश नारायण, सुभद्रा वीरेंद्र, चंडीगढ़ से हरेंद्र सिन्हा, चेन्नई से ईश्वर करुण, समस्तीपुर से हरिनारायण सिंह 'हरि' और पूर्णिया से डॉ मंजुला उपाध्याय ने एक से बढ़कर एक गीत सुनाए। 

कार्यक्रम के अंत में पिछले दिनों दिवंगत तीन साहित्य विभूतियों  कैलाश झा किंकर,  मृदुला झा एवं शायर राहत इंदौरी के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गीत गोष्ठी का संचालन दिल्ली से युवा साहित्यकार चैतन्य चंदन ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विन्यास साहित्य मंच के अध्यक्ष पटना के वरिष्ठ शायर घनश्याम ने किया। गूगल मीट ऐप्प के माध्यम से सम्पन्न इस कार्यक्रम में अंत तक दर्जनभर श्रोता जुड़े रहे और सुरीले गीतों का रसास्वादन करते रहे।

गीत गोष्ठी में गीतकारों द्वारा सुनाए गीतों की एक झलक प्रस्तुत है -

गीत गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पटना के वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने वर्तमान परिवेश पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा”
मुक्तछंदी इस नगर में गीत बंजर हो गया है
गाछ सूखे सर्जना-संवेदना के कौन सींचे, 
कंकरीटी फ्लैट में सहमे कबूतर आँख मींचे  
साँस खूँटी पर टँगी तन अस्थिपंजर हो गया है.

गाज़ियाबाद से कार्यक्रम में शिरकत कर रहे कवि और गीतकार पीयूष कांति ने राष्ट्र की आराधना कर निज गौरव बढ़ने की बात की -
हर घडी हम राष्ट्र की आराधना के गीत गाएं
कृत्य से अपने सदा निज राष्ट्र का गौरव बढाएं
मुंगेर के वरिष्ठ कवि शिवनंदन सलिल ने सुनाया:
सांझ होते ही नभ के सितारे जगे
कुछ हमारे लिए, कुछ तुम्हारे लिए

गीतकार मधु चतुर्वेदी ने अपने गीत के माध्यम से राष्ट्रहित में जीने-मरने की बात कही -
राष्ट्र आराधना, राष्ट्र की अर्चना, राष्ट्र की वंदना हम करें
राष्ट्र ही कर्म हो, राष्ट्र ही धर्म हो, राष्ट्रहित हम जिएं और मरें

समस्तीपुर से प्रसिद्ध कवि हरिनारायण सिंह ‘हरि’ ने अपने किसी प्रिय को याद करते हुए सुनाया -
जाने कितने आए कितने चले गए
मगर तुम्हारी याद सदा ही बनी रही
तुम ही मेरे मन में गहरे उतर सकी
मेरे मन की पीडाओं को कुतर सकी

दिल्ली से कवयित्री कुसुमलता ‘कुसुम’ ने प्रेम को परिभाषित करने में असमर्थता जताते हुए कहा -
प्रेम क्या है लिख सकूं मैं है नहीं सामर्थ्य मेरी
‘छंद-शब्दों में समेटूं है असंभव है असंभव
एक घट में हो भला कैसे समाहित प्रेम वैभव

पूर्णिया से कवियित्री डॉ. मंजुला उपाध्याय ने प्रेम में सुख-दुःख बांटने की बात कही:
आओ चलो हम लव-लव खेलें
सुख बाँटें और दुःख सब ले लें

चेन्नई से कार्यक्रम में शिरकत कर रहे गीतकार और कवि ईश्वर करुण ने भारत देश को विश्व का सिरमौर बताया -
विश्व की संस्कृति का जो सिरमौर है
मुल्क ऐसा जहाँ में कहाँ और है
ये उठाता है गिरते हुओं को
पोंछता है दुखी आंसुओं को
इसकी रहमत से वाकिफ हरेक दौर है

भागलपुर से गीतकार राजकुमार ने एक दीपक के संघर्ष को चित्रित करते हुए कहा -
दीप हूँ मैं, जला हूँ जला आ रहा
जल रही अनबुझी मौन तनहाइयाँ
सिलसिला जूझने का रहा स्याह से
घन घिरे मौत ले लाख अंगड़ाइयाँ

पटना से वरिष्ठ गीतकार आचार्य विजय गुंजन ने गीत के बोल को पुकारा -
आ जा मेरे पास गीत के बोल
अमिय-कण पोर-पोर में घोल
कई दिन बीत गए हैं ...

दिल्ली से गोष्ठी में शिरकर कर रहे हिंदी गौरव संस्था के संस्थापक कवि शैल भदावरी ने अपने गीत से इतिहास बदलने के तरीके को बताया -
ईर्ष्या भरे प्रयास करोगे,सिर्फ कयास बदल पाओगे|
तन के बदलावों में उलझे,सिर्फ लिवास बदल पाओगे|
कथनी, करनी, सत्य मिलाकर, दृढ़ता संग विश्वास लिये, 
खून पसीना एक करोगे, तब इतिहास बदल पाओगे|

पटना से कवि और गीतकार मधुरेश नारायण ने अपने गीत के माध्यम से मानव जीवन को अनमोल बताया -
ये मानव जीवन कितना अनमोल है,तुम इसे यूँ न जाया करो
जो मिला है तुमहें,ये तो रब की दुआ इसे दिल से लगाया करो।
कभी किसी का वक्त यहाँ एक सा न रहा, जाते हुए लम्हों ने कानों में ये कहा।

चंडीगढ़ से कवि हरेन्द्र सिन्हा ने सपनों में अमृत घोलने की बात कही:
यह जीवन है अनमोल सखी, मीठे मीठे तू बोल सखी 
मैं जीवन गीत सुनाता हूं,  सपनों की बात बताता हूं ।
सपनों में तू अमृत घोल सखी, मीठे मीठे तू बोल सखी।

बिहारशरीफ से युवा कवियित्री अल्पना आनंद ने अपने गीत में देश के लिए शहादत की बात की -
खून से लथपथ इस धरती को फिर से हरा कर जाना
देश तकेगा राह तुम्हारी लौट के जल्दी आना।
पाना अगला जन्म तो फिर इस धरती पर ही पाना
देश तकेगा राह तुम्हारी लौट के जल्दी आना।

पटना से गीतकार सुभद्रा वीरेंद्र ने विरह की वेदना को गीत में पिरोते हुए कहा -
तुमसे बिछड़ के हम बहुत रोये
छलका रहा मौसम बहुत रोये।

इस तरह से यह देशभक्ति गीत पर आधारित यह विशेष कार्यक्रम देशभक्ति का अलख जगाते हुए एक अत्यंत सौहार्दपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ।
......

रपट की प्रस्तुति - चैतन्य चंदन
प्रस्तोता का ईमेल आईडी - luckychaitanya@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु इस ब्लॉग का ईमेल आईडी - editorbejodindia@gmail.com


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