लघुकथाकारों का अनोखा ऑनलाइन जमघट
महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ के लघुकथाकारों ने लिया भाग
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भाग लेने वाले लघुकथाकारों में सेवा सदन प्रसाद- महाराष्ट्र, चंद्रिका व्यास- महाराष्ट्र, कनक हरलालका, आद्या प्रसाद मिश्र, रीटा जय हिंद दिल्ली, दिनेश प्रसाद दिनेश कोलकाता, पश्चिम बंगाल, बजरंगी लाल यादव -बिहार, अलका पांडे - महाराष्ट्र, रेखा बोरा -उत्तर प्रदेश, के 0पी0 सक्सेना "दूसरे"-छत्तीसगढ़, पीहू पपीहा- पश्चिम बंगाल, चंचला राठौर- गुजरात, आलोक कुमार सिंह-उत्तर प्रदेश, उर्मि भट्ट, - गुजरात, पूजा नबीरा- मध्य प्रदेश, वंदना श्रीवास्तव- महाराष्ट्र, हेमलता मिश्र मानवी- महाराष्ट्र, शेख शहजाद उस्मानी -मध्य प्रदेश, डॉक्टर वर्षा महेश -महाराष्ट्र, संजय कुमार श्रीवास्तव -बिहार, डॉक्टर दीपिका राव- राजस्थान, विश्रवम्भर दयाल तिवारी- महाराष्ट्र, सुधा तारे- मध्य प्रदेश, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता- महाराष्ट्र, तनुजा दत्त -उत्तर प्रदेश, स्वप्निल यादव -उत्तर प्रदेश, डिंपल गौड़ - गुजरात, कुमकुम वेद सेन - महाराष्ट्र, डॉ ममता पाठक- नई दिल्ली, श्रुति कीर्ति अग्रवाल -बिहार, प्रवीणा राही -उत्तर प्रदेश, अंजु सिंह- उत्तर प्रदेश, रशीद गौरी- राजस्थान, व्यंजना आनंद मिथ्या, कृष्ण कुमार क्रांति- बिहार, संध्या श्रीवास्तव, -उत्तर प्रदेश, महेश राजा- छत्तीसगढ़, लता तेजेश्वर रेणुका- महाराष्ट्र, सीमा निगम- छत्तीसगढ़, अंजु अग्रवाल लखनवी -महाराष्ट्र, डॉ अंजु लता सिंह -नई दिल्ली, शकुंतला तिवारी -छत्तीसगढ़, प्रज्ञा गुप्ता -राजस्थान, डॉक्टर लता अग्रवाल, भोपाल -मध्य प्रदेश ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का वाचन किया.
पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार सेवा सदन प्रसाद -मुंबई, महाराष्ट्र ने कहा कि - इस आयोजन से लोगों में उत्सुकता पैदा हुई,आत्मविश्वास बढा , झिझक दूर हुई और अपनी लेखनी पर गर्व महसूस हुआ।
बहुत ही खूबसूरत तरीके से समारोह का समापन, नए प्रोग्रामों का एलान, आत्मीयता एवं नम आंखों से विदाई पर जुदाई नहीं कह सकते हैं।
पहुंचने के पहले हम हो जायें मशहूर।
"लघुकथा के रंग" मंच के संस्थापक अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन के संयोजक अंदाज़ अमरोही ने कहा कि यह कार्यक्रम लॉकडाउन और कोरोना के चलते ऑनलाइन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य था पूरे भारत के लघुकथा कारों को एक मंच प्रदान करना तथा उनकी प्रतिभा के रंग को दुनिया भर से अवगत कराना इस मंच पर वरिष्ठ और कनिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से जो रंग बिखेरे हैं उसका असर देर तक दिखाई देगा. लॉकडाउन के बुरे दौर को जब कभी हम याद करेंगे तब इस सम्मेलन की सुनहरी यादें हमारे दिल दिमाग को सुकून देंगी. रचनात्मकता से भरपूर यह दिन हमारी यादों का हमेशा हिस्सा रहेंगे.
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रपट के प्रस्तोता - सेवा सदन प्रसाद
इस भव्य सार्थक सोद्देश्यपूर्णलघुकथा सम्मेलन के सफल आयोजन पर आप सभी को तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारक़बाद। मुझे सहभागिता निभाने के अवसर प्रदान करने और मेरी हौसला अफ़ज़ाई करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आयोजक/संयोजक/विशिष्ट अतिथि/अध्यक्ष महोदय को और सभी वरिष्ठ व साथी रचनाकारों को।
ReplyDeleteशेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
सुन्दर टिपण्णी हेतु आपका आभार.
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