गीत
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।
तेरा हरेक कण है प्राणों से हमको प्यारा ।।
नगपति मुकुट तुम्हारा तेरी छटा निराली
फल फूल से लदी है तेरी हरेक डाली
लगता कुशल करों ने तेरे रूप को संवारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
नित शस्य श्यामला है तेरी तमाम धरती
सरिता प्रवाह द्वारा यशगान तेरा करती
पग को पखारती है सागर की शुभ्र धारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
तेरी पूरी श्रृंगेरी, मथुरा, गया अयोध्या
अजमेर, स्वर्णमंदिर सब में तुम्हारी माया
कन्याकुमारी तेरी, कश्मीर भी तुम्हारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
उत्तुंग शीर्ष तेरा उदात्त सा हृदय है
ममता की छाँव तेरी जग को न कोई भय है
हारे थके पथिक को, मिलता यहीं सहारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
तू सभ्यता की जननी, तू संस्कृति की माता
तुझ से जुड़ा है जग का सदियों से नेह नाता
इंसानियत के तूने नव रूप को निखारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
क्षमता क्षमा दया का तुझमें अनोखा संगम
महिमा तुम्हारी गाएँ शब्दों की शक्ति है कम
हो जन्म जग में लेना, जन्में यहीं दुबारा ।
ऐ जन्मभूमि तुमको सादर नमन हमारा ।।
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कवि- अर्जुन प्रभात
कवि का ईमेल आईडी - arjunprabhat1960@gmail.com
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कवि - अर्जुन प्रभात |
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